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बैंकिंग के लिए मूडीज का स्थिर दृष्टिकोण

Last Updated- December 11, 2022 | 8:01 PM IST

रेटिंग एजेंसी मूडीज ने देश की बैंकिंग प्रणाली के लिए ‘स्थिर’ दृष्टिकोण बरकरार रखा है। बैंकों के लिए काम करने की परिस्थितियां स्थिर रहेंगी, जिन्हें उपभोक्ता और कारोबारी विश्वास में सुधार के साथ-साथ घरेलू मांग में सुधार से भी मदद मिलेगी।
फिर भी बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय बुनियादी चीजों में सुधार होगा। ऋण-हानि प्रावधानों में गिरावट और शुद्ध ब्याज मार्जिन में वृद्धि से बैंकों के लाभ को बढ़ावा मिलेगा।
मूडीज ने एक बयान में कहा है कि पूंजीकरण, वित्त पोषण और तरलता स्थिर रहेगी तथा ऋण वृद्धि की सहायता करेगी। हालांकि रूस-यूक्रेन के सैन्य संघर्ष से वैश्विक आर्थिक गिरावट कुछ जोखिम पैदा करेगी, जिससे मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में तेजी आएगी तथा आपूर्ति बाधा पैदा होगी।
अगले 12 से 18 महीने में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहने की उ मीद है और मार्च 2022 को समाप्त होने वाले साल में इसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि और उसके बाद वाले साल में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है। उपभोक्ता और कारोबारी विश्वास में सुधार के साथ-साथ घरेलू मांग में सुधार से आर्थिक वृद्धि और ऋण मांग को मदद मिलेगी।
कॉरपोरेट क्षेत्र की आय में वृद्धि और गैर-बैंङ्क्षकग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), जो बैंकों की बड़ी कर्जदार हैं, के लिए वित्त पोषण संबंधी बाधाओं में कमी ऋण वृद्धि को सहायता मिलेगी। मूडीज ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 में बैंक ऋण की वृद्धि बढ़कर 12 से 13 प्रतिशत होने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2021 में पांच प्रतिशत थी।
गुणवत्ता में होगा सुधार
पुराने फंसे ऋण को बट्टे खाते में डालने या वसूली की वजह से गैर-निष्पादित ऋण (एनपीएल) के अनुपात में गिरावट आएगी,  जबकि अर्थव्यवस्था में सुधार की वजह से नए एनपीएल का गठन स्थिर रहेगा। कुल ऋणों में विस्तार करते हुए ऋण वृद्धि एनपीएल अनुपात को कम करने में मदद करेगी।
रेटिड बैंकों का सकल एनपीएल अनुपात का परिसंपत्ति-भारित औसत 31 दिसंबर, 2021 तक लगभग आधा रहते हुए 5.7 प्रतिशत हो गया, जबकि मार्च 2018 के अंत में यह 10.3 प्रतिशत के शीर्ष स्तर पर था।
रेटिंग एजेंसी ने परिसंपत्ति गुणवत्ता दबाव में वृद्धि की संभावनाओं पर जोर दिया और कहा कि चूक वाले नए ऋण उन ऋणों से उत्पन्न हो सकते हैं, जिन्हें वैश्विक महामारी के आर्थिक व्यवधानों के कारण पुनर्गठित किया गया है।
स्थिर रहेगी पूंजी
लाभप्रदता में हो रहा सुधार ऋण वृद्धि में तेजी की वजह से पूंजी खपत में वृद्धि की भरपाई कर देगा, जिससे पूरी प्रणाली में बैंकों को मौजूदा स्तरों पर पूंजी बनाए रखने में मदद मिलेगी।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में पूंजी अनुपात में पिछले एक साल के दौरान सुधार हुआ है, जिसे सरकार की ओर से पूंजी  निवेश से मदद मिली है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के बैंकों ने निवेशकों की रुचि आकर्षित करने के लिए लाभप्रदता में सुधार का फायदा उठाते हुए इक्विटी पूंजी बाजार से सक्रिय तौर पर पूंजी जुटाने की मांग की है।

First Published - April 11, 2022 | 10:58 PM IST

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