बैंकों से उम्मीद की जा रही है कि आर्थिक सुधार का लाभ उठाते हुए वे मार्च 2023 को समाप्त होने वाली तिमाही (वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही) में अच्छा लाभ और परिसंपत्ति गुणवत्ता प्रोफाइल दर्ज करेंगे।
बेहतर शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) और ऋण लागत में गिरावट के बीच सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में सालाना आधार पर औसतन 43.6 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान जताया गया है। यह ब्लूमबर्ग के डेटाबेस पर 17 बैंकों के विश्लेषक अनुमानों के संयुक्त आकलन पर आधारित है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 84.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ उल्लेखनीय सुधार होने की उम्मीद है। घरेलू ब्रोकर मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि अच्छे मार्जिन और ऋण लागत में लगातार कमी से सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की कमाई में इजाफा दमदार रहने के आसार हैं। निजी क्षेत्र के बैंकों के मामले में भी अच्छी कारोबारी वृद्धि, जोरदार मार्जिन और नरम ऋण लागत के वजह से कमाई अच्छी रहनी चाहिए।
लेकिन वेतन संशोधन के कारण सरकारी स्वामित्व वाले ऋणदाताओं के मामले में तथा कारोबारों में लगातार निवेश की वजह से निजी बैंकों के मामले में परिचालन व्यय अधिक रहने के आसार हैं।
विश्लेषकों के अनुमानों के अनुसार बढ़ती उधार दर और अग्रिमों पर अधिक प्रतिफल की वजह से मार्च 2023 की तिमाही में बैंक शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) में सालाना आधार पर 21.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकते हैं।
बैंकों के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी से लाभ के संबंध में केयर रेटिंग्स ने कहा कि निजी क्षेत्र के बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने उधार दर और जमा दरों के बीच अधिक अंतर बनाए रखा है।
ब्याज दर बढ़ोतरी उसके बाद जमा दरों के मुकाबले उधार दरों में तीव्र बदलाव से निकट अवधि में एनआईएम में विस्तार हुआ है। यह प्रवृत्ति दिसंबर 2022 की तिमाही में भी देखी गई थी, जब एनआईएम सालाना आधार पर 17 आधार अंक तक बढ़कर 3.3 प्रतिशत हो गई। वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही में एनआईएम 2.8 प्रतिशत स्तर पर थी।
बैंकों ने मई 2022-मार्च 2023 के दौरान नीतिगत रीपो दर में वृद्धि के साथ अपने बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दरों (ईबीएलआर) को 250 आधार अंक तक बढ़ाते हुए संशोधित किया है। खुदरा और एमएसएमई के ऋण का मूल्य निर्धारण ईबीएलआर से जुड़ा हुआ है।