बाजार के सहभागियों ने बताया कि सरकारी खर्च के कारण एक महीने के बाद बैंकिंग प्रणाली में तरलता फिर से बढ़ गई है। बैंकों ने रविवार को भारतीय रिजर्व बैंक में 26,239 करोड़ रुपये जमा किए। इससे पहले शुक्रवार और शनिवार को क्रमशः 20,403 करोड़ और 8,157 करोड़ रुपये जमा किए गए थे। हालांकि, बॉन्ड बिक्री को लेकर खुले बाजार में बातचीत कम हो गई क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि बैंकिंग प्रणाली में तरलता एक बार फिर से कम हो सकती है। रिजर्व बैंक भी इस बढ़ी हुई तरलता के साथ सहज नहीं है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के उपाध्यक्ष नवीन सिंह ने कहा, ‘यह मुख्य रूप से महीने के अंत में होने वाले खर्च से बढ़ा है।’
उम्मीद जताई जा रही है छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति अपनी लगातार पांचवी समीक्षा बैठक में दरों को अपरिवर्तित रख सकती है। केंद्रीय बैंक 8 दिसंबर को नीतिगत समीक्षा की घोषणा करेगा। उस पर बाजार की नजरें भी टिकी हुई हैं कि महंगाई पर लगाम लगाने के लिए मौद्रिक नीति समिति के सदस्य क्या उपाय करते हैं।
बाजार प्रतिभागियों को भी उम्मीद है कि सरकारी खर्च और बॉन्ड के भुनाए जान से दिसंबर अंत तक नकदी प्रवाह बेहतर रहेगा। 78,834 करोड़ रुपये मूल्य के सरकारी बॉन्ड 15 दिसंबर को परिपक्व होने वाले हैं। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 2.8 लाख करोड़ रुपये के भुनाए जाने वाले सरकारी बॉन्ड निर्धारित थे, जिनमें अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 2.2 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड परिपक्व होने वाले थे।
सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘ओएमओ अभी तस्वीर से बाहर है क्योंकि यह इस समय पूरी आपूर्ति को भी बाधित करेगा।’ चालू तिमाही के दौरान तरलता मुख्यतः घाटे की स्थिति में रही है। खासकर 3 नवंबर को छोड़कर नवंबर के पूरे महीने में यह कम रही। मासिक वस्तु एवं सेवा कर भुगतान के कारण 21 नवंबर को बैंकिंग प्रणाली की तरलता लगभग 5 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
केंद्रीय बैंक ने उस दिन बैंकिंग प्रणाली में 1.74 लाख करोड़ रुपये डाले थे। अपने मौद्रिक नीति वक्तव्य में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि केंद्रीय बैंक तरलता बढ़ाने के लिए ओएमओ नीलामी आयोजित कर सकता है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने ओएमओ बिक्री के लिए कोई समयसीमा नहीं दी है और कहा है कि यह तरलता की मौजूदा स्थिति पर निर्भर करेगा।