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ब्याज दरें उच्चतम स्तर पर: ओपी भट्ट

Last Updated- December 07, 2022 | 4:46 PM IST

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन और मुख्य प्रबंध निदेशक ओ. पी. भट्ट ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों पर गौर किया जाए तो घरेलू ब्याज दरें लगभग अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं।


वित्त मंत्री के साथ सरकारी क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों की बैठक के बाद भट्ट ने पत्रकारों से कहा कि तेल की कीमतों में गिरावट आ रही है, मानसून अच्छा है, स्टील को छोड़कर सभी कमोडिटी के दाम अपने उच्चतम स्तर पर हैं और पेइचिंग ओलम्पिक की वजह से बनी मांग भी अब थम गई है।

इन सब वजहों को देखकर लगता है कि ब्याज दरें अपनी ऊंचाई पर पहुंच चुकी हैं या उसके करीब हैं। बैंक के चेयरमैन ने यह भी कहा कि बैकिंग सिस्टम में तरलता की हालत अभी टाइट है। बैंक रिजर्व बैंक के रेपो सुविधा के जरिए लगातार कर्ज लेते रहे हैं।

पिछले एक महीने में करीब 300 अरब रुपये की औसत उधारी हुई है। इससे पहले स्टेट बैंक ने मंगलवार को अपने प्राइम लेंडिंग दरों में एक फीसदी का इजाफा किया है, जो अब 13.75 फीसदी हो गई है, बैंक ने साथ ही जमा दरों में भी तीन चौथाई फीसदी का इजाफा कर दिया है।

इस मौके पर वहां मौजूद सेंट्रल बैंक के चेयरमैन एवं मुख्य प्रबंध निदेशक एच. ए.  दारूवाला ने कहा कि मौजूदा माहौल की वजह से उनका नेट इंट्रेस्ट मार्जिन दबाव में है। उन्होंने कहा कि हम इस वित्त्तीय वर्ष के अंत तक 2.8 फीसदी का नेट इंट्रेस्ट मार्जिन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं लेकिन यह कहना कठिन है कि हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।

पिछले वित्तीय वर्ष में बैंक का नेट इंट्रेस्ट मार्जिन 2.5 फीसदी रहा था। दारूवाला ने कहा कि बैंक की क्रेडिट ग्रोथ के भी धीमे रहने की संभावना है। सेंट्रल बैंक वित्त्तीय वर्ष में 24 फीसदी के क्रेडिट ग्रोथ का लक्ष्य लेकर चल रहा है। पिछले दिनों के दौरान कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेज गिरावट देखी गई है और अब कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 109.88 डॉलर प्रति बैरल है जबकि तीन जुलाई को ये कीमतें 142.04 डॉलर प्रति बैरल को छू रहीं थी।

भारत की महंगाई दर अपने 13 साल के सर्वोत्तम स्तर 12.01 फीसदी पर पहुंच गई है और जिसकी मुख्य वजह वैश्विक कमोडिटी कीमतों में तेजी आना रहा। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों तरलता बनाए रखने और महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए ब्याज दरों में बढोतरी की थी।

अप्रैल से अब तक आरबीआई रेपो रेट में 1.25 फीसदी और सीआरआर में 1.50 फीसदी की बढोतरी कर चुका है। दोनों दरें अब नौ फीसदी के स्तर पर पहुंच गई हैं। सीआरआर में बढ़ोतरी से जहां तरलता में कमी आई है वहीं रेपो रेट में बढ़ोतरी से बैंकों को कर्ज और जमा दरों को बढाना पड़ा है।

First Published - August 13, 2008 | 10:22 PM IST

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