गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनैंस कंपनी ने बैंकिंग क्षेत्र में उतरने की अपनी योजना पुनर्जीवित की है।
इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि आईडीएफसी एक मध्यम आकार के निजी बैंक की तलाश कर रही है जो शेयर स्वैप सौदे के जरिये इस कंपनी को बैंक का दर्जा दे सके।
इससे संबध्द एक सूत्र ने बताया कि आईडीएफसी, जो एक साल से अधिक समय से भारतीय रिजर्व बैंक से बैंकिंग लाइसेंस लेने को व्याकुल रही है, ने दो निवेश बैंकिंग कंपनियों- आईडीएफसी एसएसकेआई और कोटक महिन्द्रा कैपिटल- को सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया है जो संभावित विलय वाले बैंक की खोज के तौर-तरीकों पर काम करेंगे।
जबकि आईडीएफसी के सूत्रों ने कहा कि कंपनी निजी क्षेत्र के कई बैंकों से बातचीत की शुरुआती दौर में है। इस सौदे का अनुमानित आकार 3,000 करोड रुपये से 3,500 करोड़ रुपये के दायरे में रखा गया है।
कंपनी के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ऐसी संभावनाओं के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी। आईडीएफसी के एक प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि इस संदर्भ में किसी बैंक के साथ बातचीत नहीं चल रही है।
आईडीएफसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘आईडीएफसी जाखिम प्रबंधन क्षमताओं, प्रबंधन, वित्तीय बुक, परिसंपत्तियां, आकार और अधिग्रहित किए जाने वाले बैंक ी पहुंच का आकलन करेगी। सौदा कुछ इस प्रकार किया जाएगा कि आईडीएफसी बैंक का बैंकिंग लाइसेंस लेकर सीधे बैंकिंग कारोबार में आ जाए।’
कोटक महिंद्रा आरबीआई से बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त करने वाली आखिरी एनबीएफसी थी। जबकि रिलायंस कैपिटल और टाटा कैपिटल ने भी आरबीआई से बैंकिंग लाइसेंस लेने की उत्सुकता दिखाई है। सूत्रों ने कहा कि आरबीआई की अनुमति लेने के मामले में आईडीएफसी सबसे आगे चल रहा है।
वर्तमान नियामकीय नियम किसी कॉर्पोरेट इकाई को तब तक बैंकिंग लाइसेंस की अनुमति नहीं देते जब तक कि यह फंडिंग, ब्रोकरेज और विनिमय के कारोबार को अलग प्रभागों में नहीं बांट देते। आईडीएफसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘परिसंपत्ति और देनदारी दोनों में विकल्प है। वैसे हम बैंकिंग में उतरने के बारे में भी सोच रहे हैं।’
