आईसीआईसीआई लोमबार्ड जनरल इंश्योरेंस ने वेदर रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज (डब्ल्यूआरएमएस) के सहयोग से पंजाब के पटियाला जिले में गेहूं उत्पादक किसानों के जोखिम को बीमा के दायरे में लाने के लिए मौसम और उपग्रह चित्र पर आधारित बीमा योजना शुरू की है।
हालांकि मौसम-आधारित फसल बीमा पहले से ही उपलब्ध है, लेकिन आईसीआईसीआई लोमबार्ड की यह नई योजना अनूठी है और इसमें फसल की पैदावार का आकलन उपग्रह आधारित चित्रों के इस्तेमाल से किया जाता है।
झारखंड और तमिलनाडु सरकारों ने अपने कुछ जिलों में इस बीमा योजना को लागू किए जाने पर सहमति भी जता दी है। यदि यह योजना सफल होती है तो इससे फसल की पैदावार का आकलन करने के लिए कम समय की जरूरत होगी।
इस बीमा योजना के जरिए नॉरमलाइज्ड डिफरेंस वेजीटेशन इंडेक्स (एनडीवीआई) के आधार पर फसल की पैदावार का आकलन किया जाएगा। एनडीवीआई एक ऐसा पैमाना है जिसे आकाशीय चित्रों के आधार पर तैयार किया जाता है। यह आंकड़ा चार अन्य मानदंडों – मिट्टी, उपग्रह चित्रों से प्राप्त आर्द्रता आंकड़ा, जमीनी मौसम पर्यवेक्षण स्टेशनों से प्राप्त तापमान और वर्षा जल का आंकड़ा – के इस्तेमाल से संवर्धित होगा। वहीं एनडीवीआई डाटा 0.050 गुणा 0.050 (अक्षांश और देशांतर) के रेजोल्यूशन से लिए गए उपग्रह चित्रों पर निर्धारित है। मिट्टी में नमी का पता 0.5 डिग्री गुणा 0.5 डिग्री के आकार के चित्रों से चल पाएगा।
वर्तमान राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में भारतीय कृषि बीमा कंपनी राशि का निर्धारण करती है। लेकिन यह पूरी प्रक्रिया केंद्र सरकार की देखरेख में संचालित की जाती है। किसानों को यह मुआवजा राशि प्राप्त करने में एक साल से अधिक का वक्त लग जाता है। मौसम और उपग्रह के चित्रों का इस्तेमाल करने से दावे का निपटान 30 दिन में किया जा सकता है। इस बीमा योजना के प्रमुख आलोक शुक्ला का कहना है कि इस योजना का इस्तेमाल फसल की निगरानी और अनाज उत्पादन की सटीक भविष्यवाणी करने के लिए भी किया जा सकेगा। इस योजना से निश्चित रूप से किसानों को लाभ पहुंचेगा और सरकार अनाज की संभावित कमी को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
