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सुधार के लिए करना होगा इंतजार

Last Updated- December 15, 2022 | 3:01 AM IST

देश में लॉकडाउन में ढील के साथ आर्थिक गतिविधियों ने कुछ जोर पकड़ा है मगर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को लगता है कि गतिविधियां कुछ और समय तक मंद ही रह सकती हैं क्योंकि कुछ राज्यों ने सख्ती के साथ दोबारा लॉकडाउन लागू कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने आज जारी सालाना रिपोर्ट में यह भी कहा कि कोविड-19 का टीका मिलने के बाद प्रोत्साहन के उपाय वापस लेना जरूरी होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक गतिविधियों में अभूतपूर्व कमी आई है। लॉकडाउन में ढील के बाद मई और जून में गतिविधियां तेज हुई थीं मगर कई राज्यों में दोबारा सख्त लॉकडाउन लगाए जाने से जुलाई और अगस्त में सारी तेजी गायब हो गई। इससे लगता है कि दूसरी तिमाही में भी आर्थिक गतिविधियों में कमी आएगी।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि खपत को तगड़ा झटका लगा है और हालात सुधरने तथा महामारी से पहले जैसी खपत होने में कुछ समय लग जाएगा। महामारी से लडऩे के लिए सरकारी खर्च बहुत बढ़ाया जा चुका है, इसलिए मांग पर आधारित गतिविधियों में काफी कमी आएगी। रिपोर्ट में कहा गया, ‘सरकारी वित्त का इतना इस्तेमाल कर लिया गया है कि वृद्घि के लिए पूंजीगत खर्च में कमी लाजिमी लग रही है।’ महामारी के दौरान रुके कर्ज और दूसरी देनदारी की वजह से भविष्य में वित्तीय नीति काफी बदली होगी। रिपोर्ट कहती है, ‘खजाना मजबूत करने की भरोसेमंद योजना ही अब कारगर होगी, जिसमें कर्ज तथा राजकोषीय घाटा कम करने के सटीक उपाय बताए जाएं।’
आरबीआई ने सुझाव दिया है कि सरकार को कर भुगतान में डिफॉल्ट करने वालों का पता लगाने और कर आधार बढ़ाने के लिए बिग डेटा तथा तकनीक का इस्तेमाल  करना चाहिए। इसके साथ ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नियम उपयुक्त और सरल बनाने चाहिए। रोजगार सृजन पर ध्यान देना चाहिए और श्रम का ज्यादा इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
सुधार और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को स्टील, कोयला, बिजली, जमीन तथा रेलवे की संपत्तियों से कमाई की संभावना तलाशनी चाहिए और प्रमुख बंदरगाहों के निजीकरण पर विचार करना चाहिए।
आरबीआई के अनुसार बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अब कंपनी जगत के लिए रकम के प्राथमिक स्रोत का अपना दर्जा खो रही हैं क्योंकि अब कंपनियां पूंजी और बॉन्ड बाजार पर ज्यादा ध्याना दे रही हैं। फिर भी वित्तीय कंपनियों को जोखिम से बचने की अपनी आदत छोडऩी होगी क्योंकि उसके कारण अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को कर्ज मिलने में अड़चन आ रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘संकट अपने साथ अवसर भी लाया है और भविष्य ती तस्वीर इस बात से तय होगी कि उनका फायदा कैसे उठाया जाता है।’ वृहद आर्थिक मोर्चो पर नरमी से बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता, पूंजी पर्याप्तता और लाभदेयता प्रभावित होगी। रिपोर्ट कहती है, ‘महामारी के कारण कर्ज भुगतान में मॉरेटोरियम, ब्याज भुगतान को टालने और कर्ज पुनर्गठन जैसे नियामकीय उपाय जरूरी हो गए हैं मगर उन पर ठीक से नजर नहीं रखी गई और सही इस्तेमाल नहीं किया गया तो बैंकों की माली हालत पर असर पड़ सकता है।’ नियामकीय रियायतों और उपायों ने महामारी के कारण बिगड़ी स्थिति पर पर्दा डाल दिया है मगर आगे जाकर हकीकत सामने आएगी।
वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट के जून संस्करण में बताया गया था कि गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) मार्च 2020 के मुकाबले 1.5 गुना बढ़ सकती हैं और स्थिति बहुत गंभीर हुई तो 1.7 गुना इजाफा भी हो सकता है। मार्च 2021 में पूंजी पर्याप्तता अनुपात मार्च 2020 के मुकाबले 13.3 फीसदी ही रह जाएगा। इसलिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने की जरूरत होगी। दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों ने प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए महंगाई काबू करने के फेर में अपनी बैलेंस शीट पर दबाव बना लिया है। ब्याज दरें असामान्य तौर पर कम रखने का मतलब है सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में कर्ज बेलगाम तरीके से बढऩा क्योंकि कर्ज चुकाने का दबाव ही नहीं है। 30 जून को आरबीआई की बैलेंस शीट 30.02 फीसदी बढ़ी है। केंद्रीय बैंक ने अपनी आपात निधि में 73,615 करोड़ रुपये डाले हैं। सरकार को कुल 57,128 करोड़ रुपये का अधिशेष हस्तांतरित किया गया जबकि पिछले साल 1.76 लाख करोड़ रुपये दिए गए थे।
केंद्रीय बैंक के पास घरेलू बॉन्ड में 11.7 लाख करोड़ रुपये के घरेलू बॉन्ड और 10.2 लाख करोड़ रुपये के विदेशी बॉन्ड हैं। एक साल पहले इसी समय उसके 9.9 लाख करोड़ रुपये के घरेलू और 7 लाख करोड़ रुपये के विदेशी बॉन्ड थे।सालाना रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2019-20 में बैंक धोखाधड़ी के मामले 159 फीसदी बढ़कर 1.85 लाख करोड़ रुपये हो गए। जाली (नकली) नोटों की संख्या भी 144.6 फीसदी बढ़ी है। इनमें 10, 50, 200 और 500 रुपये के नोट शामिल हैं। हालांकि 20, 100 और 2,000 रुपये के पकड़े गए नकली नोटों की संख्या में कमी आई है।

First Published - August 25, 2020 | 10:54 PM IST

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