आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने रणनीतिक विनिवेश के साथ ही आईडीबीआई बैंक को प्रबंधन नियंत्रण हस्तांतरण करने की आज मंजूरी दे दी। इससे सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के लिए आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाने का रास्ता साफ हो गया है।
एलआईसी के निदेशक मंडल ने बैंक में अपनी हिस्सेदारी कम करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
आईडीबीआई बैंक में सरकार के पास 45.48 फीसदी हिस्सेदारी है और एलआईसी के पास 49.24 फीसदी शेयर हैं। एलआईसी और सरकार द्वारा आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी कितनी घटाई जाएगी, इसका निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से लिया जाएगा। एलआईसी के निदेशक मंडल का निर्णय भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के दिशानिर्देश के भी अनुरूप है जिसमें एलआईसी को आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 15 फीसदी से कम करने को कहा गया है।
मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद अब निवेश एवं सावर्जनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) विनिवेश प्रक्रिया पर आगे बढ़ेगा और शेयर बिक्री के लिए मध्यस्थतों की नियुक्ति करेगा।
रणनीतिक खरीदार को पूंजी निवेश करने के साथ ही नई तकनीक लानी होगी और आईडीबीआई बैंक के विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रबंधकीय कार्यप्रणालियों को लागू करना होगा। बयान में कहा गया है कि नए खरीदार को बैंक के लिए ज्यादा से ज्यादा कारोबार जुटाना होगा और पैसे के लिए एलआईसी या सरकार पर निर्भरता खत्म करनी होगी। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि आईडीबीआई बैंक में हिस्सा बेचने का एलआईसी का निर्णय सरकार के समन्यवय से लिया गया है क्योंकि नया खरीदार बैंक में बहुलांश हिस्सेदारी लेने के लिए इच्छुक हो सकता है। नया खरीदार अगर सरकार की पूरी हिस्सेदारी खरीदता है तब भी एलआईसी सह-प्रवर्तक या बहुलांश हिस्सेदार बनी रह सकता है, जिससे मुख्य निर्णय लागू करने में खरीदार को समस्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि दीपम अब ऐसे खरीदार की तलाश करेगा जो आरबीआई के मानदंड के हिसाब से अनुकूल हो।
2020-21 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि आईडीबीआई बैंक में सरकार की शेष हिस्सेदारी निजी, रिटेल और संस्थागत निवेशकों को स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से बेची जाएगी। हालांकि कोविड महामारी ने सरकार की विनिवेश योजना को पटरी से उतार दिया और सीतारमण ने इस साल के बजट में ऐलान किया था कि आईडीबीआई बैंक सहित कई अन्य विनिवेश 2021-22 में पूरे होंगे।
वित्तीय स्थिति में सुधार के बाद मार्च में आईडीबीआई बैंक को करीब चार साल बाद आरबीआई के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) प्रारूप से बाहर कर दिया गया था। वित्त वर्ष 2021 को आईडीबीआई बैंक पांच साल बाद मुनाफे में आया है और इस दौरान उसे 1,359 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। वित्त वर्ष 2020 को बैंक को 12,887 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
