भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की हाल में आई मुद्रा और वित्त रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक को रिवर्स रीपो और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दरों में बदलाव करने देने की जोरदार मांग की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) रीपो दर पर निर्णय ले सकती है।
छह सदस्यीय एमपीसी में गवर्नर सहित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से तीन सदस्य हैं।
पॉलिसी कॉरिडोर रीपो दर जिस पर केंद्रीय बैंक, बैंकों को ऋण देता है और रिवर्स रीपो दर जिस पर रिजर्व बैंक, बैंकों का धन लेता है, के बीच अंतर होता है। बैंकों को सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) नाम की आपात नकदी उधारी सुविधा मिली हुई है जिसके जरिये बैंक रीपो दर से 25 आधार अंक अधिक का भुगतान कर रिजर्व बैंक से उधार ले सकते हैं। 17 अप्रैल को जब रिजर्व बैंक ने अलग से निर्णय लेते हुए रिवर्स रीपो में कटौती कर दी थी तब उसे आलोचना झेलनी पड़ी थी। इन आलोचकों में पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल भी शामिल थे जिन्होंने कहा था कि इस निर्णय से एमपीसी की शक्ति को कम हुई है।
शुक्रवार को जारी की गई मुद्रा और वित्त रिपोर्ट कहती है कि रिजर्व बैंक को निश्चित तौर पर तरलता प्रबंधन उद्देश्यों के लिए रिवर्स रीपो दर और एमएसएफ दर में बदलाव करने की स्वतंत्रता अपने पास रखनी चाहिए। बहरहाल, रिपोर्ट को लेकर केंद्रीय बैंक का दावा है कि यह उसका आधिकारिक मत नहीं है।
रिपोर्ट में तर्क दिया है कि ये दरें रीपो से जुड़ी हुई हैं और रीपो दर कार्रवाई पर निर्णय लेकर एमपीसी प्रभावी तरीके से इन दरों पर भी निर्णय ले सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘रिवर्स रीपो दर और एमएसएफ दर में बदलाव के निर्णय और उनकी घोषणाएं एमपीसी की राय से बाहर निकलकर विकास और नियामकीय नीतियों पर रिजर्व बैंक के वक्तव्य में शामिल हो सकते हैं।’
इसके अलावा, रिजर्व बैंक को अपेक्षाओं को पूरा करने के उद्देश्य से यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि सामान्य दिनों में यह एमएसएफ दर और नियत रिवर्स दर के साथ समरूप दायरे के भीतर कार्य करेगा और इसके पास असाधारण समय में असंयमित तरलता समायोजन सुविधा (एलएलएफ) कॉरिडोर के साथ परिचालन करने का विकल्प मौजूद है।
एक ओर जहां एमपीसी को महंगाई लक्ष्य को हासिल करने के लिए निश्चित तौर पर जरूरी रीपो दर को निश्चित करना चाहिए वहीं नीति दर अपने आप में एलएलएफ दायरे का हिस्सा है।
मौद्रिक नीति की परिचालन प्रक्रिया मौद्रिक नीति के परिचालन लक्ष्य- डब्ल्यूएसीआर (भारित औसत कॉल दर) को रीपो दर से मेल बैठाने के उद्देश्य से निर्देशित होता है। इसे मौद्रिक नीति के कदमों के अनुरूप सक्रिय तरलता प्रंधन के जरिये पूरा किया जाता है।
रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि दिन प्रति दिन का तरलता प्रबंधन कार्य पूरी तरह से रिजर्व बैंक के कार्यक्षेत्र में हैं।
