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ब्याज दरें बढ़ने के बाद भी घर बिकने की आस

Last Updated- December 11, 2022 | 4:46 PM IST

प्रॉपर्टी डेवलपरों, फंड प्रबंधकों और रियल स्टेट सलाहकारों का कहना है कि बढ़ती ब्याज दरों से आवास की बिक्री की वृद्धि पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है। कई का अभी भी मानना है कि दरें अभी उतनी ज्यादा नहीं हैं, जितनी पिछले दशक में रही हैं  और मकानों की कीमत अभी भी कम है। 
गोदरेज प्रॉपर्टीज के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक मोहित मल्होत्रा ने कहा, ‘फिलहाल मांग पर कोई असर नहीं है। हमारे बेहतर प्रदर्शन वाले इलाके (मुबई और थाणे) में न सिर्फ दरों में बल्कि स्टांप शुल्क में भी 1 प्रतिशत वृद्धि हुई है। ब्याज दर और स्टांप शुल्क बढ़ने के व्यवधान के बावजूद मुंबई और थाणे की हमारी परियोजनाओं में मांग बढ़ी है।’ गोदरेज प्रॉपर्टीज की पहली तिमाही में अब तक की सबसे ज्यादा बुकिंग 2,520 करोड़ रुपये की हुई है। 
टाटा रियल्टी ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर और टाटा हाउसिंग डेवलपमेंट कंपनी के प्रबंध निदेशक और सीईओ संजय दत्त ने कहा कि बिक्री और पंजीकरण की मात्रा लगातार बढ़ रही है, भले ही लागत बढ़ी है।

उन्होंने कहा, ‘हमने पाया है कि ब्याज दरों में पहले की बढ़ोतरी से मकान के खरीदारों की धारणा प्रभावित नहीं हुई है।’ उन्होंने कहा कि टाटा हाउसिंग अपनी 9 आवासीय परियोजनाओं में 12 महीने के लिए 3.5 प्रतिशत ब्याज दर की वित्तीय सहायता मुहैया कराकर हाल की बढ़ोतरी से मकान के खरीदारों को राहत दे रही है। उन्होंने कहा कि विभिन्न शहरों में स्थित इन परियोजनाओं पर प्रोत्साहन देने से हमारे ग्राहक मकान खरीदने के बारे में फैसला कर सकेंगे। 
बेंगलूरू की ब्रिगेड इंटरप्राइजेज में मुख्य वित्तीय अधिकारी अतुल गोयल ने कहा कि रीपो रेट में बढ़ोतरी की उम्मीद पहले से ही की जा रही थी, इसका रियल एस्टेट क्षेत्र पर मामूली असर पड़ेगा।

वाल्टन स्ट्रीट ब्लैकसॉइल फंड के कार्यकारी निदेशक कौशिक देसाई ने कहा, ‘हमारा मानना है कि ब्याज दर में बढ़ोतरी के बावजूद मांग बनी रहेगी क्योंकि भर्तियां बढ़ रही हैं और आमदनी बढ़ रही है। वित्त वर्ष 22 में आईटी क्षेत्र ने सबसे ज्यादा भर्तियां की हैं। वेतन वृद्धि भी दो अंकों के प्रतिशत में रही है। इसकी वजह से ईएमआई में बढ़ोतरी की भरपाई हो सकेगी।’ 
सलाहकार भी देसाई से सहमत हैं। नाइटफ्रैंक में निदेशक-शोध विवेक राठी ने कहा कि इस साल मई से रीपो रेट में बढ़ोतरी शुरू हुई है,जिसका असर आवास ऋण की ब्याज दरों पर भी पड़ेगा। इसके अलावा पिछले साल मकानों के दाम भी 4 से 7 प्रतिशत बढ़े हैं। मुंबई जैसे बाजारों में 16 माह पहले की तुलना में एक प्रतिशत ज्यादा स्टांप शुल्क भी देना पड़ रहा है। राठी ने कहा, ‘इसकी वजह से ग्राहकों वहनीयता कम हुई है, लेकिन आवास क्षेत्र की गति बनी हुई है, क्योंकि लोगों की आमदनी बढ़ी है और अपने मकान की इच्छा मांग को समर्थन दे रही है।’

First Published - August 9, 2022 | 2:39 PM IST

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