अप्रैल-अगस्त, 2021 में ऋण अनुपात तेजी से बढ़कर 2.3 पर पहुंच गया है, जो वित्त वर्ष 21 के पहले 5 महीने के दौरान 0.56 था। एक्यूट रेटिंग्स के मुताबिक यह रीडिंग कोविड-19 के पहले के 2019 के 1.8 के स्तर को भी पार कर गई है। इससे कंपनियों की सेहत में सुधार के संकेत मिलते हैं।
नीतिगत समर्थन, नकदी मुहैया कराने के लिए उठाए गए कदमों और कर्ज के कम स्तर, महामारी की शुरुआत में पैदा हुआ डर कम होने और निर्यात की तेज मांग की वजह से बेहतर रेटिंग हुई है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि साथ ही इसमें निजी खपत की बहाली को भी शामिल किया गया है।
वित्त वर्ष 21 में कॉर्पोरेट के लचीले प्रदर्शन में विनिर्माण क्षेत्र का अहम हिस्सा रहा है, जिसमें कर्ज का कम स्तर और महामारी के शुरुआती दौर की आशंकाएं शामिल हैं। टीकाकरण में प्रगति और महामारी की तीसरी लहर का जोखिम धीरे धीरे कम होने के कारण निजी खपत की मांग वित्त वर्ष 22 की दूसरी छमाही में बढऩे की उम्मीद है।
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से कोविड-19 महामारी के दौरान मौद्रिक नीति के कई कदमों से कॉर्पोरेट और वित्तीय क्षेत्र को मदद मिली और वे धन की जरूरतें पूरी करने व नकदी की स्थिति स्थिर बनाए रखने में कामयाब हो सके। साथ ही इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) जैसे कदमों से भी उद्यमों को मदद मिली, जो कार्यशील पूंजी के संकट से गुजर रहे थे।