बुधवार को 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूति का प्रतिफल घट गया जबकि आरबीआई ने रीपो दर 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.90 फीसदी कर दिया। पिछले कारोबारी सत्र में 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों का प्रतिफल 40 महीने के उच्चस्तर 7.518 फीसदी पर बंद हुआ था। विशेषज्ञों ने कहा कि महंगाई के उच्च जोखिम को देखते हुए बॉन्ड का प्रतिफल आगे और सख्त हो सकता है। हालांकि मौजूदा दरें आकर्षक हैं और थोड़ी सतर्कता के साथ मौके का फायदा उठाया जा सकता है। उनका कहना है कि निवेशक 2-3 साल में परिपक्व होने वाले फंडों में निवेश पर विचार कर सकते हैं और फंड मैनेजरों का कहना है कि वे डायनेमिक बॉन्ड फंड में भी निवेश कर सकते हैं।
ट्रस्ट म्युचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला ने कहा, चूंकि महंगाई अभी बने रहने के आसार हैं, ऐसे में लंबी अवधि के फंडों पर जोखिम है क्योंकि प्रतिफल में बढ़ोतरी हो सकती है। सरकारी प्रतिभूतियों की आपूर्ति भी काफी है, ऐसे में 2-3 साल की परिपक्वता अवधि वालों में धैर्यवान डेट इन्वेस्टर्स को अच्छा रिटर्न मिलेगा। बुधवार को 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों का प्रतिफल 7.49 फीसदी पर बंद हुआ। पिछले तीन महीने में प्रतिफल 60 आधार अंक बढ़ा है, जिसकी वजह महंगाई की चिंता व कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी है।
क्वांटम एएमसी के फंड मैनेजर (फिक्स्ड इनकम) पंकज पाठक ने कहा, लिक्विड व डेट फंडों में रिटर्न की संभावना काफी सुधरी है, जब पिछले छह महीनों में बॉन्ड प्रतिफल में तेज उछाल आई। बैंक की बचत दर और लिक्विड फंड के रिटर्न का अंतर और बढ़ेगा और आपके सरप्लस फंडों के लिए आकर्षक बना रहेगा। छोटी अवधि वाले निवेशक औ्र कम जोखिम लेने वालों को अच्छे क्रेडिट पोर्टफोलियो वाली लिक्विड फंडों की श्रेणी से चिपके रहना चाहिए।
लंबी अवधि वाले फंडों की तुलना में अल्पावधि वाले फंड व लिक्विड फंडों ने पिछले एक साल में तीन फीसदी से ज्यादा रिटर्न देने में कामयाबी पाई है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि लंबी अवधि वाले फंडों ने पिछले तीन महीने में औसतन 2.74 फीसदी का नकारात्मक रिटर्न दिया है। वहीं 10 साल वाले से लेकर लंबी अवधि के गिल्ट फंडों में क्रमश: 2.57 फीसदी व 1.68 फीसदी की गिरावट आई है।
एडलवाइस एएमसी ने एक नोट में कहा है, लंबी अवधि का नजरिया रखने वाले निवेशकों को टार्गेट मैच्योरिटी बॉन्ड ईटीएफ या बॉन्ड इंडेक्स फंडों (जिसकी परिपक्वता अवधि 5 से 10 साल हो) पर विचार करना चाहिए, जो उनकी सहजता पर निर्भर करेगा। जोखिम-प्रतिफल का अनुपात निवेशकों के हक में है, जो इन परिपक्वता अवधि वाले बॉन्ड ईटीएफ में निवेशित हैं। निवेशकों को दिसंबर 2022 तक तीन से चार चरणों में निवेश पर विचार करना चाहिए।
