क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन पर पहले ही डिफॉल्ट झेल रहे बैंकों के लिए रिजर्व बैंक का ब्याज दरों में इजाफे फैसले से बैंको के डिफॉल्ट होने की संभावना है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने पहले ही बैंकों को असुरक्षित लोन पर होने वाले डिफॉल्ट को लेकर सजग किया था। एक और जहां बैंकों के पर्सनल और हाउसिंग लोन की संख्या में धीरे धीरे गिरावट आई है, वहीं दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक बैंक के क्रेडिट कार्ड कारोबार की कुल देनदारी 87 फीसदी बढ़कर 26,596 करोड़ पर पहुंच गई है।
गौरतलब है कि इसमें से 12,375 करोड़ रुपए मई 2007 से इस साल मई के दौरान जुड़े हैं। मई 2007 तक कार्ड की देनदारियों में इजाफा केवल 45 फीसदी का था। आर्थिक विश्लेषकों और बैंकर्स को शंका है कि ऊंची ब्याज दरों के चलते क्रेडिट कार्ड का आउटस्टैंडिंग बैलेंस लगातार बढ़ता जा रहा है। बैंक पहले से भी यह शिकायत कर रहे हैं कि उनकेअसुरक्षित लोन जैसे क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन पर डिफॉल्ट लगातार बढ़ता जा रहा है।
पर्सनल लोन की संख्या में भी धीमी गिरावट देखी गई और जिसकी वजह रही ऊंची ब्याज दरें। इस सेगमेंट की ग्रोथ में मई 2007 के 23.9 फीसदी की तुलना में मई 2008 में 16 फीसदी पर पहुंच गए। पर्सनल लोन की हिस्सेदारी कुल डिफॉल्ट लोन में 17 फीसदी की है। हाउसिंग लोन की संख्या में भी गिरावट आई है और यह 13.8 फीसदी के स्तर पर है जबकि पिछले साल यह 21.6 फीसदी पर रहा था।
हालांकि कॉमर्शियल रीयल एस्टेट क्षेत्र की लोन ग्रोथ रेट में गिरावट नहीं आई है लेकिन अगर भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में और बढ़ोतरी की घोषणा करता है तो रीयल एस्टेट की लोन ग्रोथ पर प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन इस क्षेत्र की ग्रोथ रेट भी अब उतनी आकर्षक नहीं रह गई है जितनी कि एक साल पहले थी। इस सेगमेंट की ग्रोथ रेट भी पिछले साल के 69.7 फीसदी से 32 फीसदी के स्तर पर आ गया है।