कर्ज देने वाले अवैध ऐप (ऋण ऐप) पर सख्ती दिखाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ऐसे कानूनी तौर पर सही यानी वैध ऐप की एक सूची तैयार करने जा रहा है। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय पक्का करेगा कि ऐप स्टोर पर ऐसे असली और भरोसेमंद ऐप ही रहें। यह फैसला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया। यह बैठक नियमित बैंकिंग दायरे से बाहर कर्ज देने वाले अवैध ऐप से जुड़ी तमाम समस्याओं पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी।
वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘आरबीआई ऐसे फर्जी या किराये पर लिए गए खातों पर नजर रखेगा, जो काले धन को सफेद बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए हो सकते हैं या निष्क्रिय पड़ी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बंद करेगा ताकि उनका दुरुपयोग न हो सके। आरबीआई यह भी सुनिश्चित करेगा कि भुगतान एग्रीगेटरों का पंजीकरण निर्धारित समय के भीतर पूरा हो जाए और उसके बाद वह किसी भी अपंजीकृत भुगतान एग्रीगेटर को काम नहीं करने देगा।’
सरकार ने यह कदम तब उठाया है, जब ऐप स्टोरों पर मौजूद गैर कानूनी ऋण ऐप कोविड महामारी से प्रभावित और कम आय वाले लोगों को बेहद ऊंची ब्याज दर पर छोटी-छोटी रकम के कर्ज देते पाए गए। इतना ही नहीं, वे ऐप लोगों से कई तरह के छिपे शुल्क और प्रोसेसिंग शुल्क वसूल रहे थे तथा वसूली के समय कर्जदारों को परेशान भी कर रहे थे।
मंत्रालय ने बताया कि सीतारमण ने काले धन को सफेद बनाने, कर चोरी करने, डेटा में सेंध लगने और गैर विनियमित भुगतान एग्रीगेटरों, मुखौटा कंपनियों, बंद पड़ी एनबीएफसी आदि का दुरुपयोग ऐसै कामों के लिए किए जाने की आशंका का भी उल्लेख किया।
प्रस्तावित उपायों के तहत कंपनी मामलों का मंत्रालय उन मुखौटा कंपनियों की पहचान करेगा, जिनका इस्तेमाल रकम की हेराफेरी के लिए किया जा सकता है और दुरुपयोग रोकने के लिए उनका पंजीकरण खत्म कर देगा। सभी मंत्रालय और सरकारी एजेंसियों से कहा गया है कि गैर कानूनी ऋण ऐप को काम करने से रोकने के लिए अपने-अपने क्षेत्र में समुचित कार्रवाई करें।
वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘ग्राहकों, बैंक कर्मचारियों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अन्य हितधारकों के बीच साइबर जागरूकता बढ़ाने की पहल करनी चाहिए। सभी मंत्रालय और एजेंसियां ऐसे अवैध ऋण ऐप का परिचालन रोकने के लिए हरसंभव कार्रवाई करें।’
सीतारमण की अध्यक्षता में हुई बैठक में वित्त सचिव टीवी सोमनाथन, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ, राजस्व सचिव तरुण बजाज, वित्तीय सेवा सचिव संजय मल्होत्रा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव अखिलेश कुमार शर्मा और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर तथा कार्यकारी निदेशक भी शामिल थे।
ऐसे ऐप के खिलाफ सख्ती उस समय बरती गई है, जब केंद्रीय बैंक ने कर्जदारों को लुभाकर कर्ज देने और उसकी वसूली के लिए परेशान करने, ब्लैकमेल करने तथा डराने की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए केंद्र से व्यवस्था तैयार करने की सिफारिश की है। 10 अगस्त को जारी नियामकीय प्रारूप में आरबीआई ने कहा है कि कर्ज वे इकाइयां ही देंगी, जो उसके दायरे में आती हैं या जिन्हें कानूनी मंजूरी मिली हुई है। यह भी कहा गया है कि डिजिटल ऋण किसी तीसरे पक्ष के जरिये नहीं मिलना चाहिए बल्कि सीधे कर्ज लेने वाले के खाते में पहुंचना चाहिए।
आरबीआई को जनवरी, 2020 से मार्च, 2021 के बीच डिजिटल ऋण ऐप्स के खिलाफ करीब 2,562 शिकायतें मिली हैं। बैंकिंग नियामक ने पाया है कि प्ले स्टोर पर 600 से ज्यादा अपंजीकृत ऋण ऐप मौजूद हैं।