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कर्ज माफी प्राथमिकता प्राप्त सेक्टर के मद में जुड़े: बैंक

Last Updated- December 07, 2022 | 5:41 PM IST

सरकारी बैंकों ने कहा है कि किसानों को दी गई कर्ज माफी की राशि को तब तक कृषि कर्ज के मद में रखने की अनुमति दी जाए जब तक सरकार इसकी रकम बैंकों को नहीं दे देती ताकि ये बैंक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को दिए जाने वाले कर्ज का कोटा पूरा कर सकें।


पिछले सप्ताह सभी सरकारी बैंकों की वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ हुई बैठक में इस मामले पर विस्तार से चर्चा हुई। कृषि, कम लागत के घर और कुटीर उद्योग इस प्राथमिक क्षेत्र में आते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) ने बैंकों के लिए इस क्षेत्र को 40 फीसदी शुध्द क्रेडिट देना अनिवार्य कर रखा है। इसमें अकेले कृषि क्षेत्र के लिए क्रेडिट का दायरा 18 फीसदी है।

केंद्र की किसानों को दी गई कर्ज माफी से बैंकों पर 71,000 करोड़ रुपये का भार पड़ा है, जबकि इसका आकलन 66,000 करोड़ रुपये ही किया गया है। इसमें सरकारी बैंकों का शेयर 30,672 करोड़ रुपये है। सरकार बैंकों को यह राशि चार किश्तों में जुलाई 2011 तक चुकता करेगी। बैंकों को जारी वित्तीय वर्ष 2008-09 में 32 फीसदी की पहली किश्त मिलने की उम्मीद है।

जुलाई माह के अंत में आरबीआई ने इस आशय की अपने दिशानिर्देश में कहा था कि बैंकों को कर्जमाफी की राशि को अलग खाते में डालना होगा। इससे बैंकों की पेशानी में बल पड़ गए हैं क्योंकि इसका अर्थ सीधे-सीधे 30,000 करोड़ रुपये का अकेले कृषि क्षेत्र से अलग हो जाना होगा।

अत: आरबीआई की शर्तों के तहत प्राथमिक क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्ज के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी। इसमें से 10,000 करोड़ रुपये उन्हें इसी मौद्रिक वर्ष में सरकार से मिलने वाले हैं, लेकिन शेष 20,000 करोड़ रुपये उन्हें ऐसे समय में जुटाने होंगे जब तरलता बेहद सिकुड़ चुकी है। यह इस साल जारी होने वाले सामान्य कर्जों से ऊपर होगा।

एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुख ने बताया कि सरकार कर्जमाफी की राशि तीन सालों में चुकाएगी, वह भी बिना किसी मुनाफे के। इस स्थिति में प्राथमिक क्षेत्र को दिए जाने वाले अनिवार्य कर्ज की सीमा को पूरा करना मुश्किल होगा।

First Published - August 19, 2008 | 12:20 AM IST

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