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बैंकों को विकास की आस, लेकिन नकदी नहीं पास

Last Updated- December 08, 2022 | 4:06 AM IST

देश के आठ अग्रणी बैंकों के प्रमुख भारत के मध्यम और दीर्घ अवधि के विकास को लेकर आशावादी दिखे लेकिन उन्होंने बाजार में नकदी केअभाव और परिसंपत्ति की गुणवत्ता में आ रही गिरावट पर अपनी चिंता जाहिर की है।


बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा आयोजित राउंड टेबल सम्मेलन में बैंकरों ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट का भारत पर प्रभाव बहुत ही सीमित होगा क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था में मांग और खपत में किसी भी तरह की कमी फिलहाल नहीं दिख रही है और मांग की हालत अब भी काफी अच्छी बनी हुई है।

बैंकरों के अनुसार भारत की विशाल जनसंख्या और भारतीय वित्तीय प्रणाली में मजबूती के कारण भारत वैश्विक वित्तीय संकट का सामना आसानी से कर लेगा। इस बैठक में कई प्रमुख बैंकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

बैंकरों ने कहा कि वे कंपनियों को अभी भी कर्ज दे रहा है क्योंकि इस कठिन हालात में भी भारतीय अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना मौजूद है। हालांकि बैंकर वैश्विक वित्तीय संकट के कारण दीर्घ अवधि के फंडों कीउपलब्धता में आ रही रुकावट को लेकर काफी चिंतित नजर आए।

इस बारे में आईसीआईसीआई बैंक की संयुक्त प्रबंध निदेशक चंदा कोचर ने कहा कि मांग और आपूर्ति में समन्वय का होना वैश्विक  स्तर पर हो रहे गतिविधियों पर निर्भर करता है। कोचर ने कहा कि अगर विश्व स्तर पर क्रेडिट की स्थिति में सुधार होता है तो आपूर्ति को तेजी से समायोजित किया जा सकता है।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की अध्यक्ष एच ए दारूवाला ने कहा कि अभी भी बैंक पूंजी मुहैया कराने का एक बडा जरिया है क्योंकि म्युचअल फंडों और एनएफबीसी ने कर्ज देना बंद कर दिया है और इस लिहाज से बैंक ही फंड मुहैया कराने का एक मात्र स्त्रोत है।

दारूवाला ने कहा कि मांग की स्थिति बेहतर रहेगी और यह आपूर्ति को पीछे छोड़ देगा।  हालांकि ऐसी कंपनियां जो कि दीर्घ अवधि के फंडों की ताक में हैं उनके लिए भारत में डेट मार्केट की अनुपस्थिति एक बहुत बड़ी समस्या है। बैंकरों के अनुसार आनेवाले समय में यह क्षेत्र सुधार करने केलिहाज से काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा।

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक केक्षेत्रीय मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीरज स्वरूप ने कहा कि कर्जो में 28 प्रतिशत की दर से बढाेतरी हो रही है जिससे कि पूंजी की समस्या कुछ बैंकों के लिए चिंता का कारण बन सकती है।

उन्होंने कहा कि इस दर को बरकारर रखने केलिए इक्विटी जुटाना वैश्विक बाजार में चल रही मंदी को देखकर आसान नहीं लगता है। हालांकि अधिकांश बैंक जिस बात को लेकर सबसे चिंतित दिखे वह थी परिसंपत्ति की गुणवत्ता में आ रही गिरावट।

मंदी से जंग

विशाल जनसंख्या और मजबूत वित्तीय प्रणाली बचाएगी मंदी से

आपूर्ति से ज्यादा मांग होने की उम्मीद, जिससे चमकेगा कारोबार

First Published - November 19, 2008 | 9:51 PM IST

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