ऐसा लगता है कि अमेरिका के सबप्राइम संकट का डर अब भारतीय बैंकों को भी सताना शुरू कर दिया है। शायद यही कारण है कि आईसीआईसीआई बैंक ने नुकसान से बचने के लिए अतिरिक्त 7 करोड़ डॉलर (करीब 280 करोड़ रुपये) की व्यवस्था की थी। अब देश के अन्य बैंक भी नुकसान से बचाव की जुगत में लगे हुए हैं। दरअसल, बीते दिनों बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी यह ऐलान किया कि वह भी नुकसान से बचाव के लिए अतिरिक्त 25 लाख डॉलर (करीब 10 करोड़ रुपये) की व्यवस्था करेगा। उसने यह व्यवस्था क्रेडिट लिंक्ड नोट्स (सीएलएन) में निवेश करने के लिए किया है।
गौरतलब है कि सीएलएन भी एक तरह का क्रेडिट डेरिवेटिव ही है। पिछले साल दिसंबर के अंत तक बैंकों ने सीएलएन में कुल 33 करोड़ डॉलर यानी 1,300 करोड़ रुपये था निवेश किया था।
बहरहाल, बैंकों द्वारा पूरी व्यवस्था मार्क-टू-मार्केट प्रारूप के अनुसार ही किया जाएगा। हालांकि बैंकों ने पहले से ही 28 लाख डॉलर (करीब 11 करोड़ रुपये) की व्यवस्था किए हुए है।
अगर ये निवेश 29 फरवरी के के बाजार को चिह्नित कर देती है तो अतिरिक्त व्यवस्था 25 लाख डॉलर हो जाएग। यह क्रेडिट स्प्रेड के रूप में बढ़ाया जाएगा। क्रेडिट स्प्रेड दो समान मैच्युरिटी और अवधि वाले डेट इश्यू के बीच का अंतर कहलाता है।
इस बीच सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों ने यह स्पष्ट किया कि उसके विदेशो में सीडीओज और क्रेडिट डिफाल्ट स्वाप (सीडीएस) से जुड़े कोई निवेश नहीं है।