देश कासबसे बड़ा ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक अब अपना ध्यान छोटे कारोबार और खुदरा खंड में रिकवरी और समाधान पर लगाने जा रहा है। बैंक अधिकांश बड़े दबावग्रस्त खातों में हुई अच्छी खासी वसूली से उत्साहित है।
इससे खुदरा और एमएसएमई ऋणों की रिकवरी के लिए कॉल सेंटरों के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा। बैंक की योजना उप शहरी और ग्रामीण इलाकों में इस प्रकार की बातचीत के लिए कारोबारी संवाददाता की सूची बनाने की भी है। बैंक दोबारा से दबावग्रस्त संपत्ति समाधान समूह (एसएआरजी) में बैंकरों की संख्या बढ़ाने जा रहा है। कुछ तिमाही पूर्व एसबीआई ने इस इकाई में काम कर रहे कर्मियों की संख्या 2,000 से घटाकर 1,600 कर दी थी। एसबीआई में जोखिम, अनुपालन और एसएआरजी के प्रबंध निदेशक स्वामीनाथन जे ने कहा कि बैंक के पास जिस प्रकार की संपत्ति पोर्टफोलियों है उसको देखते हुए यह कोई बड़ी संख्या नहीं है। कार्यकारी ने कहा, ‘बैंक का आगे से इसमें कमी करने का कोई इरादा नहीं है क्योंकि विभिन्न मध्य आकार वाले और छोटे खातों से वसूली की जानी है।’
उन्होंने कहा, ‘मोटे और बड़े दबावग्रस्त खातों जिनमें आपको जटिल क्षमता की आवश्यकता पड़ती है का कमोबेश समाधान हो चुका है।’ अब बैंक को 250 करोड़ रुपये तक की श्रेणी के छोटे मध्य आकार की संस्थाओं के साथ काम करना है। ये वसूली प्रति खाता 5 करोड़ रुपये से लेकर 200 करोड़ रुपये तक भी हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘हमें 3,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक के बड़े आकार की रिकवरी नजर नहीं आएगी।’
बैंक सुरक्षा कम करने नहीं जा रहा है। कार्यकारी ने कहा कि वसूली बकायों के लिए पूछताछ और समाधान पर काम को तेज किया जाएगा ताकि संपत्ति प्रोफाइल में सुधार को सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि बदलाव पुनर्गठन का हिस्सा हैं जिसमें एसएआरजी के पास तीन मुख्य महाप्रबंधक थे जो विभिन्न खंडों पर ध्यान दे रह थे।
