ऊंची ब्याज दरों का पर्सनल लोन पर बुरा असर पड़ा है, लेकिन इसके बाद भी क्रेडिट कार्ड के बकाया में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हाल ही में जारी आंकड़ों में कही गई है।आंकड़ों के अनुसार पर्सनल लोन, होम लोन, फिक्स डिपॉजिट के एवज में लिए गए एडवांस, टिकाउ उपभोक्ता सामानों के लिए फाइनेंस में साल दर साल के लिहाज से वृध्दि कम हुई है।
इसमें इस साल अगस्त तक 17.4 फीसदी की वृध्दि हुई जबकि अगस्त 2007 में यह 21.4 फीसदी थी। लेकिन क्रेडिट कार्ड पर बकाया राशि में 86.3 फीसदी की बढ़ोतरी से बैंकों की पेशानी में बल पड़ रहे हैं। क्योंकि यहां बकाया न चुकाने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।
ऐसे कार्डधारकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है जो अपने बकाया के भुगतान को टाल रहे हैं। क्रेडिट कार्ड के बाद कमर्शियल रियल एस्टेट को दिए जाने वाले लोनों में हुई बढ़ोतरी बैंकों की चिंता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है जो काफी अधिक स्तर पर है।
इसमें साल दर साल के आधार पर 46.3 फीसदी की वृध्दि हुई है जो अगस्त 2007 तक 52.7 फीसदी थी। गैर सरकारी वित्तीय संस्था (एनबीएफसी) को दिए जाने वाले लोन में भी साल दर साल के आधार पर अगस्त में 62.7 फीसदी की वृध्दि हुई जबकि पिछले साल अगस्त 2007 में यह इन लोनों में 49.6 फीसदी का इजाफा हुआ था।
सबकुल मिलाकर नॉन-फूड ग्रॉस बैंक क्रेडिट में इस साल अगस्त की समाप्ति तक 26.8 फीसदी का इजाफा हुआ। इसमें सबसे बड़ा योगदान छोटे, बड़े और मझौले औद्योगिक क्षेत्र को जारी की गई क्रेडिट का रहा। हालांकि इस समयावधि में छोटे उद्योगों को दिए जाने वाले लोनों में महज 9.7 फीसदी का ही इजाफा हुआ जबकि विकास की धीमी दर के बाद भी पेट्रोलियम, कोयला और न्यूक्लियर फ्यूल आदि क्षेत्रों में क्रेडिट की मांग काफी अधिक स्तर पर बनी हुई है।
अगस्त 2008 को इस क्षेत्र को दी जाने वाली क्रेडिट में 92 फीसदी या फिर 29,891 करोड़ रुपये की वृध्दि हुई है।तेल कंपनियों को जारी वित्तीय वर्ष में बड़ी मात्रा में उधार लिया, क्योंकि सरकार द्वारा सब्सिडी का बकाया न चुकाए जाने के कारण वे तरलता की तंगहाली से जूझ रहीं हैं।
अगस्त 2008 में इस क्षेत्र को जारी की गई क्रेडिट में साल दर साल के आधार पर 32.9 फीसदी का इजाफा हुआ। इसके बाद केमिकल उद्योग में सबसे ज्यादा कर्ज में इजाफा हुआ जहां पर साल दर साल के आधार पर क्रेडिट फ्लो 15.1 फीसदी बढ़ा। इस साल अगस्त तक इस क्षेत्र को 14,918 करोड़ रुपये का लोन जारी किया जा चुका है।
इसके बाद साल दर साल के आधार पर स्टील और आयरन क्षेत्र को जारी लोन में 33.7 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि मेटल और मेटल प्रॉडक्टों में 27.4 फीसदी, रत्न और आभूषण क्षेत्र को जारी इंक्रिमेंटल लोन में 15.1 फीसदी का इजाफा हुआ। आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि 29 अगस्त 2008 तक इस नॉन फुट क्रेडिट में डिस्एग्रागेट लेवल 45 फीसदी बढ़ा जबकि पिछले साल यह 40 फीसदी था।
इसके साथ इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कुल उद्योगों को जारी इंक्रिमेंटल क्रेडिट में 25 फीसदी हिस्सेदारी रही, यह इसी समयावधि में पिछले साल 26 फीसदी था।इस क्षेत्र के भीतर इंक्रिमेंटल नॉन फुड क्रेडिट में पर्सनल लोन की हिस्सेदारी 17 फीसदी रही जबकि इंक्रिमेंटल हाउसिंग लोन की हिस्सेदारी 40 फीसदी रही।