इक्विटी बाजारों में तेजी के बावजूद, भारत की प्रमुख सूचीबद्घ परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) ने वित्त वर्ष 2021 में अच्छा प्रदर्शन दर्ज किया है, भले ही कोविड-19 से कई क्षेत्रों का वित्तीय प्रदर्शन प्रभावित हुआ हो। म्युचुअल फंड उद्योग द्वारा पूर्ववर्ती वित्त वर्ष में लगातार आठ महीनों तक कई लाभकारी इक्विटी योजनाओं में शुद्घ निकासी दर्ज किए जाने के बावजूद एएमसी द्वारा बेहतर प्रदर्शन दर्ज किया गया है।
पिछले दो महीनों में इक्विटी फंडों ने शुद्घ पूंजी प्रवाह आकर्षित किया है और विश्लेषकों को राजस्व एवं मुनाफा चालू वित्त वर्ष में बेहतर रहने की संभावना है।
येस सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने निप्पॉन लाइफ इंडिया एएमसी पर अपनी चौथी तिमाही की परिणाम समीक्षा रिपोर्ट में लिखा, ‘अल्पावधि में भारतीय इक्विटी बाजारों में बड़ी तेजी के अपने नजरिये को देखते हुए हमें उद्योग की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) वृद्घि मजबूत बने रहने की संभावना है। उत्पाद मिश्रण का यह बदलाव इक्विटी एयूएम की ऊंची भागीदारी से संबंधित है और इससे बेहतर लाभप्रदाता को बढ़ावा मिल सकता है, क्योंकि इक्विटी एयूएम पर प्रतिफल कुल प्रतिफल का दोगुना है।’ 31 मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष के लिएएचडीएफसी एएमसी का कर-बाद लाभ (पीएटी) 1,326 करोड़ रुपये था, जो पूर्ववर्ती वित्त वर्ष में 1,263 करोड़ रुपये था। इस हिसाब से यह 5 प्रतिशत की वृद्घि है। यह बाजार अनुमानों के मुकाबले कम है।
निप्पॉन लाइफ इंडिया एएमसी (एनएएम इंडिया) का पीएटी सालाना आधार पर 63 प्रतिशत बढ़कर 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष में 680 करोड़ रुपये रहा। फंड हाउस की अन्य आय बढ़कर 357 करोड़ रुपये हो गई जो वित्त वर्ष 2020 में 9.8 करोड़ रुपये थी। इससे कुल आय सालाना आधार पर 19 प्रतिशत बढ़कर 1,419 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
यूटीआई एएमसी का शुद्घ लाभ भी सालाना आधार पर 82 प्रतिशत बढ़कर 494 करोड़ रुपये हो गया, क्योंकि इसे कुल आय में 35 प्रतिशत की शानदार वृद्घि से मदद मिली। बाजार कारोबारियों के अनुसार, कुल आय में वृद्घि भी पिछले वित्त वर्ष में निवेश पर मार्क-टु-मार्केट वृद्घि की वजह से हासिल हुई। निप्पॉन लाइफ इंडिया एएमसी के ईडी एवं सीईओ संदीप सिक्का ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2021 में, हमने मजबूत मुनाफा वृद्घि की अपनी राह को बरकरार रखा और दीर्घावधि प्रतिफल पर ध्यान बनाए रखा, जबकि अपने निवेशक आधार को बढ़ाने की कोशिश भी मजबूत बनी रही। एनएएम इंडिया ने मजबूत मुनाफा दर्ज किया और इसे शानदार परिसंपत्ति वद्घि और बेहतर परिचालन दक्षताओं से मदद मिली।’ परिसंपत्ति प्रबंधकों के लिए मुनाफे के मुख्य वाहक इक्विटी सेगमेंट पर 2020-21 में उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया। जुलाई 2020 और इस साल फरवरी के बीच, इक्विटी योजनाओं से 46,800 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी दर्ज की गई, भले ही सेंसेक्स में इस अवधि के दौरान 40 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी आई। इक्विटी, डेट और अन्य योजनाओं में कुल निकासी इस उद्योग के लिए 2.15 लाख करोड़ रुपये रही।
ध्यान देने की बात यह है कि बिकवाली हाल के महीनों में दर्ज की गई है। मार्च में, आठ महीने के अंतराल के बाद शुद्घ इक्विटी याजनाओं में 9,115 करोड़ रुपये का शुत्र पूंजी प्रवाह दर्ज किया गया। अप्रैल में, इक्विटी योजनाओं ने 3,437 करोड़ रुपये का शानदार पूंजी प्रवाह दर्ज किया था।
हैटॉन्ग ने परिसंपत्ति प्रबंधन क्षेत्र पर अपनी शोध रिपोर्ट में कहा है, ‘वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में तिमाही औसत एयूएम (क्यूएएयूएम)पर दबाव पड़ा था, इसे देखते हुए हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में क्यूएएयूएम वृद्घि काफी मजबूत रह सकती है।’ एचडीएफसी एएमसी और निप्पॉन लाइफ इंडिया एएमसी, दोनों ने पिछले वित्त वर्ष में 35 प्रतिशत से ज्यादा का प्रतिफल दिया। भारतीय म्युचुअल फंड उद्योग द्वारा प्रबंधित कुल परिसंपत्तियां अप्रैल 2020 के 23.53 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर अप्रैल 2021 में 32.43 लाख करोड़ रुपये हो गईं, जो 37.8 प्रतिशत की वृद्घि है। इक्विटी केंद्रित योजनाओं की आनुपातिक भागीदारी अब अप्रैल 2021 में उद्योग की परिसंपत्तियों के 42.4 प्रतिशत पर है, जो अप्रैल 2020 के 38.8 प्रतिशत से ज्यादा है। यह वृद्घि शेयर कीमतों में आई तेजी पर केंद्रित रही।
दीर्घावधि में, इक्विटी एयूएम पिछले 10 साल में 7 गुना बढ़ी हैं, जबकि डेट एयूएम 3 गुना तक बढ़कर 14 लाख करोड़ रुपये और 9 लाख करोड़ रुपये पर रहीं।
उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि म्युचुअल फंडों को आने वाले वर्षों में पारंपरिक से वित्तीय परिसंपत्तियों में स्थानांतरण से लाभ मिल सकता है। इस उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एमएफ उद्योग में विकास के अवसर बरकरार हैं। एयूएम में प्रमुख शहरों का बड़ा योगदान बना रहेगा और यदि फंड हाउस कस्बाई और ग्रामीण इलाकों तक पहुुच बनाने में सफल रहते हैं तो राजस्व और मुनाफे में बड़ी तेजी आएगी।’
कुल एयूएम में शीर्ष-15 शहरों का योगदान पिछले सात वर्षों में 83-85 प्रतिशत के दायरे में रहा।
इसके अलावा डिजिटल मोर्चे पर और फिनटेक जैसे नए वितरण चैनलों से भी वृद्घि की राह मजबूत हो सकती है।