वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में इंडसइंड बैंक के सबसे कमजोर प्रदर्शन के बाद इंडसइंड इंटरनैशनल होल्डिंग्स (आईआईएचएल) के अध्यक्ष और बैंक के प्रमोटर अशोक पी हिंदुजा ने गुरुवार को कहा कि आईआईएचएल व्यापार वृद्धि के लिए आवश्यक होने पर अतिरिक्त पूंजी सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। उनकी टिप्पणी ऐसे समय आई है जब ब्रोकरों ने बैंक के लिए अपने वृद्धि अनुमानों में तेज कटौती की है जिनसे उसकी भविष्य की संभावनाओं पर संदेह पैदा होता है।
हिंदुजा ने एक बयान में कहा, ‘हालांकि बैंक की पूंजी पर्याप्तता काफी अच्छी है। लेकिन व्यापार वृद्धि के लिए अगर किसी इक्विटी की जरूरत हुई है तो इंडसइंड बैंक के प्रमोटर के रूप में आईआईएचएल बैंक को मदद देने के लिए प्रतिबद्ध है जैसा कि उसने पिछले 30 वर्षों में किया है।’
मार्च 2025 तक बैंक में आईआईएचएल की हिस्सेदारी 12.06 फीसदी थी। इसके अलावा बैंक में इंडसइंड लिमिटेड की 3.77 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कुल मिलाकर, बैंक में प्रवर्तकों की 15.83 फीसदी हिस्सेदारी (मार्च 2025 तक) है।
इंडसइंड बैंक ने बुधवार को जनवरी-मार्च तिमाही में 2,329 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया क्योंकि उसने प्रावधानों को काफी बढ़ाया। साथ ही डेरिवेटिव और माइक्रोफाइनेंस में अकाउंटिंग गड़बड़ियों के कारण गलत तरीके से दिखाए गए राजस्व और आय की प्रविष्टियों को उलट दिया। इन गड़बड़ियों का पता तिमाही के दौरान पता चला था। चौथी तिमाही में भारी नुकसान के बावजूद बैंक ने वित्त वर्ष 2025 में 2,575 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो सालाना आधार पर 71 प्रतिशत कम है।
विश्लेषक अनुमानों के अनुसार, 4,660 करोड़ रुपये की लेखांकन गलतियों का बैंक के लाभ और हानि खाते पर असर पड़ा। इनमें से डेरिवेटिव गड़बड़ियां 1,960 करोड़ रुपये थीं और माइक्रोफाइनेंस के बिना अहमियत वाले एनपीए 1,880 करोड़ रुपये थे। लिहाजा, 1,790 करोड़ रुपये के प्रावधान करना पड़ा और 180 करोड़ रुपये का ब्याज वापस लेना पड़ा।
इंडसइंड बैंक के कमजोर तिमाही प्रदर्शन और कई लेखांकन गड़बड़ियों का पता चलने के बाद ब्रोकरों ने इसके वृद्धि अनुमानों में बड़ी कटौती की है। वे एक नए सीईओ की नियुक्ति पर भी नजर रख रहे हैं। बैंक के बोर्ड ने कहा है कि वह चयन प्रक्रिया के अग्रिम चरण में है और उसे विश्वास है कि 30 जून की समय सीमा से पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को इससे संबंधित सिफारिश दे दी जाएगी।
आईआईएफएल सिक्योरिटीज ने एक नोट में कहा, ‘हम वित्त वर्ष 2026-27 के अनुमानों में 40 प्रतिशत की कटौती कर रहे हैं क्योंकि हम इसे बढ़ी हुई आधार लाभप्रदता के लिए समायोजित कर रहे हैं।’ मैक्वेरी कैपिटल के विश्लेषकों के अनुसार बैंक के लिए प्रबंधन उत्तराधिकार को लेकर स्पष्टता, ऊंची ऋण लागत, एनआईएम की स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है।
एमके के विश्लेषकों ने एक नोट में कहा, ‘हालांकि पूंजी और तरलता की स्थिति अभी के लिए अनुकूल है, लेकिन व्यापार व्यवधान और प्रबंधन अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए हमने वित्त वर्ष 2026-28 में अपने कर बाद लाभ के अनुमान में 16-34 प्रतिशत की कटौती की है।’