भारत के फुली एक्सेसिबल रूट (एफएआर) बॉन्ड ब्लूमबर्ग इमर्जिंग मार्केट लोकल करेंसी गवर्नमेंट इंडेक्स तथा संबंधित सूचकांकों में शामिल होने जा रहे हैं। ब्लूमबर्ग ने आज बताया कि भारत के एफएआर बॉन्डों को 10 महीने के भीतर चरणबद्ध तरीके से सूचकांक में शामिल किया जाएगा। इसकी शुरुआत 31 जनवरी, 2025 से होगी।
एफएआर बॉन्ड डेट बॉन्ड होते हैं, जिनके जरिये विदेशी निवेशक या अनिवासी निवेशक भारत सरकार द्वारा जारी होने वाले खास बॉन्डों में निवेश कर सकते हैं। पहले जारी परामर्श पत्र में इन्हें सितंबर, 2024 में इंडेक्स में शामिल करने की बात कही गई थी मगर यह काम चार महीने आगे बढ़ा दिया गया है। जेपी मॉर्गन के बाद यह दूसरा प्रमुख वैश्विक सूचकांक है, जिसमें भारतीय बॉन्ड शामिल होंगे। जेपी मॉर्गन ने कहा था कि 28 जून, 2024 से भारतीय बॉन्ड उसके सूचकांक में शामिल हो जाएंगे।
ब्लूमबर्ग ने आज जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘भारतीय एफएआर बॉन्डों को ब्लूमबर्ग ईएम लोकल करेंसी गवर्नमेंट सूचकांकों में जगह दी जाएगी। शुरुआत में 31 जनवरी, 2025 को उनके पूर्ण बाजार मूल्य के 10 फीसदी भार के साथ उन्हें शामिल किया जाएगा।’ इसके बाद हर महीने एफएआर बॉन्ड के भार में पूर्ण बाजार मूल्य की 10 फीसदी वृद्धि की जाएगी और अक्टूबर, 2025 तक सूचकांकों में उनका भार पूर्ण बाजार मूल्य जितना हो जाएगा।
भारतीय एफएआर बॉन्डों को ब्लूमबर्ग ईएम लोकल करेंसी गवर्नमेंट इंडेक्स, ब्लूमबर्ग ईएम लोकल करेंसी गवर्नमेंट इंडेक्स 10% कंट्री कैप्ड इंडेक्स और उनसे जुड़े सभी उप सूचकांकों में शामिल किया जाएगा। मगर ये बॉन्ड ब्लूमबर्ग ग्लोबल एग्रीगेट और संबंधित सूचकांकों से बाहर ही रहेंगे। इमर्जिंग मार्केट सूचकांकों में शामिल होने में देर का मतलब है कि ग्लोबल एग्रीगेट में शामिल होने में भी देर होगी और यह काम 2025-26 में ही होगा।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘इससे भारत में 2-3 अरब डॉलर निवेश आने की उम्मीद है। पहले बॉन्डों को 5 महीने के भीतर सूचकांक में शामिल करने का प्रस्ताव था, जिसे अब बढ़ाकर 10 महीने कर दिया गया है।’ ब्लूमबर्ग इमर्जिंग मार्केट 10% कंट्री कैप्ड इंडेक्स में पूरी तरह से शामिल होने के बाद भारत 10 फीसदी की सीमा तक पहुंचने वाले चीन और दक्षिण कोरिया के बाजारों के बराबर खड़ा हो सकता है।
भारत बाजार पूंजीकरण यानी मार्केट कैप के हिसाब से भार वाले इस सूचकांक में चीन तथा दक्षिण कोरिया के बाद तीसरा सबसे बड़ा देश बन सकता है। 31 जनवरी, 2024 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि सूचकांक में भारत के 34 बॉन्ड शामिल होंगे और मार्केट कैप भार के हिसाब से 6.18 लाख करोड़ डॉलर सूचकांक में उनकी 7.26 फीसदी हिस्सेदारी होगी।