भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के भुगतान प्लेटफॉर्म यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) में 3-4 देशों ने रुचि दिखाई है। एनपीसीआई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी दिलीप आसबे ने यह जानकारी दी।
कोलकाता में आयोजित पहले जी-20 ग्लोबल पार्टनरशि फार फाइनैंशियल इन्क्लूजन (जीपीएफआई) में अलग से बातचीत करते हुए आसबे ने कहा कि देशों ने यूपीआई स्वीकार करने में दिलचस्पी दिखाई है, लेकिन इसे साइन-अप करने में 12 महीने और लग सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘3-4 देशों ने इसमें रुचि दिखाई है और हम आगे का काम करने की प्रक्रिया में हैं।’
करीब डेढ़ साल पहले एनपीसीआई इंटरनैशनल की स्थापना की गई थी। अब यह विभिन्न देशों से समर्थन पाने की कवायद में है। रिजर्व बैंक और विदेश मंत्रालय अन्य देशों से बातचीत में सहयोग कर रहे हैं। आसबे ने कहा, ‘अन्य देशों के नियामकों से बात कर रिजर्व बैंक हमारा समर्थन कर रहा है। सरकार या नियामक के बगैर यूपीआई व्यवस्था लागू नहीं हो सकती है।’ लागत के ढांचे को लेकर आसबे ने कहा कि मकसद यह था कि छोटे देशों में इस पर 10 लाख डॉलर लागत आए।
यूपीआई से लेन-देन में उल्लेखनीय तेजी आई है और एनपीसीआई की नजर 1 अरब ट्रांजैक्शन रोजाना करने पर है। अभी रोजाना अधिकतम लेन-देन 28 करोड़ है। आसबे ने कहा कि रोजाना कारोबार अभी लक्ष्य से 4 गुना दूर है। आसबे का मानना है कि एक अरब लेनदेन रोजाना का लक्ष्य अगले 2-3 साल में हासिल किए जाने योग्य है।
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कोलकाता में आज जीपीएफआई कार्यसमूह की बैठक में वित्तीय समावेशन में डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) की भूमिका, इसके लाभों और डीपीआई पर आधारित डिजिटल वित्तीय वातावरण को लेकर चर्चा हुई। इस चर्चा में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों के करीब 12 विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।