भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि 7 मार्च को समाप्त पखवाड़े में अर्थव्यवस्था में बैंकिंग ऋण सालाना आधार पर 11.1 फीसदी बढ़ा है, जबकि इस अवधि के दौरान जमा में 10.2 फीसदी वृद्धि हुई है। इससे पता चलता है कि जमा और वृद्धि में अंतर करीब 90 आधार अंक रहा है। हालांकि आंकड़ों के मुताबिक कुल मिलाकर 7 मार्च को समाप्त पखवाड़े में जमा 2.25 लाख करोड़ रुपये और ऋण1.38 लाख करोड़ रुपये बढ़ा है।
आंकड़ों से पता चलता है कि 7 मार्च को समाप्त पखवाड़े में कुल जमा 181.28 लाख करोड़ रुपये जबकि कुल कर्ज 225.10 लाख करोड़ रुपये था। नकदी की स्थिति कमजोर बनी हुई है और जमा आकर्षित करने को लेकर दबाव है। ऐसे में बैंक आक्रामक रूप से कर्ज देने से बच रहे हैं। साथ ही निजी क्षेत्र के बड़े बैंक ऋण और जमा का अनुपात कम करने में लगे हुए हैं, इसकी वजह से ऋण में वृद्धि की रफ्तार पिछले कुछ महीनों में घटी है।
लेकिन रिजर्व बैंक द्वारा लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (एलसीआर) के ढांचे में प्रस्तावित परिवर्तनों के कार्यान्वयन को स्थगित करने और एनबीएफसी पर जोखिम भार में वृद्धि को वापस लेने तथा माइक्रोफाइनैंस ऋणों पर जोखिम भार को युक्तिसंगत बनाने से आने वाले महीनों में ऋण के प्रसार की गति बढ़ सकती है। इसके अलावा रिजर्व बैंक द्वारा दर में कटौती किए जाने से ऋण पर ब्याज दर कम हो जाएगी, इससे भी कर्ज में वृद्धि को बल मिलेगा। बहरहाल बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की कमी के कारण ऋण में विस्तार को लेकर दबाव जारी रह सकता है।
बैंकिंग व्यवस्था में शुद्ध नकदी 2.32 लाख करोड़ रुपये कम है। पिछले 14 सप्ताह से लगातार बैंकिंग व्यवस्था में नकदी में घाटे की स्थिति में बनी हुई है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2025 के लिए ऋण में वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 10.8 से 11.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2026 के लिए 10.4 से 11.2 फीसदी कर दिया है। इसके पहले इक्रा ने इन वित्त वर्षों के लिए क्रमशः 10.5 से 11.0 फीसदी और 9.7 से 10.3 फीसदी के बीच वृद्धि का अनुमान लगाया था।