विधानसभा चुनाव

Bihar Elections 2025: नीतीश, तेजस्वी और भाजपा की जंग तय करेगी सत्ता का रंग

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और भाजपा की जंग विकास, कल्याण योजनाओं और जातीय समीकरणों पर केंद्रित है

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अभिजित कुमार   
Last Updated- October 08, 2025 | 10:29 AM IST

Bihar Elections 2025: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर को होंगे, जबकि नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। यह चुनाव राज्य की राजनीतिक इतिहास में एक अहम पड़ाव हैं, खासकर 2005 के चुनावों के बाद से, जिन्होंने बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव लाया और लालू यादव की आरजेडी की मजबूती को तोड़ दिया। पिछले वर्षों में बिहार की राजनीति विकास, प्रशासनिक सुधार और कल्याण योजनाओं के वादों के साथ-साथ जातीय आधार पर वोटिंग के मिश्रण पर टिकी रही है। राज्य में जनता दल (यूनाइटेड) [JD(U)], राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और भाजपा प्रमुख दल रहे हैं, जबकि कुछ क्षेत्रीय और वाम दल गठबंधनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।

2005 का चुनाव और बिहार की राजनीति में बदलाव

अक्टूबर–नवंबर 2005 के विधानसभा चुनावों ने आरजेडी के लंबे शासनकाल को समाप्त कर दिया। इस चुनाव में JD(U) ने 88 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल बनकर एनडीए सरकार बनाई और बेहतर कानून-व्यवस्था और प्रशासन का वादा किया। इसके बाद बिहार की राजनीति में पहचान आधारित मतदान से विकास और प्रशासन केंद्रित एजेंडा की ओर बदलाव आया।

नीतीश कुमार ने लगातार अपने विकास एजेंडे को रफ्तार दी—सड़क, बिजली, स्कूल और अपराध नियंत्रण पर जोर दिया। इस दौरान बहुतेरे कल्याणकारी योजनाओं जैसे कि बालिकाओं को मुफ्त साइकिल देने की योजना और स्कूल यूनिफॉर्म सहायता योजना ने युवाओं और उनके परिवारों को जोड़ा।

मुख्य कल्याण योजनाएं जो JD(U) के लिए गेम-चेंजर रहीं

  • मुख्यमंत्री साइकिल योजना (2006): स्कूल जाने वाली लड़कियों को मुफ्त साइकिल दी गई ताकि स्कूल ड्रॉपआउट कम हो।

  • यूनिफॉर्म योजना (2007): स्कूल यूनिफॉर्म पर वित्तीय सहायता दी गई, जिससे बच्चों की पढ़ाई जारी रहे।

इन योजनाओं ने 2010 के चुनावों में JD(U)-एनडीए को भारी जीत दिलाई, जहां गठबंधन ने 243 सीटों में से 206 सीटें जीतीं।

2015 में महागठबंधन और राजनीतिक फेरबदल

2015 के चुनावों में JD(U), RJD और कांग्रेस ने मिलकर महागठबंधन बनाया। इस बार RJD ने 80, JD(U) ने 71 और कांग्रेस ने 27 सीटें जीतकर एनडीए को बहुमत से दूर रखा। महागठबंधन की सफलता मुस्लिम और यादव वोटों के समेकन से हुई, और नीतीश कुमार का वापस गठबंधन में शामिल होना भाजपा के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए रणनीतिक कदम माना गया।

2020 का चुनाव: रोजगार और पलायन मुद्दे
2020 में बिहार की राजनीति फिर जटिल गठबंधनों की ओर लौट गई। JD(U)-BJP गठबंधन ने सत्ता बरकरार रखी, जबकि महागठबंधन ने 110 सीटें जीतीं। कोविड-19 लॉकडाउन के बाद लौटे प्रवासी मजदूरों के मुद्दे और रोजगार की कमी ने चुनावी माहौल को प्रभावित किया।

वाम और कम्युनिस्ट दलों का प्रदर्शन

CPI, CPI(M) और CPI(ML)L जैसे कम्युनिस्ट दल छोटे लेकिन स्थानीय स्तर पर असर रखने वाले खिलाड़ी बने रहे। CPI(ML)L ने ग्रामीण इलाकों में पिछड़ी जातियों और भूमिहीन समुदायों में अपनी पकड़ बनाई।

प्रमुख दल और उनके एजेंडे

  • नीतीश कुमार (JD(U)): विकास पर केंद्रित नेता, BJP और महागठबंधन के बीच गठबंधन बदलते रहे।

  • लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव (RJD): यादव-मुस्लिम वोट बैंक पर आधारित दल।

  • BJP: विकास और हिंदुत्व के मिश्रित एजेंडे के साथ ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मजबूत।

  • कांग्रेस और अन्य छोटे दल: सीट बंटवारे और गठबंधन गणित में भूमिका निभाते रहे।

वोटर की प्राथमिकताएं

बिहार के मतदाता अब केवल जाति या पहचान पर आधारित वोट नहीं देते। 2005 के बाद कानून-व्यवस्था, बुनियादी सेवाएं, शिक्षा, सड़क और कल्याण योजनाएं उनके एजेंडे में शामिल हो गई हैं। जातीय पहचान और आर्थिक मांगें अब भी गठबंधनों और चुनावी रणनीतियों को प्रभावित करती हैं।

इस तरह बिहार की राजनीति अब बहु-विषयक, विकास-केंद्रित और सामाजिक पहचान के मुद्दों का मिश्रण बन गई है, जो आगामी चुनावों को और भी चुनौतीपूर्ण बनाती है।

First Published : October 8, 2025 | 10:29 AM IST