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MP Elections: कर्नाटक के तर्ज पर मध्य प्रदेश का चुनाव लड़ेगी कांग्रेस

भ्रष्टाचार, मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी और महिलाओं के विरुद्ध अपराध आदि आगामी दिसंबर में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए अहम मुद्दे होंगे।

Last Updated- August 24, 2023 | 5:48 PM IST
BJP and Congress

कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विरुद्ध मजबूत जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस की योजना मध्य प्रदेश में भी उन्हीं मुद्दों के साथ चुनावी समर में उतरने की है जिन्होंने दक्षिण भारत के इस अहम राज्य में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में मदद की।

भ्रष्टाचार, मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी और महिलाओं के विरुद्ध अपराध आदि आगामी दिसंबर में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए अहम मुद्दे होंगे। इनमें भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सबसे अधिक जोर दिया जाएगा।

गत वर्ष ‘टेक होम राशन और नि:शुल्क खाद्य योजना’में एक बड़ा घोटाला सामने आया था। यह घोटाला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट से उजागर हुआ। यह बात महत्त्वपूर्ण है क्योंकि महिला एवं बाल विकास विभाग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अधीन है।

कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इन दिनों पूरे प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में असीमित भ्रष्टाचार हो रहा है और सब इंजीनियर स्तर से मुख्यमंत्री कार्यालय तक पैसा पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री चौहान ने शपथपत्र में नौ करोड़ रुपये की संपत्ति की घोषणा की है। इतनी संपत्ति कहां से आई?’

कांग्रेस नर्सिंग घोटाले को भी चुनावी मुद्दा बनाएगी। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के ग्वालियर खंडपीठ के समक्ष एक याचिका दायर करके नर्सिंग कॉलेजों से जुड़ी धोखाधड़ी की बात कही गई थी। इस मामले में अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए उच्च न्यायालय ने दो-चार कमरों में चलने वाले नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता को लेकर कदम उठाने का आदेश दिया। तब से अब तक करीब 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई।

2018-19 में प्रदेश में 448 निजी नर्सिंग कॉलेज थे। महामारी के दौरान इनकी तादाद बढ़कर 667 हो गई। जांच से पता चला कि 600 नर्सिंग कॉलेजों में करीब 500 रिक्तियों में फर्जीवाड़ा किया गया था। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा कि जांच करने पर पाया गया कि वहां सबकुछ कागजों पर चल रहा था।

जाट कहते हैं, ‘मध्य प्रदेश में कमल नाथ के नेतृत्व में कांग्रेस आस्था और विकास के दोहरे एजेंडे पर आगे बढ़ रही है। यहां तक कि 15 महीने की सरकार में भी कमल नाथ ने धार्मिक पर्यटन को आर्थिक पहलू से जोड़ने का प्रयास किया था। इस बार भी कांग्रेस किसानों, महिलाओं और युवाओं तथा समाज के विश्वास को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रही है।’

एक सूत्र के मुताबिक, ‘पार्टी ने 100 सीटों पर प्रत्याशी तय कर लिए हैं। इस चुनाव में कांग्रेस को भाजपा की अंदरूनी लड़ाई से भी फायदा मिल सकता है। अगर मौजूदा विधायकों समेत भाजपा के कुछ नेता कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते दिखें तो भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए।’
पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी ने हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा है।

कांग्रेस ने इन चुनावों में मतदाताओं से पांच वादे किए हैं: 500 रुपये में गैस सिलिंडर, 18 वर्ष से अधिक आयु की हर महिला को प्रति माह 1,500 रुपये, 100 यूनिट बिजली मुफ्त और 200 यूनिट तक बिजली आधी कीमत पर, किसानों की कर्ज माफी और पुरानी पेंशन बहाल करना।

राजनीतिक विश्लेषक प्रभु पटेरिया कहते हैं कि कांग्रेस को इनसे लाभ मिल सकता है क्योंकि ये योजनाएं मतदाताओं को लुभा रही हैं। पटेरिया कहते हैं, ‘मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनाव अब तक नि:शुल्क उपहारों की घोषणा से बचे हुए थे। लेकिन इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों की ओर से ऐसी घोषणाएं हो रही हैं।’ वह कहते हैं कि भाजपा की आंतरिक लड़ाई और सत्ता विरोधी माहौल भी पार्टी के खिलाफ जा सकता है।

वह कहते हैं, ‘अभी तक मध्य प्रदेश में कांग्रेस को ही क्षत्रपों की पार्टी माना जाता था लेकिन अब यह समस्या भाजपा में भी नजर आने लगी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया का खेमा अपने लाभ में किसी तरह की कमी नहीं चाहता। चौहान का अपना जनाधार है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की भी अनदेखी नहीं की जा सकती है।’

जहां तक टिकट वितरण की बात है तो इस बार कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत की संभावना को ध्यान में रखकर टिकट देने जा रही है। कमल नाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले कहते हैं, ‘हम इस चुनाव में मजबूत संगठनात्मक तैयारी के साथ उतर रहे हैं। इस बार अनुशंसाओं के आधार पर नहीं बल्कि जीतने की संभावना के आधार पर टिकट दिया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि ग्वालियर –चंबल क्षेत्र में भाजपा के कई नेता कांग्रेस के संपर्क में हैं और वे उचित समय आने पर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक पहले चरण में उन 70 सीटों के उम्मीदवार घोषित किए जाएंगे जिनका खास विरोध नहीं है। इनमें से करीब 60 वर्तमान विधायक हैं। 2018 में हारे वरिष्ठ नेताओं को भी इस सूची में शामिल किया जाएगा। भाजपा से कांग्रेस में आने वाले कुछ नेता भी इसमें शामिल होंगे।

शेष सीटों पर उम्मीदवारों का फैसला दिग्विजय सिंह और चार पर्यवेक्षकों की सर्वे रिपोर्ट के आधार लिया जाएगा जिन्हें पार्टी आला कमान ने तैनात किया है। बहुत संभव है कि संगठन को इनकी रिपोर्ट अगस्त माह तक मिल जाए।

First Published - May 30, 2023 | 11:39 PM IST

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