लोकसभा चुनाव

बिहार में चाचा-भतीजा तो झारखंड में भाभी-देवर… सीता सोरेन JMM छोड़ भाजपा में हुईं शामिल

झारखंड के जामा निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार से लगातार विधायक रहीं सीता सोरेन ने कुछ ही घंटों के अंदर एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होने की प्रक्रिया पूरी कर ली।

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रत्न शंकर मिश्र   
Last Updated- March 19, 2024 | 5:54 PM IST

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा का सियासी खेल सिर्फ बिहार ही नहीं, झारखंड में भी हलचल मचा रहा है। बिहार में जहां मोदी कैबिनेट के मंत्री रहे पशुपति कुमार पारस नाराज होकर भाजपा से अलग होने का फैसला कर लिए तो वहीं, झारखंड में ED की जांच से गुजर रहे हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने आज भाजपा का दामन थाम लिया।

केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी (ED) की कार्रवाई के चलते जेल की सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से इस्तीफा देते हुए कहा कि उनके साथ पार्टी में भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि झारखंड के सत्तारूढ़ दल यानी JMM में उनकी सम्मान नहीं मिल रहा है और अलग थलग किया जा रहा था।

शिबू सोरेन को भेजा इस्तीफा

झारखंड के जामा निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार से लगातार विधायक रहीं सीता सोरेन ने कुछ ही घंटों के अंदर एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होने की प्रक्रिया पूरी कर ली। लेकिन इसके पहले उन्होंने अपने ससुर शिबू सोरेन को चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने कहा कि उनके और उनके परिवार के खिलाफ पार्टी में साजिश रची जा रही है।

सीता सोरेन ने कहा कि वह JMM की केंद्रीय महासचिव और एक्टिव मेंबर हैं और साथ ही साथ विधायक भी हैं। लेकिन बड़े दुखी हृदय के साथ पार्टी से इस्तीफा देना पड़ रहा है। उन्होंने चिट्ठी मे लिखा, ‘मैंने यह दृढ़ निश्चय किया है कि मुझे झारखंड मुक्ति मोर्चा और इस परिवार को छोड़ना होगा। मैं अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं। आपकी और पार्टी की हमेशा आभारी हूं। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।’

किस बात को लेकर निराश हैं सीता सोरेन

सीता सोरेन ने कहा कि उनको उम्मीद थी की समय के साथ स्थितियां बदलेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘झारखंड मुक्ति मोर्चा को मेरे स्वर्गीय पति ने अपने त्याग और समर्पण, नेतृत्व क्षमता के बल पर एक महान पार्टी बनाया था। आज वह पार्टी नहीं रही। पार्टी उन लोगों के हाथों में चली गई, जिन लोगों के नजरिये और उद्देशयों से हमारे आदर्श मेल नहीं खाते।’

गौरतलब है कि 31 जनवरी को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में हेमंत सोरेन को ED ने गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद चंपई सोरेन, जिन्हें ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी जाना जाता है, मुख्यमंत्री बने। माना जा रहा है कि सीता सोरेन पार्टी के इस फैसले से नाराज थी और वह नहीं चाहती थी कि चंपई झारखंड के CM बनें।

आगे का क्या प्लान, क्या सीता सोरेन की बेटियां भी लड़ेंगी चुनाव

सीता सोरेन भाजपा मुख्यालय में राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और झारखंड चुनाव प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुईं। माना जा रहा है कि दुमका लोकसभा सीट से उनकी बेटी जयश्री सोरेन को भाजपा का टिकट मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो भाजपा के सुनील सोरेन की जगह वह चुनाव लड़ेंगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुनील सोरेन को लेकर पार्टी क्या फैसला करती है

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जयश्री सोरेन इस बार लोकसभा सीट से चुनाव वहीं लड़ती हैं तो शायद पार्टी का यह भी प्लान हो कि आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी दोनों बेटियों जयश्री सोरेन और राजश्री सोरेन को पार्टी से टिकट दिया जाए।

कौन हैं सीता सोरेन

सीता सोरेन शिबू सोरेन के बेटे दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं। पति की मृत्यु के बाद से सीता सोरेन विधायक हैं। वह अभी तक तीन बार चुनाव जीत चुकी हैं। पहली बार झारखंड की जामा विधानसभा सीट से 2009 में विधायक चुनी गईं और फिर इसी सीट से ही 2014 और 2019 में लगातार चुनाव जीतती रहीं। उनकी दो बेटियों- जयश्री सोरेन और राजश्री सोरेन ने अपने पिता दुर्गा सोरेन के नाम पर एक सामाजिक संगठन का गठन किया था, जिसे उन्होंने ‘दुर्गा सोरेन सेना’ का नाम दिया।

बिहार में भी परिवारों के बीच ही चल रही हलचल

बिहार में चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच जंग फिर से बढ़ गई है। NDA के घटक दलों के बीच लोकसभा चुनाव में 40 सीटों के बंटवारे के बाद दिवंगत रामविलास पासवान के भाई और मोदी कैबिनेट के केवल एक गैर-भाजपाई मंत्री पशुपति कुमार पारस ने इस्तीफा भी दे दिया है।

First Published : March 19, 2024 | 5:42 PM IST