लोकसभा चुनाव

कोई गा रहा ‘राम आएंगे’ का गीत तो कोई सजा रहा दरबार, राजस्थान में रामनवमी पर हर तरफ धूम मगर मतदाता सतर्क

कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन को लगता है कि राज्य में और खास तौर पर शेखावाटी क्षेत्र में अपनी सीटें बढ़ाने का उसके पास अच्छा मौका है।

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श्रेया जय   
Last Updated- April 17, 2024 | 10:19 PM IST

राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से एक दर्जन के लिए चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन था और रामनवमी होने तक शाम तक पूरा सूबा राम की धुन में ही डूबा हुआ था। राजस्थान में अलग-अलग समुदायों और गांवों के अपने-अपने देवता होते हैं मगर आज हर कोई राम मंदिर में ही नजर आया। सड़कों और बाजारों में शोभा यात्राओं की धूम नजर आ रही थी। कई जगह भंडारों में प्रसाद खाने वालों की कतारें लगी थीं और लाउडस्पीकर पर भजन गूंज रहे थे।

जयपुर की सड़कें रामनवमी के पोस्टरों से पटी थीं, जिनमें से ज्यादातर राम मंदिर आंदोलन चलाने वाले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) से जुड़े लोगों ने लगवाए थे। शहर में विहिप के मुख्यालय ने बुधवार को शोभा यात्रा निकाली।

जब उसके कुछ सदस्यों से बिज़नेस स्टैंडर्ड ने बात की तब उन्होंने अयोध्या में राम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा का जिक्र करते हुए कहा कि राम का समय आ गया है। चुनावों पर अयोध्या के राम मंदिर का असर पड़ने की बात पर किसी ने गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस की पंक्ति बोल दी, ‘होहि सोहि जो राम रचि राखा’ यानी वही होगा, जो राम ने तय कर दिया है।

राम, सीता-राम और राम दरबार की तस्वीरों से सजे मंदिरों में हर ओर श्रद्धालुओं की ही भीड़ लगी थी। पुराने जयपुर के भीतर चांदपोल में 128 साल पुराने ठिकाना श्री राम मंदिर में एक श्रद्धालु ने कहा कि वह करीब दो दशकों से इस मंदिर में आ रहे हैं मगर ऐसा हुजूम उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। मंदिर के भीतर राम नवमी शोभा यात्रा निकलने और भंडारे होने के पोस्टर तथा बैनर ज्यादा दिख रहे थे।

वहां लोकप्रिय गीत ‘राम आएंगे’ भी लगातार बज रहा था, जिसकी धुन पर कुछ श्रद्धालु नाच भी रहे थे। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद समूचे उत्तर भारत में भगवा झंडे दिखना आम बात हो गई है। इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर भी ये झंडे फहर रहे थे। कहा जाता है कि यह मंदिर राजा सवाई मानसिंह की पत्नी रानी गुलाब कंवर ने बनवाया है।

मंदिर के बाहर दुकान लगाकर बैठे एक दुकानदार ने चहकते हुए कहा, ‘इन दिनों श्री राम की भक्ति का बोलबाला है, जैसे कुछ साल पहले साई बाबा का दौर था। इधर के इलाकों में श्री कृष्ण ही मुख्य आराध्य रहे हैं मगर पिछले कुछ साल से खास तौर पर इस 22 जनवरी के बाद लोग राम मंदिरों में भी उमड़ रहे हैं।’ उसने यह भी कहा कि अपने हिंदू होने पर उसे ‘गर्व’ है मगर राजस्थान के व्यापारिक इलाकों जैसे जयपुर में आम तौ पर लोग धर्म को राजनीति के साथ नहीं जोड़ते।

यह मंदिर पुराने जयपुर शहर में है, जहां करीब 80 छोटे-बड़े मंदिर हैं। इस क्षेत्र में संगमरमर की दुकानों की भरमार है, जहां विभिन्न भगवानों और देवताओं की मूर्तियां बिकती हैं। संगमरमर की मूर्तियां बेचने वाले एक व्यापारी से जब पूछा कि क्या राम की मूर्ति की बिक्री बढ़ी है तो उसने कहा, ‘लोगों की दिलचस्पी तो है। लोग उपहार में देने के लिए राम की मूर्ति खरीद रहे हैं मगर थोक ऑर्डर नहीं आ रहे।’ मंदिर के पास एक श्रद्धालु ने बताया कि वह इस रोमांच का अहसास करने के लिए पहली बार मंदिर आया है।

राजस्थान की 25 में से 12 लोकसभा सीटों पर पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा। भाजपा ने 2019 में शानदार प्रदर्शन करते हुए राजस्थान में 24 सीटें जीती थीं और बची हुई नागौर की सीट उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने जीती थी।

इस बार के चुनाव में बेनीवाल कांग्रेस के साथ हैं और पांच साल पहले उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाली ज्योति मिर्धा अब भाजपा के साथ हैं। भाजपा के जिन 24 सांसदों ने 2019 में जीत हासिल की थी, इनमें से 12 इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरे हैं। कुछ लोगों को टिकट नहीं दिया गया और जयपुर ग्रामीण के सांसद राज्यवर्धन राठौर जैसे कुछ लोग अब विधायक बन चुके हैं।

कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन को लगता है कि राज्य में और खास तौर पर शेखावाटी क्षेत्र में अपनी सीटें बढ़ाने का उसके पास अच्छा मौका है। पिछली बार भाजपा के टिकट पर जीते चूरू के सांसद राहुल कासवान अब कांग्रेस में जा चुके हैं और पार्टी सीकर सीट पर माकपा के किसान नेता अमरा राम का समर्थन कर रही है।

लेकिन क्या राम की भक्ति और प्राण प्रतिष्ठा का असर मतदान पर भी पड़ेगा? दुकानदार ने कहा, ‘यह कहना मुश्किल है। शहरों में लोग जानते हैं कि वास्तव में भक्ति क्या है और नाटक क्या है और किस नेता को चुनने से फायदा होगा। यह कारोबारी फितरत होती है, जो इस शहर में है।’

उसके साथी ने कहा कि यहां समस्याएं बिल्कुल अलग हैं और धर्म से उनका कोई लेना-देना नहीं है। वह कहते हैं, ‘लेकिन सत्तासीन पार्टी का ‘हिंदू जागो’ आह्वान काम कर रहा है। मुसलमान हाशिये पर हैं। इससे हमें गर्व तो होता है मगर हमारी समस्याएं दूर नहीं होतीं।’

चांदपोल के ही एक दुकानदार ने कहा कि नाम के आगे क्या लिखा है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फर्क इस बात से पड़ता है कि कारोबार के लिए कौन और क्या अच्छा है। वह कुछ मीटर दूर लगे नीले रंग के बोर्ड की ओर इशारा करता है। उस पर किशनपोल विधानसभा क्षेत्र लिखा है, जिसके विधायक कांग्रेस के अमीनदुदीन कागजी हैं।

(साथ में नई दिल्ली से अर्चिस मोहन)

First Published : April 17, 2024 | 10:19 PM IST