देश की राजधानी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लगातार तीसरी बार सभी सात लोक सभा सीटें जीत लीं। हालांकि शहर के व्यापारी वर्ग का कहना है कि दिल्ली में विपक्ष की जरूरत है और मौजूदा हालात में ऐसा कोई विकल्प नहीं दिखता है। पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों चांदनी चौक और सदर बाजार में कारोबारी वर्ग अपने मोबाइल स्क्रीन पर आंखें गड़ाए नजर आए। स्टेशनरी की दुकान के मालिक सुधीर अरोड़ा ने कहा कि अगर प्रतिस्पर्द्धा नहीं होती है तब कोई भी राजनीतिक दल काम नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम भाजपा को कई मुद्दों पर मजबूत रुख कायम करने के लिए पसंद करते हैं लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह की जीत से अहंकार बढ़ता है और इससे अति आत्मविश्वास जैसी स्थिति बन जाती है।’
कारोबारियों का कहना है कि चांदनी चौक के उम्मीदवार प्रवीन खंडेलवाल से बड़ी उम्मीदें हैं जो कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के संस्थापक और महासचिव हैं। उनके निर्वाचन क्षेत्र में प्रमुख कारोबारी केंद्र जैसे कि सदर बाजार, कमला नगर और चांदनी चौक आते हैं।
कपड़ों के थोकविक्रेता नितिन फैब्रिक्स के राम बाबू जैन कहते हैं, ‘हमारे समुदाय से कोई सांसद बना है। पिछले दिन तक वह कारोबारी नेता थे अब वह हमारे राजनीतिक नेता है।’ चांदनी चौक के टेक्सटाइल मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश मल्होत्रा कहते हैं, ‘चीजों में बदलाव आ सकता है लेकिन हमें उम्मीद है कि वह हमारा प्रतिनिधित्व सही तरीके से करेंगे।’ यहां के कारोबारी कहते हैं कि उनका थोक बाजार अपना दबदबा खो रहा है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव लंबे समय तक खंडेलवाल से जुड़े रहे हैं और उनका कहना है, ‘भाजपा का सभी 7 सीटें जीत लेना ही आप की असफलता है।’
भाजपा के नेता उत्तर प्रदेश विधान सभा के नजदीक पार्टी मुख्यालय में जमा हो रहे थे लेकिन जीत का जश्न विपक्षी खेमे, समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस में मनाया जाने लगा। भाजपा और इंडिया गुट के उम्मीदवारों के बीच कड़े मुकाबले की खबरों के बीच सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ गया और वे अपने पार्टी कार्यालय में मिठाइयां बांटकर जश्न मनाने लगे। लखनऊ परंपरागत रूप से भाजपा की सीट मानी जाती है लेकिन चुनाव परिणाम के दिन यहां पार्टी का उत्साह फीका पड़ता दिखा जबकि पार्टी के उम्मीदवार और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मतगणना में आगे रहे।
पेशे से वकील आशिष त्रिपाठी ने कहा, ‘नतीजे वास्तव में अप्रत्याशित हैं और मेरा मानना है कि सत्ता में आने वाली पार्टी निरंकुश नहीं रहेगी।’ एक कारोबारी नेता संजय गुप्ता ने कहा कि चुनाव के नतीजे भारत जैसे लोकतंत्र के लिए लाभदायक हैं क्योंकि इससे मजबूत विपक्ष का उत्साह बढ़ेगा।
देश की वित्तीय राजधानी मुंबई की छह लोक सभा सीटों में नाटकीय राजनीतिक बदलाव दिखा। लोग केंद्र में किसे देखना चाहते हैं इस विषय पर मतभेद नजर आया। कई मतदाता कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मौका देने के पक्ष में दिखे।
कई लोगों ने कहा कि वे ऐसा नेता चाहते हैं जो स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दे। एक युवा स्विगी डिलिवरी बॉय उदय ने कहा, ‘मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए बहुत काम किया लेकिन हम सत्ता में ऐसा व्यक्ति चाहते हैं जो स्थानीय स्तर पर हमारे लिए काम करे।’
मुंबई के स्थानीय लोग असंतुष्ट नजर आए और उन्हें लगता है कि बीते एक दशक में उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। कई मतदाताओं ने शिव सेना नेता उद्धव ठाकरे के प्रति समर्थन जताया क्योंकि वह महाराष्ट्र के लोगों पर ध्यान देते हैं। दलाल स्ट्रीट में माहौल ठंडा नजर आया क्योंकि बाजार में 23 मार्च 2020 के बाद की सबसे तेज गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों को करीब 31 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
एक कॉर्पोरेट लॉयर और ट्रेडर प्रिंस तोडी ने कहा, ‘कल हम सब खुश थे और सबका पोर्टफोलियो उच्चतम स्तर पर था। बाजार ने बहुत बुरी प्रतिक्रिया दी है। तथाकथित मोदी स्टॉक्स या सरकारी कंपनियों के शेयर जिनके बारे में खूब प्रचार किया गया वे सभी 15-20 फीसदी गिरे हैं।’
बड़ा बाजार के नॉवेल्टी ट्रेडर्स के रोहित गुप्ता पश्चिम बंगाल में चुनाव के नतीजों को लेकर पूरी तरह आत्मविश्वास से भरे नजर आए। उन्होंने कहा, ‘हमें पता था कि यहां तृणमूल कांग्रेस को बढ़त हासिल है। अगले कुछ दिनों में बड़े बैनरों और झंडों की मांग बढ़ने की उम्मीद है।’
पास में ऐसी ही वस्तुएं बेचने वाले मंगल श्री ने भी उम्मीद जताई कि जीत का जश्न कारोबार को गति देगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान कारोबार मंदा ही रहा। बड़ा बाजार कई छोटे बाजारों में बंटा है और वह देश का सबसे बड़ा थोक बाजार है। वहां अधिकांश कारोबारी गैर बंगाली हैं। यह कोलकाता उत्तर संसदीय क्षेत्र में आता है जिसमें शहरी और विविध मतदाता आते हैं। सुदीप बंद्योपाध्याय चौथे कार्यकाल के लिए तैयार हैं। उनका सामना तापस रॉय से है जो इस वर्ष के आरंभ में त़ृणमूल से भाजपा में गए।
स्थानीय लोग भाजपा द्वारा एक दलबदलू को टिकट देने को सही नहीं मानते। पुस्ता बाजार के एक कारोबारी गोपाल अग्रवाल कहते हैं, ‘कल से मुझे शेयर बाजार में 20-25 लाख रुपये का नुकसान हुआ। परंतु मैं उसे लेकर नाखुश नहीं हूं। मुझे मोदीजी के लिए बुरा लग रहा है। वह भारत के लिए सबसे बेहतर नेता हैं। पश्चिम बंगाल में दीदी ठीक हैं।’
शुरुआती रुझान आने के साथ ही द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) लगातार दूसरी बार तमिलनाडु में अपना दबदबा बनाती नजर आई। चेन्नई के मशहूर कोयंबेदु फूल बाजार के एक व्यापारी मुरुगन जानते थे कि मंगलवार को लाल फूलों की खूब मांग होगी। लाल और काला द्रमुक के झंडे का रंग है। मुरुगन ने कहा, ‘उम्मीद थी कि आज का दिन अच्छा होगा।’
पूरा शहर लाल और काले रंग में सराबोर हो गया। नॉर्थ चेन्नई में क्वीन मैरी कॉलेज के नजदीक एक मतगणना केंद्र के पास खड़े 34 वर्षीय शांता कुमार कहते हैं, ‘लाल उगते सूरज का प्रतीक है जो कालेपन को खत्म कर देता है। द्रमुक की जनहितकारी नीतियां ही इनके पक्ष को मजबूत करने में काम आईं।’
चेन्नई के अंबत्तूर इलाके के 60 वर्षीय उदय कुमार कहते हैं, ‘एक्जिट पोल में जो अनुमान लगाए गए थे उनके मुकाबले मुकाबला कड़ा था। महिला वोटरों ने भी द्रमुक की जीत में योगदान दिया क्योंकि बसों की मुफ्त सवारी, महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये देने का वादा करने के साथ ही स्कूलों में मुफ्त नाश्ता आदि का वादा भी किया गया था जिससे गठबंधन को मदद मिली।’
देश के आईटी केंद्र में भी चुनावी नतीजे के बाद कई तरह की प्रतिक्रिया देखी गई जिनमें सबसे बड़ा मुद्दा बुनियादी ढांचे से जुड़ा था। बेंगलूरु के एक पुराने रेस्तरां कोशी में एक कैशियर ने कहा, ‘नई सरकार को सड़कों औैर अस्पताल की स्थिति में सुधार लाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा उन्हें जल निकासी के साथ पेयजल परियोजनाओं पर भी ध्यान देना चाहिए।’
नीलाद्रि रोड पर खरीदारी कर रही एक सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल दिशा पटेल ने कहा, ‘डिजिटलीकरण और स्टार्टअप को समर्थन देने वाली नीतियां अहम हैं जिन पर जोर दिया जाना चाहिए।’