लोक सभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के महाकुंभ में इस बार राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों से मैदान में उतरे 7193 यानी 86.17 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। इलेक्शन कमीशन (Election Commission) के डेटा से यह जानकारी मिली है।
डेटा के अनुसार, बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) ने 488 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे और इनमें से 97.5 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। इसके अलावा सीपीआईएम (CPIM) के 57.69 प्रतिशत, एनपीपी (NPP) के 33.33 फीसदी, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के 10.41 प्रतिशत, कांग्रेस के 7.9 फीसदी और बीजेपी (BJP) के 6.12 प्रतिशत उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सके।
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में 8000 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। इसमें से 16 प्रतिशत उम्मीदवार राष्ट्रीय पार्टियों के थे जबकि 6 फीसदी उम्मीदवार राज्य पार्टियों और 47 प्रतिशत उम्मीदवार निर्दलीय थे।
चुनाव में जमानत जब्त होने का मतलब क्या होता है? (lost of security deposit in elections meaning)
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत संसदीय या विधानसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को एक निश्चित सिक्योरिटी राशि (Security Money) डिपॉजिट करनी होती है।
सांसद यानी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए राशि 25,000 रुपये जबकि विधानसभा चुनाव के मामले में यह राशि 10,000 रुपये है। यह राशि इलेक्शन कमीशन के पास जमा की जाती है और इसे सिक्योरिटी जमा राशि कहा जाता है।
जमानत राशि भरना इसलिए जरूरी होती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल गंभीर उम्मीदवार ही चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल करें। चुनाव आयोग देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष संसदीय और विधानसभा चुनाव कराने के लिए कई कदम उठाता है। तो सिक्योरिटी राशि जमा करना भी उनमें से एक है।
किस सूरत में चुनाव में जब्त मानी जाती है जमानत?
यदि उम्मीदवार को निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए वोटों की कुल संख्या के छठे हिस्से से भी कम वोट मिलते हैं, तो उस उम्मीदवार की जमानत जब्त मानी जायेगी।
उदाहरण देकर समझाए तो मान लीजिए कि एक सीट पर टोटल 100,000 वोट पड़े हैं। अब इसमें जो भी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है उसे कम से कम छठे हिस्से जितने (एक लाख वोटों 1/6 हिस्सा 16,666) वोट मिलने चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर जमानत जब्त मानी जाती है।
इसका मतलब यह है कि जिस उम्मीदवार ने 25,000 रुपये या 10,000 रुपये या कोई अन्य राशि जमा की है, उसे इलेक्शन कमीशन से यह पैसे वापस नहीं मिलेंगे।
1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में कुल उम्मीदवारों में से लगभग 40 प्रतिशत की जमानत जब्त हो गई। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने वाले लगभग 86 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।