लोकसभा चुनाव

लोक सभा चुनाव 2024: चांदनी चौक से लेकर कनॉट प्लेस तक, कारोबारियों की सरकार से कई अपेक्षाएं

वर्ष 1913 में स्थापित होटल और रेस्टोरेंट श्रृंखला करीम्स के निदेशक जैनुल आबिदीन भी इस बात से सहमत दिखे कि कारोबार बहुत मंदा है।

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निवेदिता मुखर्जी   
Last Updated- May 21, 2024 | 11:58 PM IST

Lok Sabha Elections 2024: तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया है। इसके बावजूद पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके में रौनक कम नहीं है। करीब 400 साल पहले सफेद मार्बल और लाल बलुआ पत्थर से बनी देश की सबसे मशहूर मस्जिद की सड़क के दूसरी ओर मामूली सी चाय की दुकान है। चाय विक्रेता रईस कहते हैं कि अभी उन्होंने तय नहीं किया है कि इस बार किसे वोट डालेंगे। इतना कह वह बर्तन चूल्हे पर चढ़ाकर चाय बनाने में व्यस्त हो जाते हैं।

शनिवार की तपती दुपहरी में किनारी बाजार, दरीबा कलां और नई सड़क जैसी तंग लेकिन मशहूर गलियों में रिक्शा, दुपहिया और पैदल चलने वालों की इस कदर भीड़ कि निकलना मुश्किल। इसी दिन राजधानी दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की रैलियां हुईं, लेकिन रईस को इसकी कोई परवाह नहीं। जब उनसे पूछा गया कि अब तक इलाके में कितनी रैलियां और सभाएं हो चुकी हैं तो वह तपाक से कहते हैं, ‘हमारे पास कोई नेता वोट मांगने नहीं आया।’

पास ही मोहम्मद इरफान अपनी किराने की छोटी सी दुकान पर बैठे भुट्टा चबा रहे हैं। वह कम ग्राहकी से परेशान हैं। कहते हैं, ‘कारोबार ही नहीं है।’ इरफान ने चांदनी चौक से भाजपा उम्मीदवार और कन्फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल के बारे में सुना है। चुनाव के दौरान उभरे हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर उनके विचार क्या हैं? इस पर इरफान जवाब देते हुए कहते हैं, ‘ये राजनीतिक मुद्दे हैं। आम लोगों को इनसे कुछ लेना-देना नहीं।’ मालूम हो कि कारोबार के अड्डे चांदनी चौक में बड़ी आबादी मुसलमानों की है।

यहां से हम जामा मस्जिद के पास ही स्थित मशहूर रेस्टोरेंट करीम्स पर पहुंचे। वर्ष 1913 में स्थापित होटल और रेस्टोरेंट श्रृंखला करीम्स के निदेशक जैनुल आबिदीन भी इस बात से सहमत दिखे कि कारोबार बहुत मंदा है। जैन साहब के नाम से मशहूर होटल कारोबारी कहते हैं, ‘सैलानी आ ही नहीं रहे। ऊपर से गर्मी ने बुरा हाल कर रखा है।’

जैन साहब के अनुसार, ‘वैश्विक स्तर पर बदली भूराजनीतिक परिस्थितियों के कारण विदेशी पर्यटकों की संख्या कम हुई है, वहीं महंगाई बढ़ने के कारण स्थानीय ग्राहक घर से बाहर खाना खाने का कार्यक्रम टाल देते हैं।’ बातचीत के दौरान जब बात हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे पर आती है तो वह कहते हैं, ‘हमारे यहां 80 से 90 प्रतिशत ग्राहक गैर मुस्लिम होते हैं।’

जब हम वहां से रिक्शा में बैठकर लाल किले की ओर जाने लगते हैं, तो रास्ते में जैन मंदिर, गुरुद्वारा शीश गंज, सेंट्रल बैप्टिस्ट चर्च और फतेहपुरी मस्जिद पड़ती है। इस एक सड़क पर अलग-अलग धर्मों के इतने सारे धार्मिक स्थल हिंदुस्तान की सच्ची धर्मनिरपेक्षता की तस्वीर पेश करते हैं। लेकिन, सड़क किनारे अपने कारोबार जमाए बैठे व्यापारी सतर्क हैं और वे अपनी चुनावी पसंद के बारे में कुछ नहीं बताते।

उन्हें इस बात का डर सताता है कि कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त करने पर उन पर किसी राजनीतिक दल से जुड़े होने का ठप्पा लग जाएगा, जिस कारण उन्हें अपने कारोबार में इसका सीधा नुकसान हो सकता है। बहुत कुरेदने पर वे धीरे से कहते हैं, ‘जिसकी सत्ता होती है, हम उसे ही सलाम ठोकते हैं।’

फतेहपुरी चौक पर कुलचा किंग के मालिक तनुज गंभीर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि आज विश्व में भारत की रेटिंग बहुत अच्छी हो गई है। मौजूदा सरकार की यह सबसे बड़ी उपलिब्ध है। बात बेरोजगारी पर चली तो कहने लगे, ‘बेरोजगारी तो पहले भी खूब थी। मोदी जी कोई जादूगर नहीं हैं। ऐसी समस्याओं के निदान के लिए उन्हें करीब 15 साल और चाहिए।’

कुछ दुकानें छोड़कर थोड़ी दूरी पर शॉल और अन्य ऊनी कपड़े बेचने वाले मोहम्मद दानिश आने वाली सरकार से कर में छूट और यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने की ख्वाहिश जाहिर करते हैं। वह यह भी कहते हैं कि भाजपा दिल्ली की सात में कम से कम पांच सीट जीतेगी। पिछले लोक सभा चुनाव में भाजपा ने सातों सीट जीती थीं।

टाउन हॉल के पास एक ज्वैलरी दुकान चलाने वाले पवन अग्रवाल पूरी तरह आश्वस्त हैं कि भाजपा क्लीन स्वीप करेगी। वह कहते हैं कि रोजगार देना सरकार का काम नहीं है। अपने बाजारों, स्ट्रीट फूड, इस्लामिक आर्किटेक्चर और अब हेरिटेज वॉक के लिए प्रसिद्ध चांदनी चौक में हम एक बार फिर रिक्शा में सवार होते हैं। हमें नई सड़क से होते हुए मेट्रो स्टेशन पहुंचना है, लेकिन होलसेलर का गढ़ कही जाने वाली नई सड़क पर हमारा सामना भयंकर जाम से होता है।

हम कनॉट प्लेस पहुंचे तो शाम हो चुकी थी। यहां सड़कों पर दूसरा नजारा था। साइकिल और रिक्शा की जगह चमचमाती कारें दौड़ रही थीं। सड़क किनारे अव्यवस्थित खाने-पीने की दुकानों की जगह यहां शानदार रेस्टोरेंट और बार वीकऐंड पर ग्राहकों के लिए तैयार थे। वैसे, जनप्रतिनिधियों से पुरानी दिल्ली और नई दिल्ली के व्यापारियों की अपेक्षाएं एक जैसी हैं। जनपथ पर मॉडर्न स्टोर्स के संचालक अजय सूद चाहते हैं कि कर में कमी होनी चाहिए। वह पश्चिमी दिल्ली में रहते हैं। वहीं उनका वोट है।

वह मानते हैं कि चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी है, क्योंकि विपक्ष में कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं है। वह कहते हैं कि बेरोजगारी और महंगाई ऐसे मुद्दे हैं, जो पिछले 70 वर्षों से हैं। म्यूजिक और कॉस्मेटिक्स की दुकान चलाने वाले एक व्यापारी मौजूदा सरकार से काफी निराश नजर आते हैं। वह नहीं चाहते कि यह सरकार दोबारा आए। यहां घूमने-फिरने आए कारोबारी इस संवाददाता को सलाह देते हैं कि किसी गरीब से बात करिए। आपको पता चल जाएगा कि उनकी दशा क्या है।

यहां आइसक्रीम विक्रेता इंद्रजीत कहते हैं, ‘आज सबसे बड़ी समस्या यह है कि ग्राहक के हाथ में पैसा ही नहीं है।’ चॉकलेट और फल आदि बेचने वाले एक दुकानदार ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की।

बदलाव की जरूरत पर चर्चा है, लेकिन जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा की पहल का सवाल आता हे तो सब दुकानदार उसकी सराहना करते हैं। एक दुकानदार ने कहा, ‘इससे बढ़कर कुछ नहीं हो सकता।’

दूसरी ओर खंडेलवाल एमेजॉन और फ्लिपकार्ट की मालिकाना हक वाली वालमार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ एक दशक से मोर्चा खोले हुए हैं ताकि स्थानीय व्यापारियों को नुकसान से बचाया जा सके। स्थानीय कारोबारी और एमएसएमई इस सरकार की प्राथमिकता में रहे हैं। जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भी नहीं बने थे, तो फरवरी 2014 में उन्होंने कैट के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया था। सिरी फोर्ट में आयोजित इस सम्मेलन में मोदी ने छोटे कारोबारियों से अपने कामकाज में तकनीक का सहारा लेने की अपील की थी, ताकि उत्पादकता और बिक्री बढ़ाई जा सके।

चांदनी चौक सीट पर कांग्रेस के जयप्रकाश अग्रवाल से मुकाबले में उतरे खंडेलवाल की प्राथमिकता में क्या व्यापारियों के मुद्दे अभी भी होंगे? कम से कम उनके सहयोगियों को तो उनसे ऐसी उम्मीद लगी ही है।

First Published : May 21, 2024 | 11:03 PM IST