लोकसभा चुनाव

लोक सभा चुनाव 2024, पांचवा चरण: महिलाओं के स्वास्थ्य बीमा की दरें कम, पुरुषों के लिए तंबाकू संकट

महिलाओं के बीच तंबाकू के सेवन को लेकर एक्शन लेने के मामले में बिहार का सीतामढ़ी सबसे आगे है।

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अनुष्का साहनी   
Last Updated- May 19, 2024 | 10:05 PM IST

चुनाव के पांचवे चरण का मतदान कल यानी 20 मई को 8 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की 49 लोक सभा सीटों पर होने जा रहा है। राजनाथ सिंह और स्मृति ईरानी सहित 5 केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। वहीं, कांग्रेस के राहुल गांधी भी जंग लड़ने के लिए तैयार हैं। लेकिन, इन सबके बीच अगर इन 8 राज्यों की लोकसभा सीटों पर विकास की बात करें तो ये राज्य सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) को पूरा करने में काफी दूर हैं।

स्वास्थ्य बीमा एक चुनौती

महिलाओं के बीच स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) सभी 49 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है। फरवरी 2024 में एकेडमिक जर्नल द लांसेट (The Lancet) के में प्रकाशित एक डेटासेट का बिजनेस स्टैंडर्ड ने विश्लेषण किया और पाया कि आधे से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्र जनसंख्या, स्वास्थ्य और सामाजिक आर्थिक कल्याण से संबंधित 33 सतत विकास लक्ष्यों (SDG) में से 20 पर लक्ष्य से बाहर हैं। बता दें कि यह अध्ययन द लांसेट में Call for action: presenting constituency-level data on population, health and socioeconomic well-being related to 2030 Sustainable Development Goals for India नाम से छपा। इसके लेखक एस.वी. सुब्रमण्यम, अमर पटनायक और रॉकली किम (Rockli Kim) थे।

तंबाकू के उपयोग पर नहीं हो रही चर्चा

निर्वाचन क्षेत्रों का बराबर अनुपात पुरुषों के बीच भी स्वास्थ्य बीमा पर पिछड़ा हुआ है।

स्वास्थ्य बीमा के बाद, 95.9 फीसदी निर्वाचन क्षेत्र पुरुषों के बीच तंबाकू के उपयोग को संबोधित करने में लक्ष्य से दूर थे।

गैर-गर्भवती महिलाओं और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के डेटा को देखा जाए तो 95.9 प्रतिशत क्षेत्र गैर गर्भवती महिलाओं के लिए और 89.4 प्रतिशत क्षेत्र गर्भवती महिलाओं के लिए लक्ष्य से बाहर हैं। कुल मिलाकर, जब महिलाओं में एनीमिया की बात आती है तो 93.9 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्र लक्ष्य से बाहर यानी ऑफ-टारगेट हैं।

क्या है ऑन टारगेट और ऑफ टाकगेट निर्वाचन क्षेत्र

ऑफ-टारगेट निर्वाचन क्षेत्र वे हैं जो 2021 तक SDG को पूरा नहीं कर पाए हैं और 2016 और 2021 के बीच न्यूनतम या नकारात्मक परिवर्तन के कारण 2030 तक इसे हासिल नहीं कर पाएंगे। दूसरी ओर, ऑन-टारगेट वे निर्वाचन क्षेत्र हैं जिनका लक्ष्य पूरा नहीं हुआ लेकिन 2016 और 2021 के बीच सुधार दर्ज किया गया जिससे वे 2030 तक इसे हासिल कर सकते हैं।।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 (NFHS-5) के पांचवें दौर के विश्लेषण के अनुसार, जम्मू और कश्मीर के बारामूला (Baramulla) में स्वास्थ्य बीमा वाली महिलाओं का अनुपात पिछले दौर (NFHS-4) में 0.2 प्रतिशत के मुकाबले सबसे कम 1.3 प्रतिशत था।

पश्चिम बंगाल के हुगली (Hooghly) में तंबाकू का सेवन करने वाले पुरुषों की हिस्सेदारी अन्य क्षेत्रों के मुकाबले 72.8 प्रतिशत अधिक है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में विश्लेषण किए गए निर्वाचन क्षेत्रों में पुरुषों के बीच स्वास्थ्य बीमा का कवरेज सबसे कम है।

कुछ अन्य संकेतक प्रगति दर्शाते हैं

लगभग 95.9 प्रतिशत क्षेत्रों ने 10-14 वर्ष की किशोरावस्था में गर्भावस्था पर लगाम लगाने के लक्ष्य हासिल कर लिए हैं। हालांकि, बाकी क्षेत्र 2nd कैटेगरी हासिल किए हैं, जिसका अर्थ है कि उन्होंने 2021 तक लक्ष्य हासिल कर लिया है। फिर भी, अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो 2016 और 2021 के बीच नकारात्मक परिवर्तन के कारण वे 2030 तक लक्ष्य से चूक जाएंगे।

बहुआयामी गरीबी (multidimensional poverty) के संबंध में, 44.9 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्रों ने 2021 तक लक्ष्य हासिल कर लिया है। अन्य क्षेत्र 55.1 प्रतिशत लक्ष्य पर यानी ऑन टारगेट हैं।

जनसंख्या में 0.04 प्रतिशत की व्यापकता के साथ, 10-14 वर्ष के बच्चों में किशोरावस्था के दौरान गर्भावस्था को कम करने के मामले में लखनऊ सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला निर्वाचन क्षेत्र है। महिलाओं के बीच तंबाकू के सेवन को लेकर एक्शन लेने के मामले में बिहार का सीतामढ़ी सबसे आगे है।

मुंबई उत्तर-मध्य (Mumbai north-central) में बहुआयामी गरीबी NFHS-5 में सबसे कम 0.2 प्रतिशत है।

First Published : May 19, 2024 | 4:35 PM IST