लोक सभा चुनाव संपन्न होने के ठीक बाद शनिवार को विभिन्न समाचार चैनलों पर प्रसारित एग्जिटपोल (चुनाव सर्वेक्षण) ऐसे क्षेत्रीय दलों को नुकसान होने का संकेत दे रहे हैं जिन्होंने राजग या इंडिया गठबंधन दोनों में किसी के भी साथ चुनावी तालमेल नहीं किया था। एग्जिट पोल के अनुसार इन क्षेत्रीय दलों को हुए नुकसान को भाजपा अपने पक्ष में भुनाने में सफल रही है।
कई चुनाव सर्वेक्षणकर्ताओं, विशेषकर ऐक्सिस-माई इंडिया, के अनुसार भाजपा को देश उत्तरी एवं पश्चिमी हिस्से में कोई बड़ा नुकसान नहीं होने जा रहा है। एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा देश के पूर्वी और दक्षिणी इलाके में फायदे में दिख रही है। यानी क्षेत्रीय दलों को होने वाले नुकसान का सीधा फायदा भगवा पार्टी को मिलेगा।
ऐक्सिस-माई इंडिया के अनुसार जिन क्षेत्रीय दलों ने भाजपा की अगुवाई वाले राजग और कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन दोनों में किसी के साथ भी चुनावी तालमेल नहीं किया उन्हें सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सीटें घट सकती हैं। पार्टी वैसे तो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है मगर वह कांग्रेस या वाम दलों के साथ सीटों का तालमेल नहीं कर पाई थी। ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद), आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, तेलंगाना में भारतीय राष्ट्र समिति, उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) नुकसान में रह सकती हैं।
ऐक्सिस-माई इंडिया ने अनुमान लगाया है कि 2019 के चुनाव की तुलना में भाजपा को इसके गढ़ समझे जाने वाले राज्यों में 33 सीटों को नुकसान होगा। भाजपा को महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान, कर्नाटक, झारखंड और हरियाणा में यह नुकसान उठाना पड़ सकता है। मगर आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरला में पार्टी को लगभग 60 सीटों का फायदा हो रहा है। सी-वोटर और टुडेज चाणक्य ने भी इन राज्यों में भाजपा को चुनावी फायदा होने का अनुमान जताया है।
ऐक्सिस-माई इंडिया के अनुसार भाजपा का मत प्रतिशत बढ़कर तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में दोहरे अंक में पहुंच जाएगा। इसके अनुसार विपक्ष में एकजुटता की कमी ने भाजपा के लिए राह आसान बना दी है। इसके अनुसार केरल में एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच सीधी लड़ाई से भाजपा को वहां अपनी जमीन तलाशने का मौका मिल गया।
भाजपा ने आंध्र प्रदेश में टीडीपी और कर्नाटकम में जेडीएस के साथ चुनावी तालमेल करने में सफल रही। एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा को इन दोनों राज्यों में इसका फायदा मिला है। सर्वेक्षणकर्ताओं के अनुसार देश में कम से कम 358 सीटों पर विपक्षी दलों ने एकजुट होकर लड़ाई नहीं लड़ी। तमिलनाडु, राजस्थान, झारखंड और दिल्ली में केवल 85 सीटों में उन्होंने मिलकर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की।