लखनऊ में रहने वाले सुधांशु पर भी देश की बड़ी आबादी की तरह कोविड की भयंकर मार पड़ी थी। दिन सुधारने के लिए क्लाउड किचन शुरू करने वाले सुधांशु का काम ठीकठाक चल रहा था मगर पिछले कुछ दिनों से तो एकाएक उनके पास खाने-पीने के इतने ऑर्डर आ रहे हैं कि उन्हें पूरा करने के लिए कर्मचारी बढ़ाने की नौबत आ गई है।
ऑर्डरों की यह बाढ़ लोक सभा चुनाव का नतीजा है, जिसके लिए बैठकों और सभाओं में खाना पहुंचवाने के लिए प्रत्याशी सुधांशु जैसे कारोबारियों को जमकर ऑर्डर दे रहे हैं। सुधांशु बताते हैं कि कुछ प्रत्याशियों ने चुनाव नजदीक आने के साथ ही अपने समर्थकों के लिए रोज के भोजन की एडवांस बुकिंग भी शुरू कर दी है।
लोक सभा चुनाव आते हैं तो केटरर ही नहीं ट्रैवल एजेंसियों, इवेंट मैनेटमेंट कंपनियों, कामगार उपलब्ध कराने वाली कंपनियों का काम काफी बढ़ जाता है। मगर यह पहला मौका है, जब क्लाउड किचन (रेस्तरां या ढाबे की जगह घर या किसी छोटी सी जगह पर भोजन बनाकर सप्लाई करने वाले) चलाने वालों के पास भी ऑर्डरों की झड़ी लगी हुई है।
पहले चुनाव प्रचार में लगे लोगों के लिए पार्टी कार्यालय में ही हलवाई या केटरर लगवाकर खाना बनवाया जाता था मगर इस बार बड़ी पार्टियों के प्रत्याशी क्लाउड किचन या होटलों तथा रेस्तराओं से खाना मंगाना पसंद कर रहे हैं। एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी का कहना है कि क्लाउड किचन या रेस्तरां से लंच व डिनर पैकेट मंगाना सस्ता पड़ रहा है और झंझट भी नहीं रहता है। इसके अलावा बढ़िया व ताजा खाना दफ्तर पर मिल जाता है व कहीं से मंगाने की भी परेशानी नहीं उठानी पड़ती है।
केटरिंग का कारोबार लखनऊ ही नहीं सभी राज्यों के सभी प्रमुख शहरों में चुनावों से रफ्तार पा रहा है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मैरिज गार्डन और केटरिंग चलाने वाले रवि चौबे ने बताया कि लोक सभा उम्मीदवारों के दफ्तरों से खाने के पैकेट बनाने के ऑर्डर आ रहे हैं। मतदान के दिन के लिए ये ऑर्डर ग्वालियर शहर के लिए ही नहीं बल्कि दूरदराज के इलाकों के लिए भी हैं।
थोक ऑर्डर में एक पैकेट 50 रुपये का पड़ रहा है, जिसमें पूड़ी, आलू की सूखी सब्जी और एक मिठाई शामिल होती है। चौबे को हाल ही में मतदान के दिन के लिए 2,000 पैकेट का ऑर्डर मिला है। चुनाव प्रचार में लगे कार्यकर्ताओं के लिए भी रोजाना के ऑर्डर आ रहे हैं।
चौबे कहते है कि इस साल मई-जून में शादियां कम हैं, ऐसे में चुनाव केटररों और हलवाइयों के लिए नेमत से कम नहीं हैं। हलवाई बता रहे हैं कि नवरात्रों को दौरान कई नेता लोगों को रिझाने के लिए भंडारे भी करा रहे हैं। वहां खाना बनाने के ऑर्डर भी हलवाइयों और केटररों को मिल रहे हैं।
मुंबई में मतदान 20 मई को होने हैं। इसलिए बड़े होटलों और रेस्तरांओं में बेशक कोई असर नहीं दिख रहा मगर छोटे होटलों और क्लाउड किचन बनाने वालों का काम बढ़ गया है। यहां छोटा होटल चलाने वाले अरविंद शेट्टी कहते हैं कि अप्रैल में ही कारोबार पिछले साल की अपेक्षा 20 फीसदी बढ़ गया है।
मुंबई और आस पास के इलाकों में घर से खाना बनाने का कारोबार भी बहुत बड़ा है, जिन्हें घरगुती कहते हैं। घरगुती चलाने वाली शोभा बताती हैं कि रोज खाना मंगाने वाले ग्राहकों के अलावा पिछले 15 दिनों से उन्हें रोजाना 200 से 300 प्लेट का ऑर्डर सुबह ही मिल जाता है। चुनाव नजदीक आने के साथ ऑर्डर बढ़ना भी वह तय मानती हैं। उनकी तरह दूसरी घरगुती में भी काम बढ़ रहा है। जहां पहले रोजाना 50 लोग खाना खाते थे, वहीं संख्या 150 हो गई है। कई जगह तो 500 लोगों तक का खाना तैयार कराया जा रहा है।
चुनाव आयोग की सख्ती और दूसरे झंझट देखते हुए उम्मीदवार दफ्तर में खाना मंगाने के बजाय किसी कार्यकर्ता के जरिये खाना बुक करा रहे हैं। कार्यकर्ताओं को भी पता रहता है कि दफ्तर के बजाय कहां भोजन करना है। इसलिए केटरिंग का काम करने वाले अगले एक महीने के लिए पूरी तरह बुक हो गए हैं। मीरा-भायंदर इलाके में केटरिंग का कारोबार करने वाले अवधेश कहते हैं कि गुड़ी पड़वा के दिन से 20 मई तक एक दिन भी खाली नहीं है।
चुनावों में प्रचार और आवाजाही के लिए गाड़ियों की जरूरत भी बहुत बढ़ जाती है, जिसके कारण ट्रैवल एजेंसियों का धंधा भी जोरों पर चल रहा है। लखनऊ में सिंह ट्रैवल्स के अजय सिंह ने चुनाव के कारण इस साल जनवरी में ही 12 नई इनोवा खरीदी थीं, जो मार्च से ही पूरी तरह बुक हो गई हैं। सिंह बताते हैं कि पश्चिमी यूपी में 16 सीटों पर दो चरणों में चुनाव होते हैं, इसलिए बड़ी तादाद में एसयूवी मंगा लिए गए हैं।
उनका कहना है कि चुनावों में एडवांस बुकिंग होती है और मुंहमांगा किराया मिलता है। कानपुर में सागर ट्रैवल्स के सुनील श्रीवास्तव के मुताबिक इस साल लोक सभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश में कम से कम 5,000 एसयूवी की मांग रहेगी। उनके पास कई प्रत्याशियों ने एक महीने का एडवांस जमा करा दिया है।
ग्वालियर में माईट्रैवल एक्सिस के गौरव अग्रवाल बताते हैं कि चुनाव में उनकी करीब 25 गाड़ियां लगी हैं। इनमें बोलेरो, स्कॉर्पियो जैसी गाड़ियों की मांग अधिक है। आम दिनों में इनका किराया 1,000-1,200 रुपये रोजाना होता है और कई बार बुकिंग नहीं मिलने पर गाड़ियां खड़ी भी रहती हैं। मगर चुनावों में महीने भर की बुकिंग हो गई है और किराया भी 1,500 से 2,000 रुपये रोजाना के हिसाब से मिल रहा है। इतना ही नहीं, उम्मीदवार डीजल का पैसा अलग से दे रहे हैं।
मुंबई और आस पास के इलाकों में इनोवा क्रिस्ता की मांग सबसे ज्यादा है। इसके अलावा थार और खुली जीप की भी मांग है। ट्रैवल कंपनियों का कहना है कि उम्मीदवारों या बड़े नेताओं की जगह उनके समर्थकों के नाम पर गाड़ियां बुक कराई गई हैं। ज्यादातर बुकिंग पूरे महीने के लिए हैं।
विनायक ट्रैवल्स के विनय कुमार बताते हैं कि महीने भर की बुकिंग के लिए 90,000 से 1.20 लाख रुपये तक मिल रहे हैं। इसके अलावा ड्राइवर, ईंधन, टोल, पार्किंग का खर्चा भी बुक कराने वाला ही देता है। मुंबई में 8 घंटे या 80 किलोमीटर के लिए क्रिस्टा अमूमन 3000 रुपये में मिलती है मगर इस समय 4,000 रुपये किराया मिल रहा है। 2,000 रुपये में मिलने वाली छोटी कार भी इस समय 3,000 रुपये किराये में मिल रही है। मुंबई और आसपास के इलाकों में ज्यादातर लोग 20 मई तक के लिए गाड़ी चाहते हैं क्योंकि मुंबई और आसपास के इलाकों में 20 मई को मतदान है।
इवेंट मैनेजमेंट कंपनी चलाने वाले तौफीक अब्बास का कहना है कि चुनाव के दौरान रैलियों, रोड शो और नुक्कड़ सभाओं के लिए प्रत्याशी उनसे संपर्क कर रहे हैं। इवेंट मैनेजर बड़ी रैलियों के लिए भीड़ जुटाने को उनका सहारा लेते हैं। अब्बास बताते हैं कि इस बार रैलियों व सभाओं में कम से कम 500 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च करना पड़ रहा है। रोड शो से लेकर रैलियों के लिए 800 से 1,200 रुपये की दर पर सुरक्षा गार्डों की अच्छी खासी मांग हो रही है।