किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन संबंधी शिकायत का पहली बार संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को नोटिस दिया है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई है।
विपक्ष ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में विभाजनकारी व मानहानि करने वाला भाषण दिया था। नड्डा से सोमवार तक जवाब देने के लिए कहा गया है।
इसी के साथ आयोग ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को भी नोटिस जारी किया और उनकी तथा पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की टिप्पणियों को लेकर भाजपा द्वारा दर्ज करायी गई शिकायत पर उनसे जवाब देने को कहा। कांग्रेस ने गुरुवार को कटाक्ष किया कि जब प्रधानमंत्री की बात आती है तो आयोग ‘अत्यधिक सावधान’ हो जाता है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि नोटिस प्रधानमंत्री के बजाय भाजपा अध्यक्ष को दिया गया है।
जयराम ने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के खिलाफ ऐसी शिकायत नहीं की गई थी।
यह दूसरी बार है जब हमने प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायत की है। इससे पहले हमने गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनके बजाय असम के मुख्यमंत्री पर कार्रवाई की गई।’
साल 2019 के लोक सभा चुनावों में आयोग ने विपक्षी दलों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों पर मोदी को क्लीन चिट दे दी थी। तत्कालीन चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायतों पर आयोग द्वारा लिए गए कुछ फैसलों पर असहमति व्यक्त की थी।
आयोग ने स्टार प्रचारकों पर लगाम लगाने के पहले कदम के तहत पार्टी अध्यक्षों को जिम्मेदार ठहराने के लिए जनप्रतिनिधि कानून के प्रावधानों का इस्तेमाल किया है।
उसके अनुसार, आयोग का विचार है जहां स्टार प्रचारक अपने भाषणों के लिए खुद जिम्मेदार होंगे, वहीं आयोग पार्टी प्रमुखों से ‘मामला-दर-मामला के आधार पर’ जवाब तलब करेगा।
अधिकारियों ने कहा कि इससे पार्टी अध्यक्ष पर ज्यादा जिम्मेदारी डाल दी गई है। भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा को लिखे पत्र में आयोग ने 21 अप्रैल को बांसवाड़ा में मोदी द्वारा की गई टिप्पणियों के संबंध में कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और भाकपा (माले) की ओर से दर्ज कराई गई शिकायतों पर उनसे सोमवार तक जवाब देने को कहा।
इन शिकायतों में मोदी के इन आरोपों का हवाला दिया गया है कि कांग्रेस लोगों की संपत्ति को मुसलमानों में बांटना चाहती है और विपक्षी दल महिलाओं के ‘मंगलसूत्र’ को भी नहीं बख्शेगा। इस भाषण को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद हो गया।
आयोग ने इसी तरह का एक पत्र कांग्रेस अध्यक्ष को भी लिखा है जो उनके और गांधी के खिलाफ भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित है।
दोनों दलों के अध्यक्षों को लिखे गए पत्रों में आयोग ने मोदी, गांधी या खरगे का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया है, लेकिन चिट्ठियों में उसे मिली शिकायतों को संलग्न किया गया है, जिनमें तीनों नेताओं के खिलाफ आरोपों का ब्यौरा है।
दूसरी ओर, भाजपा ने आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि केरल के कोट्टयम में गांधी ने अपने भाषण के दौरान मोदी के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण और पूरी तरह से भयावह आरोप लगाए और दावा किया था कि प्रधानमंत्री एक राष्ट्र, एक भाषा, एक धर्म के विचार को आगे बढ़ा रहे हैं।
भाजपा ने कहा कि तमिलनाडु के कोयंबटूर में गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ‘हमारी भाषा, इतिहास और परंपरा’ पर हमला कर रहे हैं।
भाजपा ने खरगे पर यह दावा करने के लिए आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया है कि उन्हें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ भेदभाव के कारण राम मंदिर में संपन्न प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किया गया।