पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर लोक सभा क्षेत्र में पहले चरण में 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। बिजनौर निर्वाचन क्षेत्र का इतिहास बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और उसकी प्रमुख मायावती के उभार से जुड़ा हुआ है।
तीस साल पहले 1989 में यहां से मायावती ने पहला लोक सभा चुनाव लड़ा था। पिछले आम चुनाव में बसपा के मलूक नागर इस सीट से जीतकर लोक सभा पहुंचे। बिजनौर में मायावती की कामयाबी से पहले यहां दो उपचुनाव भी हुए थे। बिजनौर सीट पर पहला उपचुनाव 1985 में कांग्रेस सांसद गिरधारी लाल के निधन के बाद हुआ। उस समय कांग्रेस विदेश सेवा छोड़कर राजनीति में आईं मीरा कुमार को मैदान में उतारा था।
यहां मीरा कुमार ने लोक दल के राम विलास पासवान को कड़े मुकाबले में छह हजार वोटों से हराया था। पासवान बिहार के हाजीपुर से दो बार के सांसद थे और वह बिजनौर से मीरा के खिलाफ मैदान में उतारे थे। इस चुनाव में मायावती तीसरे नंबर पर रही थीं, लेकिन कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाते हुए उन्होंने 61000 वोट हासिल कर लिए थे।
दो साल बाद 1987 में कांग्रेस के राम सिंह ने हरिद्वार सीट से लोक सभा चुनाव जीता। इस सीट पर मायावती 14,000 वोटों के अंतर से हार गई थीं। पासवान चौथे नंबर पर रहे। यहां उनकी जमानत जब्त हो गई और उत्तर प्रदेश के दलितों का नेता बनने का उनका ख्वाब भी धरा रह गया। वर्ष 1991 में मायावती यहां से चुनाव हार गईं। उन्हें बुलंदशहर और हरिद्वार सीट पर भी हार का मुंह देखना पड़ा।
हालांकि दो साल बाद बसपा उत्तर प्रदेश की सरकार में शामिल रही और मायावती 1995 में प्रदेश की मुख्यमंत्री भी बन गईं। देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य में कांग्रेस के पतन के साथ मायावती का उभार हुआ। वर्ष 2024 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट राजग सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के लिए छोड़ दी है। बसपा और सपा भी यहां मजबूती से चुनाव लड़ रही हैं।