Raebareli Lok Sabha Seat: उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी ने जिलाधिकारी कार्यालय में नामांकन पत्र दाखिल किया। आज यानी शुक्रवार को गांधी के नामांकन दाखिल करते समय उनके साथ 2004 से लगातार इसी लोकसभा सीट से सांसद रहीं सोनिया गांधी भी मौजूद रहीं।
सोनिया गांधी के अलावा मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद रहीं। बता दें कि रायबरेली लोकसभा सीट पर 20 मई को मतदान होंगे।
कांग्रेस ने नामांकन पत्र के बारे में जानकारी दी और सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘ये चुनाव देश में लोकतंत्र की रक्षा का चुनाव है, अन्याय को हराकर न्याय की स्थापना का चुनाव है। हम हर कीमत पर लोकतंत्र की रक्षा करेंगे। लड़ेंगे और जीतेंगे।’
जननायक @RahulGandhi जी ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली से लोकसभा चुनाव का नामांकन भरा।
ये चुनाव देश में लोकतंत्र की रक्षा का चुनाव है, अन्याय को हराकर न्याय की स्थापना का चुनाव है।
हम हर कीमत पर लोकतंत्र की रक्षा करेंगे।
लड़ेंगे और जीतेंगे ✊ pic.twitter.com/Rb5fRFcLri— Congress (@INCIndia) May 3, 2024
माना जा रहा है कि रायबरेली लोकसभा सीट गांधी परिवार के लिए अस्तित्व की लड़ाई होगी। राहुल गांधी केरल की वायनाड लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में यह भी सवाल उठ रहा है कि अगर दोनों लोकसभा सीटों से उन्हें जीत मिल जाती है तो वे किस सीट का चुनाव करेंगे। दोनों लोकसभा सीटें गांधी के लिए काफी अहम है। रायबरेली सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। इस सीट से सबसे पहली बार 1952 में कांग्रेस नेता फिरोज गांधी ने चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।
राहुल गांधी और उनकी दादी इंदिरा गांधी में एक चीज यह कॉमन है कि दोनों लोगों ने दक्षिण भारत की किसी लोकसभा सीट से रायबरेली के साथ-साथ चुनाव लड़ा है। साल 1980 में इंदिरा गांधी ने रायबरेली और मेडक (Medak) लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था औऱ दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी। बाद में रायबरेली लोकसभा सीट को अपने करीबी अरुण नेहरू को सौंप दिया और खुद आंंध्र प्रदेश (वर्तमान में तेलंगाना) की मेडक सीट सीट से सांसद बनीं। उसके बाद से लगातार कांग्रेस रायबरेली सीट पर जीत हासिल करती रही। अरुण नेहरू के बाद शीला कौल और कैप्टन सतीश शर्मा 2004 तक रायबरेली से सांसद रहे। बाद में सोनिया गांधी ने रायबरेली की जिम्मेदारी अपने हाथों में ली और 2004 से 2019 तक हुए सभी लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वे राजस्थान से राज्यसभा की सांसद चुन ली गईं और इस बार उनके बेटे राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं।
बता दें कि बीच में आपाताकाल लाने के कारण हुई किरकिरी के बीच इंदिरा गांधी चुनाव नहीं जीत सकीं थी और 1977-80 तक जनता पार्टी के राज नारायण इस लोकसभा सीट से सांसद थे। उसके बाद ऐसा ही कुछ दोहराव 1996-98 के बीच देखने को मिला, जब भाजपा के अशोक सिंह सांसद बने। बाकी के सभी लोक सभा चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। ऐसे में राहुल गांधी के लिए ये सीट हासिल करना भारी चुनौती होगी।
भाजपा ने राहुल गांधी को टक्कर देने के लिए दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है। दिनेश प्रताप ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की सोनिया गांधी को टक्कर दी थी और उस दौरान उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। सोनिया गांधी 1.7 लाख वोटों से जीत गईं थीं। 2018 में कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा जॉइन करने वाले दिनेश प्रताप सिंह इस समय उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं।