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Lok Sabha Election 2024: गांधी परिवार का मजबूत गढ़ है रायबरेली, भैय्या राहुल के लिए वोट मांग रही प्रियंका

Lok Sabha Election 2024: राहुल गांधी ने अमेठी के बजाय अपनी मां की सीट रायबरेली से चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया है।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- May 16, 2024 | 11:13 PM IST

Lok Sabha Election 2024: जैसे ही प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली के गुरुबख्शगंज में एक सभा को संबोधित करने के लिए माइक थामती हैं, सबसे पहले अपनी कर्कश आवाज के लिए लोगों से माफी मांगती हैं। उनकी परेशानी समझी जा सकती है। पिछले कुछ सप्ताह से वह इस लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में डटी हैं। चुनाव प्रचार के दौरान वह पूरे दिन मतदाताओं से मिल रही हैं, नुक्कड़ सभाएं कर रही हैं।

पिछले कई दिन से उनकी दिनचर्या लोगों से मिलने-जुलने से शुरू होती है और इसी प्रकार शाम हो जाती है। वह अपने भैय्या राहुल गांधी के लिए वोट मांग रही हैं। कहती हैं, ‘वह अकेले ऐसे नेता हैं जिन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक 4000 किलोमीटर पैदल यात्रा की है। आपको उनसे अच्छा जनप्रतिनिधि नहीं मिलेगा।’

एक रैली में अपनी बहन प्रियंका के साथ राहुल गांधी मंच पर आते हैं और रायबरेली से अपने परिवार का कई दशक पुराना रिश्ता-नाता याद करते हुए यहां के लोगों की खूब तारीफ करते हैं। वह जल्दी ही अपने चिर-परिचित अंदाज में अदाणी-अंबानी के मुद्दे पर आ जाते हैं और आरोप लगाते हैं कि ये बड़े औद्योगिक घराने मीडिया को नियंत्रित कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी के ‘राज’ में देश की अधिकांश संपत्ति पर इनका एकाधिकार हो गया है।

अमेठी और रायबरेली जिले दशकों से गांधी परिवार का पारंपरिक गढ़ रहे हैं। राहुल गांधी अमेठी से तीन बार सांसद रहे लेकिन पिछले चुनाव में उन्हें यहां भाजपा की स्मृति ईरानी ने हरा दिया था। इस बार उन्होंने अमेठी के बजाय अपनी मां की सीट रायबरेली से चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया है।

सीट बदलने के कारण भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक राहुल गांधी पर निशाना साधते हैं। रायबरेली के लालगंज इलाके में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली में आए भाजपा कार्यकर्ता प्रमोद मिश्रा कहते हैं, ‘गढ़ तो उनका अमेठी भी था, लेकिन वे वहां से हार गए। सोनिया गांधी चुनाव जीतने के बाद यहां नहीं आई हैं। उन्होंने अपनी सांसद निधि का इस्तेमाल भी पूरी तरह नहीं किया है। कौन कहता है कि वह इस बार यहां से चुनाव नहीं हारतीं।’

भाजपा का झंडा और बैनर थामे युवा जोश के साथ ‘जय श्री राम’ का नारा लगाते आगे बढ़ते हैं। पार्टी की चुनावी रणनीति यहां बिल्कुल स्पष्ट है। वर्ष 2018 तक कांग्रेस में रहे दिनेश प्रताप सिंह अब योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं। भाजपा ने उन्हें रायबरेली से फिर लोक सभा का टिकट दिया है। पिछले चुनाव में सिंह ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

हालांकि उन्हें 1,60,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन बड़ी बात यह कि उन्हें 38 प्रतिशत वोट मिले थे। रायबरेली के इतिहास में किसी भी भाजपा उम्मीदवार की यह सबसे ज्यादा वोट हिस्सेदारी थी। महाराजगंज गांव के रहने वाले दिनेश कुमार भाजपा नेता की गाड़ी चलाते हैं। वह मौजूदा सरकार से नाखुश नजर आते हैं। उन्होंने कहा, ‘यहां कोई काम नहीं हुआ।’

लेकिन प्रमोद मिश्रा फौरन प्रतिवाद करते हुए भाजपा सरकार में हुए कार्य गिनाने लगते हैं। लोगों को राशन मुफ्त मिल रहा है। घर और शौचालय बने हैं और राम मंदिर इसी सरकार ने बनवाया है। चुनाव में ये सब भाजपा के पक्ष में जाएगा।

हालांकि, कांग्रेस समर्थक इससे अलग राय रखते हैं। यहां ऐहर गांव में सीमेंट व्यापारी अनुज त्रिवेदी कहते हैं, ‘जब-जब गांधी परिवार का कोई सदस्य इस सीट से चुनाव मैदान में उतरा, कांग्रेस को जीत मिली है।’ वह रायबरेली में अधिकांश विकास कार्यों का श्रेय कांग्रेस को देते हैं।

इलाके में चुनाव के दौरान लोगों के बीच यही चर्चा आम रहती है कि यहां किसने विकास के काम ज्यादा कराए हैं। बड़े-बुजुर्ग इंदिरा गांधी के जमाने को याद करते हुए कहते हैं कि उन्होंने ही जिले में हाइवे का जाल बिछवाया और फैक्टरियां लगवाईं।

स्थानीय लोग रायबरेली में रेल कोच फैक्टरी लगवाने का श्रेय कांग्रेस को देते हैं, लेकिन वे इस फैक्टरी के स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा करने में नाकाम रहने पर थोड़ी निराशा भी व्यक्त करते हैं। हां, उन किसानों को जरूर फायदा हुआ, जिनकी जमीनें इस फैक्टरी के लिए अधिग्रहीत की गईं। यहां बन रहे गंगा एक्सप्रेसवे की साइट का दौरा करने पर पता चलता है कि बड़ी संख्या में पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा के मजदूर-कामगार काम पर लगे हैं। इक्का-दुक्का ही स्थानीय श्रमिक यहां काम करता मिलेगा।

First Published : May 16, 2024 | 11:07 PM IST