सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने आज वह लिस्ट जारी कर दी है, जिसका सभी इंतजार कर रहे हैं । इस लिस्ट में बताया गया है कि किस पार्टी को कितने रुपये का चंदा चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) के जरिये दिया गया है।
निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी किए गए डेटा तीन फाइलों में जारी किए गए हैं। जिसमें ये बताया गया है कि किस कंपनी ने कितने बॉन्ड खरीदे हैं और कितना रुपया पार्टियों ने किस तारीख को SBI की किस ब्रॉन्च से भुनाया गया है।
SBI की तरफ से सौंपे गए इस डेटा के मुताबिक, सत्तादल भाजपा को सबसे ज्यादा रकम मिली है। आयोग ने अपने डेटा में बताया कि भाजपा ने बॉन्ड के जरिये 6986.5 करोड़ रुपये भुनाए। सबसे ज्यादा 2,555 करोड़ रुपये की रकम भाजपा को 2019-23 के दौरान मिली।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की पार्टी द्रमुक (DMK) को चुनावी बॉण्ड के जरिये 656.5 करोड़ रुपये मिले, जिसमें से 509 करोड़ रुपये सैंटियागो मार्टिन की अगुवाई वाली फ्यूचर गेमिंग (जिसे पहले मार्टिन लॉटरी एजेंसीज के नाम से जाना जाता था) से मिले हैं। फ्यूचर गेमिंग (Future Gaming) के फाउंडर सैंटियागो मार्टिन (Santiago Martin) को भारत के ‘लॉटरी किंग’ के नाम से जाना जाता है। बता दें कि चुनावी बॉन्ड के जरिये सबसे ज्यादा पैसा इसी कंपनी की तरफ से दिया गया है।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) को इस बॉन्ड के जरिये टोटल 1,334.35 करोड़ रुपये मिले।
उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (BJD) को 442.8 करोड़ रुपये मिले हैं। आंध्र प्रदेश के CM वाई. एस. आर रेड्डी की पार्टी वाई. एस. आर कांग्रेस (YSR Congress ) को 442.8 करोड़ रुपये मिले, वहीं हाल ही में भाजपा के साथ हाथ मिलाने वाले चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगुदेशम पार्टी (TDP) को 181.35 करोड़ रुपये मिले।
पार्टी |
चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा भुनाने की रकम (करोड़ में) |
भाजपा | 2,555 |
तृणमूल कांग्रेस (चंदा मिलने में दूसरे नंबर की पार्टी | 1,397 |
कांग्रेस | 1,334.35 |
BRS | 1,322 |
बीजू जनता दल | 442.8 |
YSR Congress | 442.8 |
तेलुगुदेशम पार्टी (TDP) | 181.35 |
DMK | 656.5 |
समाजवादी पार्टी | 14.05 |
अकाली दल | 7.26 |
AIADMK | 6.05 |
नेशनल कांफ्रेंस (JKN) | 50 लाख रुपये |
JD(S) | 89.75 |
शिवसेना | 60.4 |
राजद (RJD) | 56 |
CPI(M) | 0 |
बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) | 0 |
करीब डेढ़ साल तक कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री रहे एच. डी. कुमारास्वामी की पार्टी जनता दल (सेक्युलर) यानी JD(S) को दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा पैसा देने वाली कंपनी मेघा इंजीनियरिंग ने 50 करोड़ रुपये का चंदा दिया।
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गौरतलब है कि कुछ पार्टियों ने यह जानकारी साझा कर दी है कि उन्हें बॉन्ड के जरिये कितने रुपये की रकम किस कंपनी ने दी। जिसमें DMK और JD(S) भी शामिल हैं। जबकि सबसे ज्यादा रकम पाने वाली पार्टियां जैसे-भाजपा, आम आदमी पार्टी (AAP) , ममता बनर्जी की त्रिणमूल कांग्रेस (TMC), कांग्रेस और BRS जैसी कई पार्टियों ने अब तक इस बात का खुलासा नहीं किया है।
हालांकि अपने पिछले आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को चुनावी बॉन्ड की खरीद और उन्हें भुनाए जाने की डिटेल्स के अलावा उनकी बॉन्ड संख्या (अल्फान्यूमेरिक नंबर) का भी खुलासा करना होगा। जैसे ही SBI बॉन्ड नंबर का खुलासा करता है, ये बात पता चल जाएगी कि किस पार्टी को किस विशेष कंपनी ने कितने रुपये की रकम बॉन्ड के जरिये दी।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी (BSP) को चुनावी बॉन्ड से एक भी रुपये नहीं मिले हैं। इसके अलावा यीताराम येचुरी की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) यानी CPI-M ने भी बॉन्ड के जरिये कोई भी पैसा नहीं लिया है। CPI-M ने कहा कि उसने सरकार की इस योजना का विरोध किया था। ऐसे में पार्टी ने एक भी रुपये की रकम नहीं ली है।
इसके अलावा असदुद्दीन औवैसी की पार्टी AIMIM को भी बॉन्ड के जरिये पैसा नहीं मिला है।
माना जा रहा है कि चुनाव आयोग की तरफ से जारी किया गया यह डेटा 12 अप्रैल, 2019 से पहले की अवधि से संबंधित हैं। आयोग ने पिछले सप्ताह 12 अप्रैल, 2019 के बाद के चुनावी बॉण्ड के डेटा को पब्लिक किया था।
Public disclosure by ECI of the data relating to electoral bonds as
returned by the Supreme Court registry can be found at this link : https://t.co/VTYdeSLhcg pic.twitter.com/x1BANQDjfx— Spokesperson ECI (@SpokespersonECI) March 17, 2024
गौरतलब है कि चुनाव आयोग की तरफ से जारी किया गया यह डेटा सुप्रीम कोर्ट के 15 मार्च के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने चुनाव आयोग के आवेदन को निपटाते हुए रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करें कि आयोग द्वारा प्रस्तुत डेटा को शनिवार 16 मार्च की शाम 5 बजे तक स्कैन करके डिजिटलाइज्ड कर दिया जाए। एक बार यह काम पूरा होने के बाद मूल कॉपी को चुनाव आयोग को लौटाने का निर्देश दिया गया है और यह भी कहा गया है कि स्कैन करके डिजिटलाइज्ड की गई फाइलों की एक कॉपी भी उन्हें सौंपी जाए। उसके बाद इस डेटा को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।