वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत की थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में छह महीने के उच्च स्तर 0.26 फीसदी रही। हालांकि, यह लगातार छठे महीने शून्य से नीचे रही। अगस्त में इसमें 0.52 फीसदी की कमी आई थी। सितंबर, 2022 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 10.55 फीसदी पर थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि सालाना आधार पर थोक मूल्य सूचकांक में जारी गिरावट का कारण खाद्य कीमतों के दाम में तेजी से कमी आना है। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति पिछले दो महीनों में दहाई अंक में रहने के बाद, सितंबर में घटकर 3.35 फीसदी हो गई। अगस्त में यह 10.60 फीसदी थी। सब्जियों की महंगाई में गिरावट रही और यह शून्य से नीचे 15 फीसदी रही, जबकि अगस्त में यह 48.39 फीसदी थी। आलू की बात करें तो सितंबर में यह शून्य से नीचे 25.24 फीसदी रही, जबकि पिछले महीने में यह शून्य से नीचे 24.02 फीसदी थी।
हालांकि, सितंबर में दालों, प्याज, दूध और फलों जैसे खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति में कुछ तेजी देखी गई। सितंबर में दालों में मुद्रास्फीति 17.69 फीसदी थी, जबकि प्याज में यह 55.05 फीसदी के उच्चतम स्तर पर रही। ईंधन व बिजली खंड की मुद्रास्फीति सितंबर में शून्य से 3.35 फीसदी नीचे रही, जो अगस्त में शून्य से 6.03 फीसदी नीचे थी। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति सितंबर में शून्य से 1.34 फीसदी नीचे रही। अगस्त में यह शून्य से 2.37 फीसदी नीचे थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा, ‘सितंबर 2023 में मुख्य रूप से पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में रासायनिक तथा रासायनिक उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, बुनियादी धातुओं व खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण मुद्रास्फीति कम हुई।’ वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी बार्कलेज के प्रबंध निदेशक एवं ईएम (उभरते बाजार) एशिया अर्थशास्त्र के प्रमुख राहुल बाजोरिया ने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति में नरमी बनी रहने और सब्जियों की कीमतों में गिरावट से खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी आ रही है। हालांकि विनिर्मित उत्पादों के लिए थोक मूल्य सूचकांक में क्रमिक वृद्धि पर नजर रखनी होगी।’
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की ओर से पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति सालाना आधार पर घटकर तीन महीनों के निचले स्तर 5.02 फीसदी पर आ गई। सब्जियों एवं ईंधन की कीमतें कम होना इसकी मुख्य वजह रही। इस महीने की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक ने 2023-24 के लिए थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के 5.4 फीसदी रहने का अनुमान रखा है। केंद्रीय बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार चौथी बार प्रमुख नीतिगत दर को यथावत रखा था। रिजर्व बैंक ने खुदरा महंगाई को चार फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा है।
(Input- PTI)