केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने राज्यों को मुआवजा दिए दिए जाने के मसले पर जीएसटी परिषद में मतदान की संभावना जताई है। एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने राज्यों को पूर्ण मुआवजे का आश्वासन दिया है। लॉटरी पर जीएसटी दर के मसले को छोड़कर अब तक परिषद में सभी फैसले आम राय से लिए गए हैं।
आइजक ने कहा कि अगर केंद्र सरकार राज्यों के समक्ष पेश किए गए अपने दो विकल्पों पर जोर देती है तो निश्चित रूप से मतदान होगा।
मतदान होने की स्थिति में केंद्र सरकार को कुछ गैर भाजपा राज्यों के समर्थन की भी जरूरत होगी, जिससे उसका प्रस्ताव पारित हो सके, जो दो विकल्प उसने परिषद में राज्यों को दिए हैं।
कोविड का सामना कर रहे आइजक ने कहा कि अगर वह परिषद की बैठक में हिस्सा नहीं लेते हैं तो केरल सरकार के मंत्री उनकी जगह लेंगे, क्योंकि सिर्फ मंत्री ही मतदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोविड अस्पताल कुछ विशेष व्यवस्था करता है तो वह परिषद की बैठक में हिस्सा ले सकते हैं।
प्रस्ताव पारित कराने के लिए केंद्र सरकार को 19 राज्यों के समर्थन की जरूरत है। 29 राज्यों में राजग शासित 16 राज्य हैं, जबकि एक राज्य जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन है। वहीं दूसरी तरफ अगर सभी राज्यों को मिला दिया जाए, तब भी उनके पास फैसले को पारित करने की शक्ति नहीं है क्योंकि किसी फैसले को पुष्ट करने के लिए 75 प्रतिशत मत जरूरी हैं।
सामान्य परिस्थितियों में जब हर राज्य व केंद्र किसी मसले पर मतदान करते हैं तो केंद्र सरकार अपने बहुमत से उसे रोक सकती है। लेकिन उसे फैसले को पारित कराने के लिए 12 राज्यों का समर्थन लेना होगा।
ऐसा इसलिए है कि केंद्र सरकार के पास कुल मतों का एक तिहाई है और राज्यों के पास दो तिहाई। इस हिसाब से विधानसभा वाले 30 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में प्रत्येक का 2.22 प्रतिशत मत है, जिसमें आकार मायने नहीं रखता। इसका मतलब यह है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य और गोवा जैसे छोटे राज्य एक बराबर मतदान की शक्ति रखते हैं।
अगर भाजपा के प्रति मित्रवत दलों पर विचार करें तो वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस, बीजद और एआईएडीएमके हैं, जिनके साथ भाजपा सरकार के पास कुल 21 राज्य होंगे। बहरहाल टीआरएस और एआईएडीएमके ने पहले ही केंद्र के दोनों विकल्पों का विरोध किया है। इसकी वजह से भाजपा और उसके मित्र दल 19 बचते हैं। आंध्र और ओडिशा को अभी इस पर अपनी स्थिति साफ करनी है। बहरहाल बीजद शासित ओडिशा ने कहा है कि केंद्र से पूरा मुआवजा पाना राज्यों का अधिकार है।
वित्त मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि राज्यों को मुआवजा देने के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की जरूरतहोगी और चालू वित्त वर्ष में मुआवजा उपकर करीब 65,000 करोड़ रुपये होगा। इस हिसाब से 2.35 लाख करोड़ रुपये कम पड़ेंगे। इस अंतर में 97,000 करोड़ रुपये जीएसटी ढांचे के तहत है और शेष कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से है।
केंद्र सरकार ने राज्यों के समक्ष दो समाधान पेश किए हैं, राज्यों को इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए मंगलवार तक का वक्त दिया गया है, उसके बाद जीएसटी परिषद की बैठक होगी।
गैर भाजपा शासित ज्यादातर राज्यों ने दोनों विकल्पों का विरोध किया है।
