अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक की चेतावनी के बाद भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता पर अनिश्चितता मंडराने लगी है। लटनिक ने 14 सितंबर को कहा था कि भारत अगर अमेरिका में उगाए गए मक्के की खरीद नहीं करता है, तो उसे अमेरिकी बाजार से अपनी पहुंच खोनी पड़ सकती है। मगर भारत के कुल कृषि एवं संबद्ध उत्पादों के आयात में मक्के की हिस्सेदारी काफी कम है और यह 1 फीसदी से भी कम है। यानी भारत सीमित मात्रा में अमेरिका से मक्के का आयात करता है।
वास्तव में, वित्त वर्ष 2018 से वित्त वर्ष 2025 के दौरान अमेरिका से भारत का सालाना मक्के का आयात औसतन करीब 20 लाख डॉलर का था। अमेरिका से भारत का कम मक्का आयात करने के दो कारण हैं। पहला, इस पर आयात शुल्क काफी अधिक है और आनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएमओ) मक्के पर भारत में प्रतिबंध है मगर यह अमेरिका में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।
साल 2017-18 से आठ वर्षों के दौरान सभी देशों से भारत का कुल मक्का आयात उतार-चढ़ाव भरा रहा, लेकिन वित्त वर्ष 25 में यह एक साल पहले के मुकाबले 571 फीसदी बढ़कर 25.98 करोड़ डॉलर हो गया।
वित्त वर्ष 2018 में अमेरिका से भारत का मक्का आयात केवल 30 लाख डॉलर का था, जो अमेरिका से कुल कृषि आयात का 0.3 फीसदी था। वित्त वर्ष 25 तक आयात घटकर 22 लाख डॉलर रह गया और हिस्सेदारी 0.1 फीसदी रह गई।
भारत में कुल आवक में अमेरिका से मक्का आयात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2018 के 19 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 0.8 फीसदी रह गई।