India GDP Growth Forecast: नोमुरा (Nomura) ने भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) ग्रोथ का अनुमान वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए 6.2 फीसदी से घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया है। यह ग्रोथ सबसे खराब स्थिति में रह सकती है, जब भारत पर 50% टैरिफ पूरे साल लागू रहेंगे। बेस केस में, हालांकि, जीडीपी अनुमान को घटाकर 6% कर दिया गया है, अगर टैरिफ सिर्फ तीन महीने तक रहता है।
नोमुरा की मुख्य अर्थशास्त्री (भारत और एशिया एक्स-जापान) सोनल वर्मा ने ऑरोदीप नंदी के साथ लिखे हालिया नोट में कहा, “बेस केस में FY26 में 25 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ लागू रह सकते हैं, 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ नवंबर के बाद हटा लिया जाएगा। हाल ही में FY26 की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.2 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया है। कमजोर निर्यात, श्रम बाजार और निवेश पर असर को देखते हुए हमें लगता है कि जीएसटी से मिलने वाले बूस्ट का सीमित फायदा होगा।”
नोमुरा ने हालांकि FY26 के लिए सीपीआई महंगाई दर (CPI inflation) का अनुमान 2.7 फीसदी बरकरार रखा है, लेकिन संभावित डिसइंफ्लेशन (मुद्रास्फीति में गिरावट) और कमजोर मांग को देखते हुए डाउनसाइड रिस्क बताए हैं। नोमुरा का अनुमान है कि चालू खाते का घाटा (CAD) FY26 में जीडीपी के 1 फीसदी तक बढ़ जाएगा। पहले यह 0.8 फीसदी था।
अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय आयात पर अतिरिक्त 25% ‘रशियन पेनल्टी’ लागू कर दी, जिससे कुल टैरिफ दर 50 फीसदी हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत से अमेरिका को होने वाले लगभग 60 फीसदी आयात अब 50 फीसदी टैरिफ झेलेंगे, जिससे प्रभावी औसत टैरिफ दर 33.6% हो जाएगी।
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नोमुरा का मानना है कि मीडियम टर्म में जीएसटी सुधार पॉजिटिव रहेंगे। उसका कहना है, निकट अवधि में, कीमतों में कमी की उम्मीद (जीएसटी कटौती के बाद) अगस्त-सितंबर में मांग को कमजोर करेगी, जबकि अक्टूबर-नवंबर में मांग में उछाल आएगा। कुल मिलाकर, मांग लगभग समान ही रहेगी।
सेक्शन 232 के अंतर्गत चल रही जांच वाले कुछ सेक्टर जैसे सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, लकड़ी, ऊर्जा और बुलियन पर अभी कोई टैरिफ नहीं लगेगा। तैयार ऑटो और पार्ट्स पर 25% और स्टील, एल्युमीनियम और कॉपर पर 50 फीसदी टैरिफ है।
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात डेस्टिनेशन है, जो कुल निर्यात का करीब 20 फीसदी (86.5 अरब डॉलर) और FY25 में जीडीपी का लगभग 2.2 फीसदी है। भारत के अमेरिका को मुख्य निर्यात में इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल्स, जेम्स एंड ज्वेलरी, फार्मास्यूटिकल्स, केमिकल्स, औद्योगिक मशीनरी और लेदर, प्लास्टिक, फुटवियर, पेपर और ग्लास आर्टिकल्स जैसे घरेलू सामान शामिल हैं।
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नोमुरा का मानना है कि निर्यातकों के लिए टारगेटेड फिस्कल और क्रेडिट सपोर्ट संभव है। इस पर सीधा राजकोषीय खर्च जीडीपी का 0.1 फीसदी से कम होगा। हालांकि, कमजोर डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन, फ्रंटलोडेड खर्च और जीएसटी के असर की अस्पष्टता के कारण फिस्कल अरिथमेटिक अनिश्चित है, फिर भी 4.4 फीसदी का फिस्कल डेफिसिट लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। नोमुरा ने 2025 के अंत तक पॉलिसी रेट को 5% तक लाने के लिए अक्टूबर और दिसंबर में 25-25 बेसिस प्वाइंट कटौती का अनुमान जताया है।
नोमुरा का कहना है कि हाई टैरिफ तीन चैनलों से अर्थव्यवस्था पर असर डालेंगे। पहला, सीधे निर्यात ऑर्डरों पर असर, खासकर टेक्सटाइल्स, जेम्स एंड ज्वेलरी, घरेलू सामान और सीफूड जैसे सेक्टरों में, जहां 50 फीसदी टैरिफ व्यावहारिक रूप से ट्रेड एम्बार्गो जैसा साबित होगा। वर्मा और नंदी ने कहा कि यह झटका खासकर एमएसएमई यूनिट्स के लिए बड़ा होगा, जिनके पास टैरिफ शॉक सहने की वित्तीय क्षमता नहीं है।
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दूसरा, कमजोर निर्यात ऑर्डर जॉब आधारित सेक्टरों जैसे टेक्सटाइल्स, परिधान, मेटलस, केमिकल्स, जेम्स एंड ज्वेलरी और लेदर गुड्स में नौकरियां खतरे में डाल सकते हैं। वर्मा और नंदी ने कहा, एनुअल सर्वे ऑफ इंडस्ट्रीज (ASI) के आंकड़े बताते हैं कि इन सेक्टरों में 2023 में सीधे और कॉन्ट्रैक्टर्स के जरिए करीब 2.1 करोड़ लोग काम कर रहे थे। इनके साथ बड़ी संख्या में अनौपचारिक कामगार भी अपनी आजीविका के लिए इन पर निर्भर हैं।
अंत में, चुनौतीपूर्ण ग्लोबल माहौल बिजनेस सेंटीमेंट को प्रभावित कर सकता है, जिससे प्राइवेट इन्वेस्टमेंट (capex) में कमजोरी बनी रह सकती है। हालांकि तर्क दिया जा रहा है कि जीएसटी रेशनलाइजेशन से होने वाले फायदे टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकते हैं।