जबरदस्त शहरी खपत और सेवाओं के विस्तार के कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई – सितंबर) में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अनुमान से बेहतर रह सकता है। बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा प्रमुख आंकड़ों के विश्लेषण से यह जानकारी मिली है।
सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर जून तिमाही के 7.8 प्रतिशत की तुलना में कम रहने का अनुमान है। विश्लेषकों का अनुमान है कि यह वृद्धि सितंबर तिमाही में 7 प्रतिशत के करीब होगी जबकि यह पहले 6.5 प्रतिशत होने का अनुमान जताया गया था।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जुलाई-सितंबर में 6.5 प्रतिशत वृद्धि रहने का अनुमान जताया था। इस बारे में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि यह वृद्धि अनुमान से अधिक हो सकती है।
दूसरी तिमाही के प्रमुख संकेतकों जैसे घरेलू वाहनों की बिक्री में 21.5 प्रतिशत और घरेलू हवाई यात्रा में 23.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह संकेतक शहरी मांग बढ़ने के प्रतिरूप के तौर पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
इसी तरह बैंक की उधारी भी बढ़ी है। यह सितंबर तिमाही में 19.8 प्रतिशत बढ़ी जबकि यह अप्रैल-जून में 15.8 प्रतिशत बढ़ी थी। ऐसे ही दूसरी तिमाही में सेवाओं का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स 61.1 रहा, जबकि बीती तिमाही में 60.6 पर था।
इंडिया रेटिंग्स के वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक पारस जसराई के मुताबिक, ‘भारत की वृद्धि बढ़ाने में प्रमुख भूमिका शहरी उपभोग है। इसके अलावा सेवा क्षेत्र, खास तौर पर वित्तीय सेवाएं वृद्धि को गति दे रही हैं।’
‘पहली तिमाही में महंगे लक्जरी उत्पादों की बिक्री, यात्री वाहनों की बिक्री में वृद्धि, घरेलू हवाई यातायात में तेजी के साथ व्यक्तिगत ऋण में वृद्धि हुई। फिर यह वृद्धि दूसरी तिमाही में भी जारी रही। हमें जीडीपी वृद्धि 6.9 प्रतिशत के करीब रहने का अनुमान है।’
इसके अलावा दूसरी तिमाही में औद्योगिक उत्पाद सूचकांक (आईपीपी) 7.34 प्रतिशत की दर से बढ़ा जबकि बिजली क्षेत्र 13.9 प्रतिशत बढ़ा है। निर्माण के क्षेत्र में स्टील का उत्पादन 19.23 प्रतिशत बढ़ा जबकि सीमेंट क्षेत्र में 10.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई।
आईडीएफसी बैंक के वक्तव्य के अनुसार, ‘खपत ने शहरी विकास को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। सरकारी खर्च बढ़ने से खपत बढ़ी। केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर सरकारी खर्च अधिक हुआ। सरकारी पूंजीगत खर्च और रियल एस्टेट सेवाओं के मजबूत होने से निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिला। इससे स्टील और सीमेंट का उत्पादन बढ़ा।’
सितंबर तिमाही में केंद्र सरकार का पूंजीगत खर्च 24.6 प्रतिशत और राज्य सरकार का पूंजीगत खर्च 39.6 प्रतिशत बढ़ा। बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि थोक मूल्य में गिरावट से पर्यटन, यातायात और विनिर्माण क्षेत्र ने उच्च लाभ अर्जित किया। उन्होंने कहा, ‘हमें पहले आरबीआई के अनुमान से कम वृद्धि का अनुमान था।
लेकिन कंपनियों, के हालिया परिणामों के साथ शहरी उपभोक्ता, सेवाओं और विनिर्माण क्षेत्र के परिणामों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। हमने इन आधार पर दूसरी तिमाही के अनुमान को संशोधित कर 6.6 से 6.7 कर दिया है।’
हालांकि सकल आर्थिक विकास में ग्रामीण खपत ने जोखिम पैदा किया है। जसराई के अनुसार, ‘दोपहिया वाहनों की बिक्री, ट्रैक्टर की बिक्री और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं व गैर टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के आंकड़ों के साथ-साथ कृषि के आंकड़ों ने अर्थव्यवस्था पर दबाव डाला है।’