केबल ऑपरेटरों और डीटीएच सेवा प्रदाताओं में सेवा शुल्क को लेकर घमासान चल रहा है। इसका सीधा असर टेलीविजन उद्योग पर पड़ने के आसार हैं। डीटीएच और केबल सेवाओं की कीमतें बढ़ने से टीवी उद्योग पर अगले पांच साल तक मंदी की उम्मीद है। इंटरनेशनल मीडिया रिसर्च कंपनी
एमपीए रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति व्यक्ति औसत राजस्व
( एआरपीयू), केबल और डीटीएच दोनों सेवाओं के लिए 200 रुपये और 180 रुपये के करीब रहेगी। यह अनुमान 2008-12 के लिए है। वहीं टेलीविजन उद्योग के उपभोग राजस्व में 12.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी। यह 2012 तक के लिए पहले के 36,000 करोड़ रुपये के अनुमानों से गिरकर 32,000 करोड़ रुपये होगा।
एमपीए का यह भी अनुमान है कि डीटीएच के बाजार में स्थिरता आ जाएगी। उसका यह भी अनुमान है कि ग्राहकों की संख्या 2007 के 32 लाख के अनुमानों से बढ़कर 2.5 करोड़ होगा, लेकिन 2012 तक 6 सेवा प्रदाताओं में से केवल 3 ही बाजार में मजबूती से बने रह सकेंगे।
एमपीए के कार्यकारी निदेशक विवेक कोटो ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि टीवी चैनलों के सब्सक्रिप्शन की आय में कमी आएगी। यह एक अरब रुपये के करीब रहने का अनुमान है। क्योंकि डीटीएच सेवाओं और केबल आपरेटरों के बीच मचे घमासान में गुणवत्ता में कमी आएगी। यह अनुमान दोनों के बीच सेवा की कीमतें कम करने की प्रतिस्पर्धा के कारण होने जा रहा है।
हालांकि भारत लंबे समय तक बाजार में चढ़ाव का दौर देखेगा। बेहतर मानव संसाधन
, विषय वस्तु की गुणवत्ता, प्रोडक्शन, डिस्ट्रीब्यूशन, मार्केटिंग और टेक्नोलॉजी का खर्च बढ़ गया है। कोटो ने कहा कि अब इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को बेहतर संतुलन बनाकर चलना होगा।
बहरहाल एमपीए और फिक्की
–प्राइसवाटरहाउस कूपर्स दोनों ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि भले ही कुछ मूलभूत मुद्दे इस उद्योग को प्रभावित कर रहे हैं, लेकिन अगले पांच साल तक इसमें बढ़ोतरी जारी रहेगी। फिक्की–प्राइसवाटरहाउस कूपर्स की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक टेलीविजन उद्योग में कुल वार्षिक वृध्दि दर 2008-12 के बीच 22 प्रतिशत बनी रहेगी।इस दौरान इस क्षेत्र से कुल आय 2007 के 51,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2012 तक 1,15,700 करोड़ रुपये हो जाएगा। एमपीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि पे टेलीविजन बाजार, जो 2007 के अंत तक 8 करोड़ 20 लाख घरों में पहुंच चुका है, 2012 तक 13 करोड़ 70 लाख घरों तक पहुंच जाएगा।