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राजस्व स्थिति पर माथापच्ची

Last Updated- December 15, 2022 | 4:57 AM IST

वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अपने समकक्ष को राजस्व की नरम स्थिति और कोविड-19 संकट के बीच राजस्व बढ़ाने के उपायों के बारे में सोमवार को जानकारी दे सकते हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर परिषद द्वारा कुछ वस्तुओं के इन्वर्टेड शुल्क ढांचे में सुधार कर दरों को और तर्कसंगत बनाने, विवाद में फंसी राशि वसूलने, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, सरकारी बैंकों और भारतीय रिजर्व बैंक से ज्यादा लाभांश चाहने तथा विनिवेश योजनाओं को पूरा करने जैसे मसलों पर चर्चा की जा सकती है।
ऐसा समझा जाता है कि मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा सहित पीएमओ के अधिकारियों के समक्ष इन विषयों पर प्रस्तुतिकरण दे सकते हैं। बैठक में वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय, आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज और व्यय सचिव टीवी सोमनाथन सहित वित्त मंत्रालय के शीर्ष योजनाकारों के भी इस बैठक में शामिल होने की उम्म्मीद है।
बैठक में चर्चा के बाद राजनीतिक नेतृत्व इस पर निर्णय करेगा कि बजट राजस्व के लक्ष्यों को संशोधित कर नया अनुमान लाया जाए या नहीं। वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र का सकल कर राजस्व 24.23 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था जो वित्त वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमान से 12 फीसदी ज्यादा है। हालांकि पिछले साल अनुमान से कम कर संग्रह होने से इस साल का कर संग्रह का अनुमान 28 फीसदी बढ़ गया है। 
कोविड-19 की वजह से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने से कई एजेंसियों ने अनुमान लगाया कि अर्थव्यवस्था में चार दशक में सबसे ज्यादा संकुचन आ सकता है। 7 जुलाई तक कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह 23.4 फीसदी घटकर 1.4 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल समान अवधि में 1.83 लाख करोड़ रुपये का कर संग्रह हुआ था। अप्रैल-जून तिमाही में अग्रिम कर संग्रह भी घटकर 39,880 करोड़ रुपये रहा। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 का पूरा असर अभी नहीं दिखा है और कुछ राज्य फिर से आंशिक तौर पर लॉकडाउन लगा रहे हैं। कर संग्रह अर्थव्यवस्था के विकास से जुड़ा होता है, ऐसे में इस साल पिछले साल की तुलना में कर संग्रह होगा। हालांकि दूसरी छमाही में कर संग्रह में तेजी आने की उम्मीद है।’
अधिकारी ने कहा, ‘2019-20 में प्रत्यक्ष कर संग्रह संशोधित लक्ष्य से 1.17 लाख करोड़ रुपये कम रहकर 10.53 लाख करोड़ रुपये रहा। ऐसे में इस वित्त वर्ष के लिए भी कर संग्रह के लक्ष्य कटौती की जानी चाहिए।’ 10.95 लाख करोड़ रुपये का अप्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य में भी कमी करने की जरूरत है, क्योंकि सीमा शुल्क, जीएसटी और उत्पाद शुल्क संग्रह में काफी कमी आई है। जून में खत्म हुई तिमाही में जीएसटी संग्रह में 41 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
कर संग्रह में कमी को देखते हुए सरकार दरों को तार्किक बनाने पर विचार कर सकती है। सरकार मोबाइल फोन, जूते-चप्पल, फैब्रिक, एलईडी लाइट, चिकित्सा उपकरण, बर्तन, कृषि मशीनरी, दवा, अक्षय ऊर्जा के कलपुर्जे सहित 24 उत्पादों की सूची तैयार की है जिस पर इन्वर्टेड शुल्क ढांचा है, जिसकी वजह से सालाना करीब 20,000 करोड़ रुपये का रिफंड देना होता है।
राजस्व बढ़ाने के लिए राज्यों ने मौजूदा 4 कर स्लैब की जगह 10 फीसदी और 20 फीसदी के दो कर स्लैब रखने तथा विनिर्माण के लिए कंपोजिशन दर को मौजूदा 1 फीसदी बढ़ाने का सुझाव दिया है।
गैर-कर मोर्चे पर सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की नकदी की स्थिति का आकलन कर रही है और उन्हें लाभांश भुगतान बढ़ाने और शेयर पुनर्खरीद करने को कहा जा सकता है।

First Published - July 12, 2020 | 10:24 PM IST

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