अर्थव्यवस्था

ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी, भारत के लिए चुनौतियां और अवसर की तलाश जारी

ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान व्यापार अधिशेष को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि भारत, अमेरिका से ज्यादा निर्यात नहीं कर रहा है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- January 12, 2025 | 11:25 PM IST

भारत इस समय उद्योग जगत को अमेरिका से आयात  की जा सकने वाली वस्तुओं को लेकर चुनौतियों व अवसरों की पहचान करने को प्रेरित कर रहा है। इस मामले से जुड़े 2 लोगों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह डॉनल्ड ट्रंप के शासन में उठाए जाने वाले संभावित नीतिगत कदमों से निपटने की रणनीति के अनुरूप है। अगले सप्ताह ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने वाले हैं।

अमेरिका से भारत आयात होने वाली प्रमुख वस्तुओं में तेल और पेट्रोलियम उत्पाद, मोती, प्लास्टिक, विमान, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और पुर्जे आदि शामिल हैं। वाणिज्य विभाग इस समय उद्योग से प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है और सुझावों की उम्मीद कर रहा है। वहीं उद्योग जगत के अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका की ओर से ज्यादा पेट्रोलियम, एविएशन उत्पाद के साथ रक्षा उपकरण खरीदने का दबाव हो सकता है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक (डीजी) और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अजय सहाय ने कहा, ‘अब वक्त आ गया है कि भारत, अमेरिका से खरीद में वृद्धि जारी रखे। कुछ बड़े सामान की अमेरिका से खरीद बढ़ सकती है, जिसमें रक्षा, विमान, तेल व गैस और इससे जुड़े उत्पाद शामिल हैं।’

सहाय ने कहा, ‘इसी तरह से भारत का उड्डयन क्षेत्र बढ़ रहा है और हम अमेरिका को और ज्यादा ऑर्डर मिलने की उम्मीद कर सकते हैं। भारत वहां से तकनीक के साथ मेडिकल व डायग्नोस्टिक उपकरणों का आयात करेगा।’

उदाहरण के लिए ट्रंप के पहले के कार्यकाल के दौरान भारत का अमेरिका से पेट्रोलियम आयात उल्लेखनीय रूप से बढ़ा। सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि कच्चे तेल आयात में अमेरिकी की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2018 के 0.7 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में आयात 9 फीसदी पर पहुंच गई।

अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमने उद्योग जगत से 2 सप्ताह पहले ही सुझाव मांगे हैं। अभी हमें उनका फीडबैक मिलने का इंतजार है। हमने उनसे अवसर और चुनौतियां देखने को कहा है कि हम अमेरिका से क्या खरीद सकते हैं और उनको क्या बेच सकते हैं। खासकर अगर शुल्क लगते हैं, चाहे वह एमएफएन पर आधारित (सभी देशों के लिए) हो या किसी देश पर केंद्रित हो। यह देखना है कि अलग-अलग क्षेत्रों पर इसका क्या असर होगा और हम असर कम करने के लिए क्या कर सकते हैं।’

विश्व की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं नवंबर में ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद से उनकी घोषणाओं पर बारीकी से नजर रख रही हैं। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि भारत भी देख रहा है कि ‘इन घोषणाओं के क्या निहितार्थ हो सकते हैं’।

ट्रंप कार्यभार संभालने के बाद ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को लेकर आक्रामक रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने चीन, मेक्सिको, कनाडा के साथ व्यापार घाटे को देखते हुए शुल्क बढ़ाने की भी मंशा जाहिर की है।

पिछले 2 दशक से भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंध बढ़ रहे हैं और व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है। भारत का अमेरिका के साथ वस्तु व्यापार अधिशेष 2023-24 के दौरान 35.3 अरब डॉलर रहा है। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान व्यापार अधिशेष को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि भारत, अमेरिका से ज्यादा निर्यात नहीं कर रहा है।

वैसे तो अमेरिका के व्यापार घाटे में भूमिका निभाने के मामले में भारत 9वां सबसे बड़ा देश है, लेकिन चीन, मेक्सिको और यूरोपियन यूनियन की तुलना में इसका आकार बहुत कम है। अधिकारी ने कहा, ‘हम निश्चित रूप से कही जा रही तमाम बातों पर गौर कर रहे हैं।’

First Published : January 12, 2025 | 10:29 PM IST