भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में चल रहे सूचना तकनीक (आईटी) शुल्क विवाद के समाधान पर विचार कर रहे हैं। इस मामले से जुड़े लोगों ने कहा कि भारत द्वारा लगाए गए आईटी शुल्क के विवाद पर आपसी सहमति योग्य समाधान निकालने पर बातचीत के लिए भारत और यूरोप के अधिकारी शुक्रवार को बैठक कर सकते हैं।
अप्रैल में डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान निकाय ने कहा था कि भारत ने बहुपक्षीय व्यापार निकाय के सूचना तकनीक समझौते (आईटीए) के तहत शून्य शुल्क प्रतिबद्धता का उल्लंघन किया है। इस तरह के 3 अलग अलग मामले यूरोपीय संघ, जापान और चीनी ताइपे ने उठाए थे, जो एकसमान थे। उनकी सुनवाई के बाद डब्ल्यूटीओ ने यह फैसला सुनाया था।
उसके बाद भारत ने कहा कि वह फैसले के खिलाफ अपील करेगा, हालांकि कहना सांकेतिक ही था, क्योंकि डब्ल्यूटीओ का शीर्ष अपील प्राधिकरण इस समय काम नहीं कर रहा है। इसकी वजह से भारत ने यह भी कहा था कि इस फैसले का भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उपरोक्त उल्लिखित सूत्रों में एक व्यक्ति ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘भारत की अपील के पहले ईयू चाहता है कि उसको हुए नुकसान (भारत द्वारा लगाए गए आईटी शुल्क के कारण) के मुताबिक विशेष प्रकृति की चर्चा की जाए और देखा जाए कि इसका क्या रास्ता निकल सकता है।’
उन्होंने कहा, ‘बहरहाल कोई भी समाधान डब्ल्यूटीओ का अनुपालन करने वाला होगा।’
भारत का मानना है कि आईटी शुल्क लगाए जाने से ईयू पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है, क्योंकि आईटी उत्पाद जैसे मोबाइल फोन, टेलीफोन हैंडसेट और इस तरह के अन्य उत्पाद यूरोपीय संघ से बहुत कम आते हैं। दरअसल ज्यादा उत्पाद शुल्क मुख्य रूप से भारत के घरेलू उद्योग को चीन के आयात से बचाने के लिए लगाया गया था।
वहीं दूसरी ओर यूरोपीय संघ ने दावा किया है कि भारत को सालाना किए जाने वाले करीब 60 करोड़ यूरो के तकनीक निर्यात पर असर पड़ा है, क्योंकि भारत ने इस तरह के उत्पादों पर शुल्क लगा दिया है।
पिछले महीने ब्रशेल्स में आयोजित व्यापार और तकनीक परिषद की बैठक के दौरान भी इस विषय पर अलग से बात हुई थी।
उपरोक्त उल्लिखित व्यक्ति ने आगे कहा कि कोई समाधान न होने या बातचीत विफल होने की स्थिति में दोनों पक्ष संयुक्त स्थगन पर विचार कर सकते हैं। इसमें भारत फैसले के खिलाफ अपील टाल सकता है और यूरोपीय संघ डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान निकाय की रिपोर्ट को स्वीकार करना टाल सकता है।
डब्ल्यूटीओ के नियम के मुताबिक विवाद निपटान निकाय के फैसले के बाद निकाय की रिपोर्ट को लेकर 60 दिन के भीतर वाद दायर करने का अधिकार या इसे स्वीकार करने का मामला दायर करने का अधिकार है, जब तक कि रिपोर्ट को स्वीकार करने या न करने को लेकर देशों में आम सहमति नहीं बन जाती। इस मामले में भारत के पास फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 16 जून तक का वक्त है। पिछले सप्ताह भारत ने विवाद को लेकर अपील दाखिल की है, लेकिन वह सिर्फ जापान के लिए है। चीनी ताइपे के मामले में अपील को 90 दिन के लिए टाला गया गया है।