सरकार अगले साल से कृषि व ग्रामीण श्रम के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के लिए आधार वर्ष में बदलाव करने जा रही है। इस कदम से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के कामगारों पर असर पड़ेगा।
सरकार ने गुरुवार को औद्योगिक कामगारों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) पर आधारित महंगाई दर की नई शृंखला पेश की। इसका उपयोग नीति निर्माता महंगाई दर पर नजर रखने और कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (डीए) तय करने के लिए करते हैं। नए आधार वर्ष 2016 के साथ सूचकांक का इस्तेमाल औद्योगिक श्रमिकों के डीए की गणना में होगा।
सीपीआई-आईडब्ल्यू के आधार वर्ष की शुरुआत करते हुए केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि कृषि व ग्रामीण श्रम सीपीआई के लिए आधार वर्ष में संशोधन कर रहा श्रम ब्यूरो काम पूरा कर लेगा और अगस्त 2021 तक नया सूचकांक भी जारी कर दिया जाएगा।’ कृषि एवं ग्रामीण श्रम सीपीआई की गणना के लिए आधार वर्ष 1986-87 है और इसे बदलकर 2019 किया जाएगा।
नई शृंखला के तहत सितंबर 2020 के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू 118 है। श्रम ब्यूरो के महानिदेशक डीपीएस नेगी ने कहा कि नई शृंखला में बदलाव के लिए लिंकिंग फैक्टर पुराने के लिए 2.88 है। सीपीआई आधार वर्ष में बदलाव 2001 से किया गया है। पहले के आधार के तहत अगस्त 2020 के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू 388 रहा है। लिंकिंग फैक्टर के मुताबिक गणना करने पर अगस्त का सीपीआई-आईडब्ल्यू 117.4 होगा।
बहरहाल सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इस कदम से संभवत: करीब 3 करोड़ औद्योगिक श्रमिकों और 48 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन पर तत्काल कोई असर नहीं पड़ेगा।
महंगाई भत्ता इस महंगाई सूचकांक से जुड़ा होता है और सरकारी कर्मचारियों व औद्योगिक कामगारों के वेतन में महंगाई भत्ते के मुताबिक हर छह महीने में बदलाव किया जाता है। निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के मामले में सरकार और ज्यादातर राज्य साल में 2 बार न्यूनतम वेतन के डीए में बदलाव करते हैं, जो सीपीआई-आईडब्ल्यू महंगाई के आंकड़ों के मुताबिक होता है।
नेगी ने कहा, ‘अगर आप 2.88 लिंकिंग फैक्टर को देखें और आज की तारीख में नए सूचकांक की पुराने से तुलना करें तो महंगाई भत्ते पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। यह जस का तस बना रहेगा। लेकिन जैसे जैसे हम आगे बढ़ेंगेे, डीए में बदलाव पर असर हो सकता है।’
श्रम ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डीए की गणना 12 महीने के मूल्यांकन औसत से किया जाता है, ऐसे में सीपीआई-आईडब्ल्यू के नए आधार का डीए पर असर लंबे समय में दिखेगा।
श्रम एवं रोजगार सचिव अपूर्व चंद्रा ने इसे महत्त्वपूर्ण कदम करार देते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में सीपीआई-आईडब्ल्यू के आधार वर्ष में हर 5 साल में बदलाव होगा। नेगी ने कहा कि अगली सिरीज का आधार वर्ष 2022 होगा, जिसे 2025 में जारी किया जाएगा।
श्रम मंत्री ने कहा कि श्रम ब्यूरो 4 श्रम संहिताओं के तहत आंकड़े एकत्र करना अनिवार्य करेगा, जो अगले वित्त वर्ष में अधिसूचित किया जा सकता है। मंत्री ने कहा कि ब्यूरो ने विस्थापित श्रमिकों, घरेलू श्रमिकों और पेशेवर कार्यबल का अलग से सर्वे कराना अनिवार्य कर दिया है।
आधार वर्ष 2016 के साथ सीपीआई-आईडब्ल्यू में 2001 के सूचकांक की तुलना में गैर खाद्य वस्तुओं का अधिभार अधिक होगा। नई शृंखला में खाद्य और बेवरिज का अधिभार मौजूदा 46 प्रतिशत से घटकर 39 प्रतिशत रह जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ गैर खाद्य वस्तुओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन, घरेलू सामान और सेवाओं, परिहन और संचार का अधिभार 2001 की शृंखला के 23 प्रतिशत से बढ़कर 2016 में 30 प्रतिशत हो जाएगा।
