अर्थव्यवस्था

भारत, चीन के दम पर बढ़ेगी दुनिया

Published by  
असित रंजन मिश्र
- 30/01/2023 11:05 PM IST

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने आज कहा कि 2023 में वै​श्विक वृद्धि में करीब आधा योगदान भारत और चीन का होगा। इसके साथ ​ही वै​श्विक एजेंसी ने ए​शिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 में 6.1 फीसदी रहने के अपने अनुमान को बरकरार रखा है।

छमाही विश्व आ​र्थिक परिदृश्य के अपने ताजा अपडेट में आईएमएफ ने कहा, ‘भारत तेजी से वृ​द्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। इस साल वै​श्विक आ​र्थिक वृद्धि में आधे का योगदान भारत और चीन का होगा जबकि अमेरिका और यूरोप क्षेत्र की इसमें महज 10 फीसदी का एकीकृत योगदान होगा।

हालांकि 2023 (वित्त वर्ष 2024) में भारत की वृद्धि दर कम होकर 6.1 फीसदी रहेगी जो 2022 (वित्त वर्ष 2023) में 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है। लेकिन बाह्य चुनौतियों के बावजूद घरेलू मांग मजबूत होने से वित्त वर्ष 2025 में यह फिर तेज होकर 6.8 फीसदी पर पहुंच सकती है।’

वा​शिंगटन से काम करने वाले बहुपक्षीय ऋणदाता ने 2023 के लिए वै​श्विक वृद्धि का अनुमान 20 आधार अंक बढ़ाकर 2.9 फीसदी कर दिया है। हालांकि आगाह किया है कि जो​खिम की वजह से इसमें गिरावट की आशंका बनी हुई है लेकिन अक्टूबर 2022 की रिपोर्ट के बाद से जो​खिम में थोड़ी कमी आई है।

आईएमएफ में मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवयर गौरिनचास ने ब्लॉग में लिखा है, ‘पिछले साल की तीसरी तिमाही में मजबूत श्रम बाजार, परिवार में खपत बढ़ने और कारोबारों का निवेश बढ़ने तथा यूरोप में ऊर्जा संकट उम्मीद से कम रहने से आ​र्थिक वृद्धि में हैरान करने वाली मजबूती देखी गई। चीन द्वारा अपने बाजार अचानक खोले जाने से आ​र्थिक गतिवि​धियों में तेजी से सुधार का रास्ता साफ हुआ है। मुद्रास्फीति का दबाव थोड़ा कम होने से वै​श्विक वित्तीय ​स्थिति में भी सुधार हुआ है। इसके साथ ही अमेरिकी डॉलर में नवंबर के उच्च स्तर से नरमी आने के बाद उभरते और विकासशील देशों को भी कुछ राहत मिली है।’

दिसंबर तिमाही में अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने विश्लेषकों को चकित करते हुए 2.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में केवल ब्रिटेन के ही 2023 में मंदी में फंसने (ऋणात्मक 0.6 फीसदी) का अनुमान जताया गया है जबकि जर्मनी में 0.1 फीसदी और रूस में 0.3 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

उन्होंने कहा, ‘कई अर्थव्यवस्था में टाली गई मांग आने या मुद्रास्फीति में तेजी से कमी आने से भी वृद्धि को बढ़ावा मिला है। हालांकि अभी भी कुछ जो​खिम बने हुए हैं, जैसे कि चीन में कोविड के प्रसार से सुधार की रफ्तार थम सकती है। इसके साथ ही रूस यूक्रेन में युद्ध में तेजी आ सकती है और सख्त वै​श्विक वित्तीय ​स्थिति से कर्ज संकट गहरा सकता है। मुद्रास्फीति पर प्रतिकूल खबरों से वित्तीय बाजार में उथल-पुथल बढ़ सकती है और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से आ​र्थिक प्रगति को धक्का लग सकता है।’

यह भी पढ़ें: PLI योजना के तहत लाभार्थियों को मार्च तक 4,000 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी सरकार

आईडीएफसी फर्स्ट ने वित्त वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 5.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। उसने कहा, ‘बाह्य अड़चनों के बावजूद शहरी खपत और पूंजीगत व्यय चक्र में सुधार के शुरुआती संकेतों के बीच भारत में वृद्धि की ​स्थितियां मजबूत बनी हुई हैं। सूचीबद्ध कंपनियों के ​वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही के नतीजों से संकेत मिलता है कि कंपनियों के मुनाफे में सुधार हुआ है। पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन और आयात से पूंजीगत व्यय च्रक में सुधार का संकेत मिलता है।’